Chai Par Sameeksha: Adani को हुआ बड़ा आर्थिक नुकसान, क्या Modi को भी होगा राजनीतिक नुकसान?

Gautam Adani
ANI

प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मोदी सरकार ने सरकारी बैंकों और भारतीय जीवन बीमा निगम का काफी पैसा अडाणी समूह को दिलवा दिया है। विपक्ष का यह भी आरोप है कि अडाणी समूह पर आये आर्थिक संकट के चलते आम लोगों की जमा पूंजी खतरे में पड़ गयी है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह अडाणी विवाद और रामचरितमानस को लेकर कही जा रही अनर्गल बातों से उपजे विवाद संबंधी दर्शकों के प्रश्नों के उत्तर प्रभासाक्षी संपादक ने दिये। हम आपको बता दें कि हमारे दर्शकों ने हमें बड़ी संख्या में प्रश्न भेजे थे, उनमें से अधिकांश प्रश्न लगभग समान थे। हमने सभी प्रश्नों के मर्मों कों मिलाकर दो प्रश्न बनाये जिनके उत्तर कार्यक्रम में दिये गये। प्रश्न इस प्रकार थे-

प्रश्न-1. अडाणी विवाद का सच क्या है? क्या जैसे अडाणी समूह को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है, उसी तरह प्रधानमंत्री मोदी को भी राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ेगा?

प्रश्न-2. रामचरितमानस को लेकर विवाद क्यों किया जा रहा है जबकि यह पवित्र ग्रंथ सैंकड़ों वर्षों से समस्त विश्व का मार्गदर्शन कर रहा है?

पहले प्रश्न के उत्तर में प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि यह हमला सिर्फ उद्योगपति गौतम अडाणी पर नहीं किया गया है बल्कि यह भारत की आर्थिक प्रगति पर हमला है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के जो बड़े-बड़े अरबपति, खरबपति दुनिया के नंबर वन अमीर बने हुए थे वह कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं कि एक विकासशील देश का नीचे से उभरा व्यक्ति दुनिया का नंबर दो का अमीर बन जाये।

उन्होंने कहा कि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मोदी सरकार ने सरकारी बैंकों और भारतीय जीवन बीमा निगम का काफी पैसा अडाणी समूह को दिलवा दिया है। विपक्ष का यह भी आरोप है कि अडाणी समूह पर आये आर्थिक संकट के चलते आम लोगों की जमा पूंजी खतरे में पड़ गयी है। विपक्ष का यह आरोप सही है या गलत यह तो जाँच का विषय है लेकिन संसद से लेकर सड़क तक हंगामा कर रहे विपक्षी दलों को वह बात जरूर सुननी चाहिए जो देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई और सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने कही है। उन्होंने कहा कि एसबीआई ने कहा है कि अडाणी समूह की कंपनियों को उसने करीब 27,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है जो उसकी ओर से कुल वितरित ऋणों का सिर्फ 0.88 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि बैंक की ऐसी धारणा नहीं है कि अडाणी समूह अपनी कर्ज देनदारियों को पूरा करने में किसी तरह की चुनौती का सामना कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एसबीआई ने इस समूह को शेयरों के एवज में कोई कर्ज नहीं दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि इस समूह का बकाया कर्ज चुकाने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है।

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प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि इसके अलावा भारतीय जीवन बीमा निगम ने कहा है कि अडाणी समूह के बॉन्ड और इक्विटी में उसके 36,474.78 करोड़ रुपये लगे हैं और यह राशि बीमा कंपनी के कुल निवेश का एक फीसदी से भी कम है। उन्होंने बताया कि एलआईसी ने कहा है कि ‘‘अडाणी समूह की कंपनियों में इक्विटी और बॉन्ड के तहत हमारा कुल निवेश 36,474.78 करोड़ रुपये है।'' प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि अगर हम अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में शुक्रवार तक की गिरावट के आंकड़ों को भी देखें तो एलआईसी के पास अडाणी समूह के जो शेयर हैं उसका बाजार मूल्य 50000 करोड़ रुपये के आसपास है। यानि एलआईसी ने लगभग साढ़े 36 हजार करोड़ रुपए लगाये और आज भी उसके शेयरों की कीमत लगभग 50 हजार करोड़ रुपए है। ऐसे में ना एसबीआई को नुकसान है ना एलआईसी को तो जाहिर है जनता का पैसा भी सुरक्षित है और सरकारी बैंक तथा सरकारी जीवन बीमा कंपनी भी। ऐसे में यह सवाल तो बनता ही है कि विपक्ष आखिर यह अफवाहें उड़ा कर क्या हासिल करना चाह रहा है?

इसके अलावा दूसरे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि रामचरितमानस को लेकर विवाद इसलिए खड़ा किया जा रहा है क्योंकि कई राजनीतिक दलों को दिख रहा है कि भाजपा के हिंदुत्व मुद्दे की काट कैसे खोजी जाये इसीलिए वह समाज में जाति का जहर बो रहे हैं ताकि लोगों को आपस में लड़ा कर हिंदू समाज को बांटा जा सके। उन्होंने कहा कि लेकिन यह पढ़ा लिखा और नया भारत है जोकि दकियानूसी बातों में नहीं आयेगा। उन्होंने कहा कि आज का युवा महत्वाकांक्षी है और उसे पता है कि कॅरियर बनाना है तो ऐसे विवादों से दूर रहना होगा।

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