आरोग्य सेतु एप पर उठाये जा रहे सवालों का सिलसिलेवार जवाब

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आरोग्य सेतु एप पर उठ रहे कुछ सवालों और इस एप को अनिवार्य बनाए जाने की इस कवायद के बीच यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर यह एप है क्या और कोरोना महामारी से बड़ी जंग लड़ने में इसे जरूरी क्यों माना जा रहा है।

एक तरफ भारत में कोरोना से जंग लड़ने के लिए हर स्मार्टफोन में ‘आरोग्य सेतु’ एप डाउनलोड कराने के लिए भारत सरकार द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है, वहीं विपक्षी दलों के अलावा कई साइबर विशेषज्ञ भी इस एप को लेकर कुछ सवाल उठा रहे हैं। सरकारी हों या निजी संस्थान, हर कर्मचारी के लिए इस एप को मोबाइल फोन में डाउनलोड करना अनिवार्य किया जा चुका है। इसीलिए अब तक 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस एप को इंस्टॉल कर चुके हैं और इसका उपयोग कर रहे हैं। एप 11 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, जिनमें से आप अपनी किसी भी एक पसंदीदा भाषा में इसका उपयोग कर सकते हैं। जहां तक इस एप पर उठते सवालों की बात है तो डाटा और निजता की सुरक्षा को लेकर इस एप पर सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि सरकार द्वारा बार-बार स्पष्ट किया जा रहा है कि यह एप कोरोना संक्रमण के इस दौर में एक कारगर हथियार के रूप में अस्थायी तौर पर बनाया गया है और डाटा तथा निजता की सुरक्षा के मामले में यह बहुत मजबूत है तथा कोरोना से लड़ने में कारगर है।

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इस एप को लेकर हाल ही में जब फ्रांस के एक हैकर व साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ द्वारा सुरक्षा में खामियां होने और इसे हैक करने का दावा किया था, उसके बाद भी केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एल्डर्सन द्वारा उठाए गए तमाम सवालों के जवाब देते हुए इस एप को पूरी तरह सुरक्षित बताया था और एप को लेकर उठ रहे तमाम सवालों को आधारहीन करार दिया था। अधिकार प्राप्त समूह 9 के अध्यक्ष तथा भारत सरकार में सचिव अजय साहनी ने भी स्पष्ट किया है कि इस एप ने कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसे लोगों की निजता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है जिसमें डाटा का दुरूपयोग नहीं होगा। हालांकि जिस प्रकार साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ एप की कुछ कमियों को लगातार चिन्हित कर रहे हैं, ऐसे में उन कमियों की ओर ध्यान देकर उन्हें दूर किया जाना और तमाम विशेषज्ञों की शंका का समाधान करना भी सरकार का दायित्व है।

आरोग्य सेतु एप पर उठ रहे कुछ सवालों और इस एप को अनिवार्य बनाए जाने की इस कवायद के बीच यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर यह एप है क्या और कोरोना महामारी से बड़ी जंग लड़ने में इसे जरूरी क्यों माना जा रहा है। लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने और कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने के उद्देश्य से बनाए गए इस एप को दो अप्रैल को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा लांच किया गया था। इस एप में कोरोना के लक्षण, बचाव तथा रोकथाम से जुड़ी जानकारियां दी गई हैं और अब इसमें कुछ और नए फीचर्स भी जोड़े गए हैं। यह एप लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे तथा जोखिम का आकलन करने में मदद करता है। जिस भी व्यक्ति के फोन में यह एप होगा, वह दूसरों के सम्पर्क में कितना रहा है, यह पता लगाने के लिए ब्लूटूथ तकनीक, एल्गोरिदम इत्यादि तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। हमारे मोबाइल की ब्लूटूथ, जीपीएस तथा मोबाइल नंबर का उपयोग करते हुए यह एप हमारे आसपास मौजूद कोरोना पॉजिटिव लोगों के बारे में पता लगाने में मदद करता है। मोबाइल की ब्लूटूथ तथा लोकेशन ऑन होने पर ही यह एप कार्य करता है क्योंकि इन्हीं के जरिये इस एप को यह पता लगेगा कि आप कब और कहां जा रहे हैं और बाहर आप अनजाने में ही किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में तो नहीं आए हैं।

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यह एप संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने की आशंका के बारे में अलर्ट नोटिफिकेशन देता है। हालांकि यह केवल तभी पता चल सकता है, जब सम्पर्क में आने वाले आसपास के संदिग्ध संक्रमित व्यक्ति ने भी अपने मोबाइल फोन में इसे इंस्टॉल किया हो और यह सक्रिय हो। यही कारण है कि इस एप को ज्यादा से ज्यादा मोबाइल फोनों में इंस्टॉल कराने के लिए अभियान चलाने पर जोर दिया जा रहा है। इस एप को एंड्रॉयड स्मार्टफोन के अलावा आईफोन में भी इंस्टॉल किया जा सकता है। कांटैक्ट ट्रेसिंग के लिए यह एप हमारे मोबाइल नंबर, ब्लूटूथ तथा लोकेशन डाटा का उपयोग करता है और बताता है कि आप कोरोना के जोखिम के दायरे में हैं या नहीं। लोकेशन और ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हुए एप जांचता रहता है कि आपके आसपास कोई संक्रमित व्यक्ति अथवा संभावित संक्रमित तो नहीं है। यदि आप जरूरत के समय में वालेंटियर बनने की इच्छा रखते हैं तो एप रजिस्टर करते समय स्वयं को इसके लिए नामांकित करने का विकल्प भी इसमें मौजूद है। एप में कोरोना से बचाव के लिए कई जरूरी दिशा-निर्देश तथा सुझाव दिए गए हैं।

आरोग्य सेतु एप ‘सेल्फ असेसमेंट टेस्ट’ में दी गई निजी जानकारियों के अलावा लक्षण, बीमारी इत्यादि जानकारियों तथा आपकी लोकेशन के आधार पर बताता है कि आपको कोरोना का कितना जोखिम है और आपको फोन पर परामर्श की, कोरोना का टेस्ट कराने की या डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है अथवा नहीं। इस सेल्फ असेसमेंट टेस्ट के आधार पर ही कोरोना के जोखिम का अंदाजा लगाया जाता है और बाकी लोगों को भी उसी के आधार पर अलर्ट किया जाता है, इसलिए बेहद जरूरी है कि रजिस्टर करते समय इसमें बिल्कुल सही जानकारी दी जाएं। अगर आपको कोरोना का जोखिम है तो एप के जरिये आपको जानकारी मिलेगी कि आपको कोरोना की जांच कराने की जरूरत है या केवल क्वारंटीन से ही काम चल जाएगा। यदि कोरोना परीक्षण कराए जाने की जरूरत है तो यह परीक्षण कहां करा सकते हैं, यह जानकारी भी आपको मिल जाएगी।

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एप में हरे तथा पीले रंग के जोन के जरिये जोखिम का स्तर दर्शाया जाता है। अगर आपके मोबाइल की एप में आपको हरे जोन में दिखाया जाता है तो इसका अर्थ है कि आपको कोई खतरा नहीं है और आप सुरक्षित हैं लेकिन कोरोना से बचने के लिए आपके लिए सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) को बनाए रखना और घर पर रहना आवश्यक है। अगर आपको इस एप में पीले रंग में दिखाया जाता है तो इसका अर्थ है कि आपको बहुत जोखिम है और आपको हैल्पलाइन पर सम्पर्क करना चाहिए। अगर कोई कोरोना पॉजिटिव अथवा कोरोना के लक्षण वाला व्यक्ति आइसोलेशन में न रहकर सार्वजनिक स्थान पर जाता है तो इसकी जानकारी भी प्रशासन तक पहुंच जाएगी। बहरहाल, आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करते समय यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि इस एप को केवल ‘एप्पल स्टोर’ अथवा ‘गूगल प्ले स्टोर’ से ही डाउनलोड और इंस्टॉल करें, इनके अलावा किसी भी अन्य लिंक पर क्लिक करके इसे डाउनलोड करने का प्रयास न करें।

-योगेश कुमार गोयल

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा कई पुस्तकों के लेखक हैं)

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