इजराइल में दूसरी बार भी फँस गया पेंच, नेतन्याहू के पिछड़ने के कई हैं कारण

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इजराइल में इस हफ्ते संपन्न हुए आम चुनाव के लगभग पूर्ण नतीजे आने के बाद बेनी गैंट्ज की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है लेकिन बहुमत गठबंधन बनाने के लिए कोई स्पष्ट रास्ता उनके पास नहीं है।

अपनी नवीनतम तकनीकों और आधुनिक सेना के लिए पूरी दुनिया में मशहूर इजराइल के लोग अपनी सरकार ही नहीं चुन पा रहे हैं। इजराइल के इतिहास में पहली बार हुआ कि छह महीने में दो बार चुनाव कराये गये लेकिन सरकार बनाने लायक 61 सीटें कोई दल या गठबंधन हासिल नहीं कर पाया और अब दुनिया की नजर इस पर है कि जोड़तोड़ से कोई सरकार बन पाती है या तीसरी बार चुनाव कराये जाते हैं। यह भी देखना होगा कि यदि जोड़तोड़ से सरकार बनी तो कितना लंबा चलेगी। इजराइल में इस हफ्ते संपन्न हुए आम चुनाव के लगभग पूर्ण नतीजे आने के बाद बेनी गैंट्ज की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है लेकिन बहुमत गठबंधन बनाने के लिए कोई स्पष्ट रास्ता उनके पास नहीं है। हालांकि, अंतिम नजीते बुधवार को घोषित किये जायेंगे और उम्मीद है कि इसमें कुछ बदलाव हो सकते हैं। इजराइल निर्वाचन कमेटी के परिणाम से पता चलता है कि गैंट्ज की मध्यमार्गी ब्ल्यू एंड व्हाइट पार्टी को 120 सीटों वाले सदन में 33 सीटें मिली हैं जबकि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की दक्षिणपंथी लिकुद पार्टी को 31 सीटें मिली हैं। निर्वाचन कमेटी ने कहा है कि इस परिणाम में 14 मतदान केंद्रों का नतीजा शामिल नहीं है जहां सत्यापन अब भी जारी है। इजराइल के मीडिया के अनुसार इसका मतलब है कि 99.8 फीसदी मतों की गिनती हो चुकी है।

इस चुनावों की दो बड़ी बातें हैं। एक तो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सत्ता से लगभग बाहर हो गये हैं और उनका पांचवें कार्यकाल का सपना अधूरा रह गया है। यही नहीं यह हार अंतरराष्ट्रीय राजनीति से नेतन्याहू का दौर खत्म भी कर सकती है। नेतन्याहू के पिछड़ने के मुख्य कारणों में भ्रष्टाचार, कुशासन का बोलबाला बताया जा रहा है। वहां कई सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई थी कि जनता सरकार से नाखुश है हालांकि उनका कोई अच्छा विकल्प भी जनता के सामने नहीं था इसलिए छह महीने में दूसरी बार कराये गये चुनाव का भी कोई स्पष्ट नतीजा नहीं निकल सका।

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इजराइल के चुनाव परिणाम की दूसरी बड़ी बात यह है कि तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी है अरब ज्वाइंट लिस्ट गठबंधन जिसने 13 सीटें जीती हैं। बेंजामिन नेतन्याहू अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी बेनी गैंट्ज से हाथ मिलाना चाहते हैं और उन्होंने ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के नेता गैंट्ज के साथ मिलकर एकता सरकार बनाने की अपील की है ताकि तीसरी बार चुनाव की नौबत नहीं आए। लेकिन गैंट्ज खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। 60 साल के गैंट्ज ने कहा है कि वह एक व्यापक, उदार और एकता सरकार बनाना चाहते हैं और उसकी अगुवाई करना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि इजराइल पर थोपे गये चुनाव में जनता ने मतदान किया और स्पष्ट संदेश दिया। गैंट्ज ने कहा कि जनता पिछले चुनाव के बाद भी एकता सरकार चाहती थी।

आपको बता दें कि इजराइल में इस साल अप्रैल में चुनाव कराया गया था जिसमें सरकार बनाने के लिए कोई गठजोड़ नहीं बना पाने के बाद 69 वर्षीय नेतन्याहू ने दूसरे चुनाव कराने की घोषणा की थी। दूसरे चुनाव में मामला और फंस गया और नेतन्याहू सत्ता से बाहर हो गये। अप्रैल में हुए आम चुनाव में लिकुड और ब्लू ऐंड वाइट दोनों ही पार्टियों को 35-35 सीटें मिली थीं। 120 सीटों वाली इजरायली संसद के चुनाव में इस बार बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड को 31, बेनी गैंट्ज की ब्लू ऐंड वाइट पार्टी को 33 और अरब पार्टी जॉइंट लिस्ट को 13 सीटें मिली हैं। जबकि अन्यों के हिस्से में 41 सीटें आई हैं। इजराइल के राष्ट्रपति रियुवेन रिवलिन रविवार को राजनीतिक दलों के साथ बातचीत शुरू करेंगे और देखेंगे कि अगली सरकार बनाने के लिए वह किसके नाम की सिफारिश कर सकते हैं।

इस चुनाव में अरब पार्टियों को जो मजबूती मिली है उससे सब हैरान हैं। अरब पार्टियां अब तक अलग-अलग चुनाव लड़ती रहीं लेकिन इस बार इन्होंने अपना महागठबंधन बना लिया और 3 अरब पार्टियों ने 13 सीटें अपने खाते में कर लीं। इजराइल में अरब वोटरों की संख्या लगभग 18 लाख के आसपास है और यह कुल आबादी का 20 प्रतिशत है। माना जा रहा है कि नेतन्याहू अपने दक्षिणपंथी आधार को मजबूत करने के लिए जिस तरह अरब नेताओं को नजरअंदाज करते रहे उसके चलते यह पार्टियां इकट्ठी हो गयीं। अब अरब पार्टियां लिकुड़ पार्टी के साथ जाती हैं या ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के साथ यह देखने वाली बात होगी। हालांकि अरब मतदाताओं ने जिस तरह दूसरी बार हुए चुनावों में मतदान किया उससे साफ है कि वह बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार से नाखुश थे इसलिए अरब पार्टियों का गठबंधन और उसके नेता ओदेह शायद ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के साथ जा सकते हैं।

जहाँ तक लिकुड पार्टी और ब्लू एंड व्हाइट पार्टी की विचारधारा का सवाल है तो नेतन्याहू की पार्टी जहां धुर दक्षिणपंथी पार्टी मानी जाती है वहीं इजराइली सेना के जनरल रह चुके बेनी गैंट्ज की ब्लू एंड व्हाइट को उदारवादी पार्टी माना जाता है। यह पार्टी फिलस्तिनियों के साथ बातचीत करने की पक्षधर है।

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बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी धुर दक्षिणपंथी मानी जाती है, जबकि बेनी गैंट्ज की ब्लू ऐंड वाइट उदारवादी पार्टी है। फिलिस्तीनियों के साथ बातचीत को लेकर उसके विचार ज्यादा खुले हुए हैं। नेतन्याहू ने गैंट्ज से यूनिटी गवर्नमेंट बनाने में साथ आने की अपील जरूर की है लेकिन ब्लू ऐंड वाइट पार्टी के नेता ने इसका कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि, गैंट्ज जॉइंट लिस्ट के नेता ओदेह के संपर्क में हैं। दोनों नेता बातचीत के लिए सहमत हो गए हैं। बता दें कि गैंट्ज इजरायली आर्मी के रिटायर्ड जनरल हैं।

बहरहाल...इजराइल में राष्ट्रीय एकता की सरकार बनाने के प्रयास भी चल रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि राजनीति में कुछ भी संभव है। लेकिन सवाल यह होगा कि क्या राष्ट्रीय सरकार में बेंजामिन नेतन्याहू का पुराना रुतबा बरकरार रह पायेगा? नेतन्याहू के राष्ट्रीय सरकार बनाने के प्रयास दर्शाते हैं कि वह कुर्सी छोड़ने के मूड़ में नहीं हैं। उन्होंने बेनी से कहा भी है कि एक व्यापक एकता सरकार बनाने की जिम्मेदारी हम पर है। देश हमसे, हम दोनों से मिलकर काम करने की उम्मीद करता है। दुनिया को उम्मीद है कि इजराइल इस राजनीतिक अस्थिरता के दौर से बाहर निकलेगा और आगे बढ़ेगा।

-नीरज कुमार दुबे

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