गरीबी की दर को 55.1 से 27.9 % पर पहुँचाना भारत की बड़ी सफलता

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भारतवर्ष में इन 10 वर्षों के दौरान ग़रीब वर्ग के पास संपत्ति में वृद्धि खाना पकाने के ईंधन की उपलब्धता, स्वच्छता एवं पोषण के क्षेत्रों में अच्छी प्रगति देखने को मिली है। इन क्षेत्रों के अतिरिक्त, आगे वर्णित दो अन्य क्षेत्रों में भी कुछ प्रगति देखने में आई है।

कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा समय-समय पर विश्व के समस्त देशों की रैंकिंग कई मानकों पर तय की जाती है। हाल ही के समय में कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों ने अपने नतीजों की घोषणा की है, उन लगभग सभी नतीजों में भारत ने अपनी रैंकिंग में लम्बी छलाँगें लगाई हैं। यह सब पिछले पाँच वर्षों के दौरान देश में किए जा रहे आर्थिक एवं अन्य सुधारों के कारण सम्भव हो रहा है। 

यूनाइटेड नेशन्स द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारतवर्ष में बहुआयामी ग़रीबी की दर जो वर्ष 2006 में 55.1 प्रतिशत थी वह वर्ष 2016 में घटकर 27.9 प्रतिशत हो गई है। इन 10 वर्षों के दौरान, भारत में 27.10 करोड़ लोगों को बहुआयामी ग़रीबी से बाहर निकाल लिया गया है। इस प्रकार, भारत पूरे विश्व में इस नज़रिए से प्रथम स्थान पर रहा है। बहुआयामी ग़रीबी को नापने के पैमाने में मुख्यतः तीन पैरामीटर शामिल हैं। यथा, नागरिकों के स्वास्थ्य की स्थिति, नागरिकों के शिक्षा का स्तर एवं नागरिकों का जीवन स्तर। भारतवर्ष में इन 10 वर्षों के दौरान ग़रीब वर्ग के पास संपत्ति में वृद्धि खाना पकाने के ईंधन की उपलब्धता, स्वच्छता एवं पोषण के क्षेत्रों में अच्छी प्रगति देखने को मिली है। इन क्षेत्रों के अतिरिक्त, आगे वर्णित दो अन्य क्षेत्रों में भी कुछ प्रगति देखने में आई है। यथा, बिजली की अनुपलब्धता का प्रतिशत 9.1 प्रतिशत लोगों से घटकर 8.6 प्रतिशत हो गया है। आवास की अनुपलब्धता का प्रतिशत भी 44.9 प्रतिशत लोगों से घटकर 23.6 प्रतिशत हो गया है। साक्षरता दर में भी सुधार हो रहा है। उक्त क्षेत्रों में भारत द्वारा की गई उल्लेखनीय प्रगति के लिए यूनाइटेड नेशन्स ने भारत की मुक्त कंठ से सराहना भी की है।

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दिनांक 4 सितम्बर 2019 को वर्ल्ड इकोनोमिक फ़ोरम द्वारा घोषित एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व यात्रा पर्यटन प्रतियोगी सूची में भारत की रैंकिंग वर्ष 2017 के 40वें स्थान से ऊपर उठकर वर्ष 2019 में 34वें स्थान पर आ गई। यह रैंकिंग वर्ल्ड इकोनोमिक फ़ोरम द्वारा प्रत्येक 2 वर्ष में एक बार जारी की जाती है। वर्ष 2015 में भारत की रैंकिंग इस सूची में 52वें स्थान पर थी। इस प्रकार पिछले 4 वर्षों के दौरान भारत ने इस रैंकिंग में 18 स्थानों की छलाँग लगाई है। एशियाई देशों में निम्न मध्य-आय श्रेणी के देशों में केवल भारत ही एक ऐसा देश है जो इस सूची में प्रथम 35 स्थानों के अंदर अपनी जगह बना पाया है। अन्यथा, इस सूची में विकसित एवं मध्य आय श्रेणी के देशों का ही वर्चस्व है। वर्ष 2019 में भारत की, 140 देशों की सूची में, प्रथम 25 प्रतिशत (35) देशों के बीच, यह सबसे लम्बी छलाँग है। वर्ल्ड इकोनोमिक फ़ोरम द्वारा 140 देशों की अर्थव्यवस्थाओं का अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन को 4 श्रेणियों में बाँटा गया है। ये श्रेणियाँ हैं - 1. पर्यावरण की स्थिति, 2. यात्रा एवं पर्यटन नीति एवं इसे लागू करने की स्थिति, 3. बुनियादी ढाँचा, 4. प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक संसाधन। इन चारों श्रेणियों में अध्ययन के लिए 14 आधार बनाए गए। इन 14 आधारों का प्रयोग कर इन समस्त 140 देशों की यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्धा आँकी गई है। उक्त रिपोर्ट के अनुसार, भारत जो उच्च-आय श्रेणी की अर्थव्यवस्था नहीं है, में बहुमूल्य प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक संसाधनों के होने एवं मज़बूत क़ीमत प्रतिस्पर्धा के चलते सांस्कृतिक संसाधनों एवं व्यावसायिक यात्रा के मानकों पर एकदम खरा उतरा है। 

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की अनुसंधान संस्था “नीलसन” द्वारा हाल ही में सम्पन्न किए गए आर्थिक सर्वेक्षण के उपरांत जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, जून 2019 को समाप्त तिमाही में भारत में उपभोक्ता विश्वास सूचकांक का स्तर पूरे विश्व में सबसे अधिक पाया गया है। भारत 138 अंकों के साथ पूरे विश्व में प्रथम पायदान पर रहा है एवं यह स्तर पिछली 6 तिमाहियों के दौरान का सबसे ऊँचा स्तर है। उपरोक्त उच्च स्तरीय उपभोक्ता विश्वास सूचकांक, जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में आई कमी के बावजूद पाया गया है। उक्त सर्वेक्षण में दक्षिण क़ोरीया को 56 अंक, जापान को 79 अंक, ताईवान को 84 अंक, सिंगापुर को 92 अंक, ऑस्ट्रेलिया को 94 अंक, चीन को 115 अंक एवं इंडोनेशिया को 126 अंक मिले हैं।

इसी प्रकार, कुछ अन्य मानकों के अंतर्गत भी भारत की स्थिति में काफ़ी अच्छा सुधार देखने में आया है। वैश्विक प्रतिस्पर्धी सूचकांक में कुल 137 देशों के बीच भारत की रैंकिंग वर्ष 2017 के 63वें स्थान से ऊपर उठकर वर्ष 2019 में 40वें स्थान पर आ गई। यह रैंकिंग विश्व आर्थिक मंच द्वारा जारी की जाती है। इस प्रकार पिछले दो वर्षों के दौरान भारत ने इस रैंकिंग में 23 स्थानों की छलाँग लगाई है।  

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वैश्विक नवाचार सूचकांक में कुल 129 देशों के बीच भारत की रैंकिंग वर्ष 2015 के 81वें स्थान से सुधर कर वर्ष 2019 में 52वें स्थान पर आ गई। इस प्रकार पिछले 4 वर्षों के दौरान भारत ने इस रैंकिंग में 29 स्थानों का उछाल दर्ज किया है। 

व्यापार करने में आसानी सूचकांक में विश्व के कुल 190 देशों के बीच भारत का स्थान वर्ष 2014 में 142वाँ था जो वर्ष 2018 में उछल कर 77वें स्थान पर आ गया, अर्थात् पिछले 4 वर्षों के दौरान 65 स्थानों का उछाल। यह रैंकिंग विश्व बैंक द्वारा जारी की जाती है। 

लाजिस्टिक निष्पादन सूचकांक की घोषणा भी विश्व बैंक द्वारा की जाती है, वर्ष 2014 में विश्व के 167 देशों के बीच भारत की रैंकिंग 54वें स्थान पर थी जो वर्ष 2018 में सुधर कर 44वें स्थान पर आ गई, अर्थात् पिछले 4 वर्षों के दौरान इस रैंकिंग में 10 स्थानों का सुधार दर्ज किया गया।  

अमेरिकी कम्पनी ब्लूमबर्ग ने हाल ही में जारी किए गए नेशन ब्राण्ड 2018 सर्वे में भारत को निवेश के लिहाज़ से एशिया में प्रथम स्थान पर रखा है। 10 में से 7 सूचकांकों में भारत को प्रथम स्थान पर बताया गया है, शेष अन्य 3 सूचकांकों में भी भारत की स्थिति काफ़ी अच्छी बतायी गयी है।

उक्त वर्णित विभिन्न रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार के लिए देश में धरातल स्तर पर जाकर व्यवस्थाओं में सुधार किया गया है। व्यवसाय करने सम्बंधी कई नियमों को आसान बनाया गया है। उदाहरण के तौर पर पहले बिजली कनेक्शन लेने के लिए उद्योगों को कई माह लग जाते थे, अब कुछ दिनों के भीतर ही बिजली कनेक्शन मिलने लगा है। इसी तरह, कम्पनी के रजिस्ट्रेशन के लिए पहले कई हफ़्ते लग जाते थे अब कुछ ही घंटों में कम्पनी का रजिस्ट्रेशन हो जाता है। इस प्रकार, अब विश्व के देशों का भी ध्यान भारत में हो रहे विभिन्न सुधारों की ओर जा रहा है। 

-प्रह्लाद सबनानी

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