बलूच विद्रोही अब पाकिस्तानी सेना के लिए बड़ी चिंता का विषय

पाकिस्तान के लगभग सभी संघीय और राज्य सुरक्षा और खुफिया बलों की बलूचिस्तान में व्यापक उपस्थिति है। वायु सेना, नौसेना, तटरक्षक बल और पाकिस्तानी सेना, सभी बलूचिस्तान में उपस्थिति बनाए रखते हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण शाखा सेना है।
बलूच विद्रोहियों के भीषण हमलों ने पाकिस्तानी सेना को हिलाकर रख दिया है, इस समय पाकिस्तानी फौज मुख्य रूप से भारतीय मोर्चे पर तैनात है. बलूचिस्तान की प्रांतीय राजधानी क्वेटा में सिर्फ़ एक दिन में पाकिस्तानी सेना पर छह हमले हुए। पाकिस्तान ने भारत के साथ हाल ही में हुए सैन्य टकराव के कारण बलूचिस्तान से अपनी सेना की टुकड़ियों को काफ़ी संख्या में हटा के पूर्वी सीमा पर तैनात किया। बलूच विद्रोहियों के चल रहे अभियानों और सैनिकों की इस कटौती ने पाकिस्तानी सेना पर अतिरिक्त दबाव डाला. सबसे बड़े विद्रोही संगठन, बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने हेरोफ़ सैन्य अभ्यास नामक एक अभियान शुरू किया, जिसमें उसने 51 से ज़्यादा जगहों पर 71 से ज़्यादा समन्वित हमले करने का दावा किया। BLA ने एक प्रेस बयान में कहा कि उसने कई शहरों पर कब्ज़ा कर लिया है और बलूचिस्तान और सिंध को जोड़ने वाले मुख्य राजमार्ग N-65 सहित राजमार्गों पर चेक पोस्ट स्थापित किए हैं, और लेवीज़ पुलिस स्टेशन और NADRA कार्यालय जैसी कई सरकारी कार्यालयों पर कब्ज़ा कर लिया। ये सुसंगठित हमले स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि यदि बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की इकाइयों को अन्य मोर्चों पर तैनात किया जाता है, भले ही थोड़े समय के लिए, बलूचिस्तान पर सरकारी नियंत्रण बहुत कमजोर और विद्रोहियों की दया पर निर्भर हो जाता है। इन व्यापक हमलों के साथ, बलूच विद्रोहियों ने एक बार फिर अपनी पहुंच, क्षमता और जटिल हमलों को समन्वित करने की क्षमता का प्रदर्शन किया।
पाकिस्तान के लगभग सभी संघीय और राज्य सुरक्षा और खुफिया बलों की बलूचिस्तान में व्यापक उपस्थिति है। वायु सेना, नौसेना, तटरक्षक बल और पाकिस्तानी सेना, सभी बलूचिस्तान में उपस्थिति बनाए रखते हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण शाखा सेना है। पाकिस्तानी सेना की XII कोर, जिसकी कमान एक लेफ्टिनेंट जनरल के पास होति है, जो दक्षिणी कमान के कमांडर के रूप में भी काम करते है, क्वेटा स्थित सेना कोर मुख्यालय से ऑपरेट करते है और और सीधे पाकिस्तानी सेना प्रमुख को रिपोर्ट करते है. पाकिस्तान वायु सेना (PAF) बलूचिस्तान में चार ठिकानों का संचालन करती है। प्राथमिक बेस क्वेटा में समुंगली है और यह 31वें फाइटर विंग का अड्डा है। पाकिस्तानी नौसेना बलूचिस्तान में अरब सागर पर चार नौसैनिक ठिकानों का संचालन करती है। प्राथमिक बेस पश्चिमी बलूचिस्तान में ग्वादर का गहरे पानी का बंदरगाह है, जो कराची के बाद पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है। यह बंदरगाह पाकिस्तान तटरक्षक बल की तीसरी बटालियन का भी घर है। तीन छोटे नौसैनिक अड्डे जिवानी, ओरमारा और पसनी में स्थित हैं। पाकिस्तान खुफिया तंत्र भी बलूचिस्तान में हमेशा बड़ी तैनाती बनाये रखता है। इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस डायरेक्टोरेट (आईएसआई) रणनीतिक खुफिया जानकारी के साथ-साथ संचालन के लिए जिम्मेदार है और क्वेटा में इसका एक बड़ा हिस्सा है। आईएसआई का संयुक्त सिग्नल इंटेलिजेंस ब्यूरो (जेआईएसबी) सैन्डक में सिग्नल इंटेलिजेंस संग्रह स्टेशन संचालित करता है, जो पश्चिमी सीमा को कवर करता है, और ग्वादर में, जो ओमान की खाड़ी के शिपिंग लेन को कवर करता है।
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आईएसआई के अलावा, प्रत्येक सेवा में सैन्य खुफिया एजेंसियां हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से एमआई (MI) के रूप में जाना जाता है, जो सामरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। संघीय सरकार के इन बलों के अलावा, पाकिस्तान आंतरिक मंत्रालय (MOI) बलूचिस्तान पुलिस और प्रांत में फ्रंटियर कोर (FC) को नियंत्रित करता है। बलूचिस्तान पुलिस के पास पूरे प्रांत के लिये अधिकार प्राप्त है और अपराध से लड़ने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वे जिम्मेदार हैं। बलूचिस्तान कांस्टेबुलरी, जिसे कभी-कभी लेवी के रूप में संदर्भित किया जाता है, प्रांत के दूरदराज के इलाकों में पुलिस को मदद प्रदान करती है। फ्रंटियर कॉर्प्स बलूचिस्तान (FCB) को प्रांत में बड़ी संख्या में तैनात किया गया है। यह आंतरिक मंत्रालय (MOI) के तहत एक अर्धसैनिक बल है और प्रांत की सुरक्षा तंत्र में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। पाकिस्तानी नीति निर्माता, इतनी बड़ी संख्या में बलों को तैनात करने के बावजूद, हमेशा बलूचिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखने के लिए संघर्ष करते है।
पिछले कुछ दिनों में हुए हमलों से पता चलता है कि बलूच विद्रोह एक महत्वपूर्ण नए चरण में प्रवेश कर चुका है। अगस्त 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी के बाद, बड़ी मात्रा में अत्यधिक परिष्कृत हथियार, जिनका इस्तेमाल अफगान सुरक्षा बलों द्वारा किया जाता था, क्षेत्र के काले बाजारों में पहुंच गए हैं। इनमें से कई अमेरिकी निर्मित हथियार बलूच सशस्त्र समूहों के हाथों में भी पहुंच गए हैं, जैसे M16A2 और M16A4 असॉल्ट राइफलें, ट्राइजिकॉन ACOG ऑप्टिक्स और M203 अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर। छोटे आग्नेयास्त्रों और RPG-7 पैटर्न रॉकेट लॉन्चर के अलावा, बलूच विद्रोही PK(M) और MG3 वेरिएंट जैसी विभिन्न मशीन गन का इस्तेमाल कर रहे हैं। कभी-कभी, विद्रोहियों को भारी मशीन गन (HMG) का इस्तेमाल करते हुए भी देखा गया है। बलूच सशस्त्र समूह धीरे-धीरे उस विद्रोह को मजबूत करने की ओर बढ़ रहे हैं जो पहले एक खंडित विद्रोह था। पिछले कुछ वर्षों में, विद्रोही समूहों ने पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ एकजुट लड़ाई के लिए या तो विलय कर लिया है या सामरिक गठबंधन बना लिया है। ऐसा करके, वे जटिल ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए बेहतर संसाधन और बेहतर समन्वय प्राप्त करने में सक्षम हो गए हैं। साथ ही, सशस्त्र समूहों का नेतृत्व काबिलाई सरदारों से सुशिक्षित और अत्यधिक प्रेरित बलूच मध्यम वर्ग के हाथों में चला गया है। और बलूच विद्रोहियों का ये नया नेतृत्व विद्रोह को सुव्यवस्थित कर गुरिल्ला युद्ध में बदल रहा हैं।
वास्तव में, बलूच सशस्त्र समूहों ने हर आयाम में अपनी क्षमताओं को कई गुना बढ़ा लिया है। पिछले कुछ वर्षों में, बलूच विद्रोहियों ने अपनी संचार क्षमताओं और हथियारों में काफी सुधार किया है। विद्रोह की लंबी उम्र और लचीलापन निस्संदेह विद्रोहियों के लिये एक ताकत है, क्योंकि इस वजह से बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तानी सेना के तथाकथित विभिन्न आतंकवाद विरोधी तरीकों के अनुकूल होना और उनका जवाब देना सीख लिया है। ज़मीन पर, ये समूह इतने सक्षम हैं कि वे घात लगा के किये हमले, IED ब्लास्ट, स्नाइपर फायर और आत्मघाती हमलों जैसी गुरिल्ला रणनीति के ज़रिए पाकिस्तानी सेना को धूल चटा सकते हैं। यह एक कठोर सत्य है कि बलूचिस्तान धीरे-धीरे पाकिस्तान के हाथों से फिसल रहा है, और यह केवल समय की बात है जब इस्लामाबाद देश के दूसरे विभाजन को देखेगा।
- मनीष राय
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
(लेखक मध्य-पूर्व के स्तंभकार और भू-राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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