साक्षात्कारः सिक्स सिग्मा के संस्थापक से जानिये पहाड़ों पर मानवीय सेवा के दौरान क्या चुनौतियां पेश आती हैं

Dr Pradeep Bharadwaj

यात्राओं पर लगी रोक को हाईकोर्ट ने हटा दिया है। कुछ नियम कानूनों के साथ जैसे केदारनाथ में एक साथ 800 यात्री, यमुनोत्री में 400, बद्रीनाथ में 1200 और गंगोत्री के लिए 600 यात्रियों को एक वक्त में जाने की इजाजत दी है।

सिक्स सिग्मा हेल्थ हाई ऑल्टीटयूड का नाम सुनते ही आंखों के सामने दुगर्म पहाड़ी यात्राएं घूमने लगती हैं। सिक्स सिग्मा को पहाड़ी यात्राओं में चिकित्सा सुविधा के लिए जाना जाता है। केदारनाथ, अमरनाथ, वैष्णो देवी व चारों धाम यात्राओं में हम सब इनके द्वारा निःशुल्क चिकित्साएं लेते आए हैं। केदारनाथ यात्रा को कोर्ट ने फिर से इजाजत दी है। इजाजत मिलने के साथ ही सिक्स सिग्मा की टीमें भी तैयार हो गईं हैं श्रद्धालुओं को चिकित्सा सुविधा के लिए। कोविड के बाद यात्राएं शुरू हो रही हैं तो किस तरह की तैयारियां हैं इसको लेकर सिक्स सिग्मा के संस्थापक डॉ0 प्रदीप भारद्वाज से पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर ने विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्स हिस्से-

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प्रश्न- दुगर्म धार्मिक यात्राओं में चिकित्सा सुविधा देते वक्त किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

उत्तर- सिक्स सिग्मा ये काम वर्षों से करती आई है, अब आदत-सी हो गई है। कुदरत का आशीर्वाद कहें या हमारी टीम का जज्बा, हर तरह की समस्याओं का सामना हंस कर लेते हैं। दुगर्म पहाड़ियों पर चिकित्सकों का प्रबंध कराने के लिए दृढ़ निश्चय, कर्मठता, सेवाभाव का होना जरूरी होता है। इन सभी चीजों से परिपूर्ण चिकित्सक ही इस कारनामे को कर पाते हैं। ऐसे जाबांज डॉक्टरों की टीमों को ही हम तैनाती देते हैं।

प्रश्न- इसमें सरकार किस तरह की भूमिका निभाती है?

उत्तर- बिना सरकार के आदेश और उनके सहयोग से इतनी बड़ी चुनौती पर पार पाना नामुमिकन होगा। यात्राओं का दूसरा चरण शुरू होने को है जिसमें उत्तराखंड सरकार का विशेष सहयोग मिला है। इस बार उनके कई सरकारी चिकित्सक हमारे साथ हैं। सुरक्षा-व्यवस्था का भी उचित प्रबंध किया गया है। मिशन आरंभ करने से पहले सिक्स सिग्मा उत्तराखंड पुलिस एनडीआरएफ को पीटीसी गढ़वाल व जौली ग्रांट में हाई ऐल्टिटूड व मेडिकल रेस्क्यू प्रशिक्षण देगी। जितनी टीमें पहाड़ों पर हमारे साथ तैनात होती हैं, उनको हम ही प्रशिक्षण देते हैं।

प्रश्न- यात्राओं में चिकित्सा व्यवस्था कराने की प्रेरणा आपको कहां से मिली?

उत्तर- देखिए, मानवीय सेवा भाव की ललक हमेशा से रही है। मेरी धर्मपत्नी भी साथ हैं जो सिक्स सिग्मा की अगुआई करती हैं। रही बात प्रेरणा की तो इसका पहला श्रेय मैं अपने पिता जी और दादा जी को देना चाहूंगा। आर्मी घराने से ताल्लुक रखता हूं, पिता जी फौज में रहे हैं। परवरिश भी वैसी ही हुई है।

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प्रश्न- क्या कोविड के चलते बंद हुईं चारों धाम की यात्राएं फिर से आरंभ हो रही हैं?

उत्तर- जी हां। यात्राओं पर लगी रोक को हाईकोर्ट ने हटा दिया है। कुछ नियम कानूनों के साथ जैसे केदारनाथ में एक साथ 800 यात्री, यमुनोत्री में 400, बद्रीनाथ में 1200 और गंगोत्री के लिए 600 यात्रियों को एक वक्त में जाने की इजाजत दी है। चारों धामों में यात्राओं के लिए पहुंचने वाले यात्रियों के स्वास्थ्य सेवा के लिए हमारे कुशल चिकित्सक से लबरेज हेल्थ टीमें तैनात हैं। यात्रियों को इस बार किसी कुंड में स्नान करने की इजाजत नहीं होगी। साथ ही प्रत्येक यात्री को अपने साथ वैक्सीन सर्टिफिकेट व ताजी कोविड रिपोर्ट को लाना अनिवार्य होगा।

प्रश्न- इस बार कैसी तैयारियां हैं आपकी?

उत्तर- केदारनाथ पहुंचने वाले यात्रियों को इस बार और बेहतर चिकित्सा सुविधाएं दी जाएंगी। यात्रा के दौरान ऊपर दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना की टेस्टिंग, वैक्सीनेशन की सुविधा, श्रद्धालुओं के लिए इस बार हाईपरबॉनिक चैंबर का प्रबंध भी किया गया है। साथ ही बेहतर संपर्क स्थापित करने के लिए 11 सैटेलाइट फोन आदि जनसंचार उपकरणों की व्यवस्था की गई है। अगर कोई पॉजिटिव केस आता है तो उसके उचित उपचार की भी व्यवस्था ऊपर ही की गई है, ऐसे मरीज को नीचे नहीं भेजा जाएगा।

  

प्रश्न- प्रधानमंत्री के भी पहुंचने की सूचना है?

उत्तर- जी हां। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार भी आ सकते हैं। हमने आग्रह किया है जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया है। पिछली बार उन्होंने पहुंचकर हमारी टीमों का उत्साह बढ़ाया था। प्रधानमंत्री इस बार केदारनाथ आएंगे।

प्रश्न- सिक्स सिग्मा की शुरुआत कब की आपने?

उत्तर- सिक्स सिग्मा हेल्थ हाई ऑल्टीटयूड की स्थापना 2013 से हुई थी। तभी से हम देशभर की दुगर्म पहाड़ी यात्राओं में श्रद्धालुओं की सेवा कर रहे हैं। इस काम के लिए हमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से सराहना और उच्चस्तरीय सम्मानों से नवाजा जा चुका है। अभी तक कुल देश-विदेश के करीब 20 अवार्ड मिल चुके हैं। हमारे साथ इस समय हजारों की संख्या में लोग हैं जो सभी निस्वार्थ सेवा के लिए जुड़े हैं।

  

बातचीत में जैसा डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने डॉ. रमेश ठाकुर से कहा।

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