इज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में लंबी छलांग भारत की बड़ी उपलब्धि

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देश में केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियों की लाख कमियां गिनाई जा रही हों पर विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनस की हाल ही में जारी रैंकिंग में भारत की उपलब्धि को कमतर नहीं आंका जा सकता।

देश में केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियों की लाख कमियां गिनाई जा रही हों पर विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनस की हाल ही में जारी रैंकिंग में भारत की उपलब्धि को कमतर नहीं आंका जा सकता। इससे पहले के साल की तुलना में जहां 23 पायदान का सुधार हुआ है वहीं पिछले चार साल में विश्व रैंकिंग में 65 पायदान का सुधार अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। ईज ऑफ डूइंग बिजनस की विश्व रैंकिंग 10 पैरामीटर्स के आधार पर की जाती है। भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में पहले 50 देशों में शुमार होने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का सीधा−सीधा अर्थ यह है कि किसी देश या प्रदेश में कारोबार शुरू करना कितना आसान है। विश्व बैंक ने दुनिया के देशों की ईओडीबी के तहत 2003 से रैंकिंग तय करना शुरू किया है वहीं हमारे देश में कारोबार शुरू करने या कारोबारी सहजता की दृष्टि से साल 2015 से राज्यों की रैंकिंग आरंभ की गई है। ईओडीबी की रैंकिंग के आधार पर ही निवेश आकर्षित होता है। सरल शब्दों में कहें तो किसी देश या प्रदेश में कारोबार स्थापित करना है तो वहां पर कारोबार करने के लिए सरकारी प्रक्रियाएं कितनी आसान हैं ? इसमें कारोबार शुरू करने या कारोबार के लिए आवश्यक सेवाओं को सम्मिलित किया गया है। यह सेवाएं कितनी सहजता से उपलब्ध होती हैं इस पर रैंकिंग निर्भर करती है। यदि प्रक्रियाएं सहज व सरल होंगी तो निवेश के लिए अधिक से अधिक निवेशक आकर्षित होंगे।

विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट में 190 देशों की सूची में भारत 77वें स्थान पर आ गया है। दो साल पहले भारत 130वें पायदान पर था। वैश्विक रेंकिंग में यह ऊँची छलांग है। हालांकि अब केन्द्र सरकार का प्रयास है कि भारत इस रैंकिंग में पहले 50 देशों की सूची में शामिल हो जाए। यही कारण है कि केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित बिंदुओं पर राज्यों की रैंकिंग भी की जा रही है और निवेशकों व कारोबारियों से जुड़े कार्यों के बिन्दु तय करते हुए उस दिशा में होने वाले कार्यों के आधार पर रैंकिंग की जाती है। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष राज्यों के लिए Business Reform Plan जारी किया जाता है एवं राज्यों द्वारा किए गए Reform implementation का आकलन करने के पश्चात् राज्यों को Ranking प्रदान की जाती है। ईओडीबी में सामान्यतः राज्यों की रैंकिंग जून से लेकर मई तक निर्धारित बिंदुओं पर किए गए सरलीकरण के आधार पर की जाती है। केन्द्र सरकार द्वारा 2018 में जारी राज्यों की रैंकिंग 378 बिंदुओं के आधार पर की गई है। इसके साथ ही देश में रैंकिंग के लिए फीडबैक सिस्टम चालू किया गया और इसका परिणाम यह रहा कि अच्छा कार्य कर रहे प्रदेशों की रैंकिंग प्रभावित भी हुई है। केन्द्र सरकार ने हालांकि इस साल राज्यों की रैंकिंग के लिए नया फार्मूला और तय कर दिया है और अब इस साल की रैंकिंग 80 बिन्दुओं पर फीडबैक के आधार पर होगी। हालांकि केन्द्र सरकार ने चार विभागों से जुड़े सात नए बिन्दु भी शामिल किए हैं।

निवेशकों या कारोबार में आसानी सुनिश्चित करने को लेकर विश्व बैंक द्वारा देशों की परिस्थितियों और कार्यशैली के आधार पर रैंकिंग की जाती है। दुनिया के टॉप दस देशों में न्यूजीलैंड, सिंगापुर और डेनमार्क लगातार पहला, दूसरा और तीसरा स्थान बनाए हुए हैं वहीं विश्व रैंकिंग में सोमालिया दुनिया के देशों में सबसे निचले पायदान पर है। जहां तक दक्षिण एशियाई देशों का प्रश्न है भारत ने स्थिति में लगातार सुधार करते हुए दक्षिण एशिया में शीर्ष देश बन गया है। इस साल की विश्व बैंक की रैंकिंग में 10 में से छह बिन्दुओं पर भारत ने उल्लेखनीय सुधार कर गए साल की तुलना में रैंकिंग में 23 अंकों का सुधार किया है। सबसे अधिक सुधार कंस्ट्रक्शन परमिट के क्षेत्र में 129 पायदान का रहा वहीं आयात निर्यात के क्षेत्र में 66, बिजनेस शुरुआत में 19, लोनिंग में 7, विद्युत कनेक्शन में 5 और कांट्रेक्ट में एक अंक का सुधार आया है। वहीं प्रापर्टी की रजिस्ट्री, निवेशकों की सुरक्षा, कर भुगतान और इनसॉल्वेंसी में गत रैंकिंग की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी को अच्छा कदम बताते हुए कहा कि अब कर चुकाना आसान हो गया है वहीं कॉरपोरेट आयकर की दर में सुधार आया है।

दरअसल कारोबार खासतौर से एमएसएमई दुनिया के देशों में आर्थिक विकास का बड़ा पैमाना बनते जा रहे हैं। खेती की जमीन कम होती जा रही है। शहरीकरण और खेती में तकनीक के उपयोग से रोजगार के लिए खेती की निर्भरता कम हुई है। ऐसे में एमएसएमई सेक्टर द्वारा ही सर्वाधिक रोजगार के अवसर सुलभ कराए जाते हैं। बड़े उद्योग लगते हैं तो उनके साथ सह-उद्योग स्थापित होते हैं और इससे अधिक हाथों को रोजगार मिल पाता है। ऐसे में विश्व बैंक द्वारा दुनिया के देशों में कारोबार की स्थितियों और निवेश के हालातों को लेकर रैंकिंग की जाती है। आज देश में कारोबार को आसान बनाने के लिए एकल खिड़की सिस्टम या ऑनलाइन आवेदन, सभी तरह की चाहे पानी−बिजली का कनेक्शन हो या स्वीकृतियां प्राप्त करने, निरीक्षण, पैसा जमा कराने, अनापत्ति प्राप्त करने, करों या देयताओं का भुगतान सहित इससे जुड़े कार्यों के लिए ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराने की सरकारों से अपेक्षाएं रहती हैं।

यहां तक कि निवेशक को निवेश की संभावित क्षेत्र में संभावना, पानी−बिजली, ट्रंसपोर्टेशन, कानून व्यवस्था, पर्यावरणीय या अन्य स्वीकृतियां प्राप्त करने की आसानी की दरकार होती है। ऐेसे में केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों से अपेक्षा की जाती है कि देशी विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए आवश्यक सुविधाओं में सुधार हो। इसी को देखते हुए अब तो राज्यों द्वारा देश और विदेश में मार्केटिंग के नए फण्डे अपनाते हुए निवेषकों को आकर्षित किया जाता है। जिस देश में जितनी अधिक सहजता व प्रक्रियाएं आसान होती है वहां निवेशक आसानी से पहुंच जाता है। भारत जैसे देश जहां तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है वहां कारोबार की सुगमता आर्थिक विकास का बड़ा पैमाना बनती जा रही है। ऐसे में ईज ऑफ डूइंग की रैंकिंग में सुधार यानी कि रोजगार में सुगमता बनाने के प्रयासों को निश्चित रूप से शुभ संकेत माना जा सकता है। हालांकि विश्व बैंक के मापदण्डों के अनुसार देश में भी रैंकिंग सुधार के लिए सुविधाओं के विस्तार और सहज व्यापार की स्थितियां आने वाले सालों में देश को औद्योगिक विकास की दिशा में तेजी से आगे ले जाने वाली सिद्ध होंगी। निश्चित रूप से सुधार की प्रक्रिया अनवरत होती है और लाइसेंस व इंस्पेक्टर राज से ऑनलाइन तक का लंबा सफर साफ कर देता है कि अब सरकारें फेसिलेटर की भूमिका में आगे आती जा रही हैं। इस दिशा में प्रयास निरंतर जारी रखने होंगे। यह साफ हो जाना चाहिए कि ऑनलाईन व्यवस्था से पारदर्शिता आती है और इससे भ्रष्टाचार व अनावश्यक लालफीताशाही पर रोक लगती है। ईज ऑफ डूइंग में देश की रैंकिंग में सुधार को शुभ संकेत मानते हुए सुविधाओं को और अधिक सहज व विस्तारित करने की प्रक्रिया को जारी रखना होगा।

-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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