साक्षात्कार- ऐसा भी क्या डर, दरबारी कवियों की फौज ही लगा दी पीछेः नेहा सिंह राठौर

Neha Singh Rathore

समझ में नहीं आता भाजपाइयों को क्यों मेरे गाने से चिड़ हुई। आलोचना के तौर पर ही बर्दाश्त कर लेते। सरकारों की आलोचनाएं करना बुराई तो है नहीं? गाना ही तो गाया है मैंने, बम तो फोड़ा नहीं है। सरकार ने पूरी की पूरी फौज ही मेरे पीछे लगा दी।

यूपी विधानसभा चुनाव में ‘का बा’ गाने ने सत्तापक्ष के लिए चुनावी सरगर्मियां बढ़ाई हुई हैं। चुनाव फिलहाल अंतिम दौर में हैं, लेकिन इस गाने ने ना सिर्फ सोशल मीडिया पर हंगामा काटा, बल्कि वोटरों की जुबान पर भी छाया रहा। हंगामा इस कदर कटा कि भाजपा समर्पित कई सिंगरों को मैदान पर उतरकर मोर्चा संभालना पड़ा। सांसद रवि किशन को भी ‘का बा’ के जवाब में ’यूपी में सब बा’ गाकर जवाब देना पड़ा। गाना बिहार की लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने गाया है। उनसे रमेश ठाकुर ने विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से।

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प्रश्नः ‘यूपी में का बा’ के बाद तो बखेड़ा ही खड़ा हो गया? 

हंसते हुए ये सवाल भाजपा वालों से पूछा जाए कि आखिर उन्हें परेशान किस बात की है। क्यों अखर रहा है मेरा गाना। उन्हें कोई बताए, अरे भईया मैं कलाकार हूं, कला और कलाकार को राजनीति से जितना दूर रखा जाए, बेहतर है। मेरे गाने का जबाव देने के लिए उन्होंने अपने दरबारी कवियों की लंबी फौज खड़ी कर दी। ताज्जुब होता है देखकर। मैंने बिहार चुनाव के वक्त भी ‘का बा’ गाया था और अब भी गाया है। आगे भी गाती रहूंगी।

प्रश्नः लेकिन विवादों में तो आपको फिर से घेर लिया?

समझ में नहीं आता भाजपाइयों को क्यों मेरे गाने से चिड़ हुई। आलोचना के तौर पर ही बर्दाश्त कर लेते। सरकारों की आलोचनाएं करना बुराई तो है नहीं? गाना ही तो गाया है मैंने, बम तो फोड़ा नहीं है। सरकार ने पूरी की पूरी फौज ही मेरे पीछे लगा दी। सोशल मीडिया पर गाली दे रहे हैं लोग मुझे। हालांकि मैंने किसी को कोई भला बुरा नहीं कहा, किसी को तोड़कर जवाब भी नहीं दिया। किसी से बदतमीजी से पेश आना मुझे पसंद नहीं।

प्रश्नः रवि किशन से लेकर कई गायक आपके गाने का अपने तरीके से जवाब दे रहे हैं?

उन तरीकों पर थोड़ा गंभीरता से सोचे तो पता चलेगा, वो सभी अपने आंकाओं को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं जिनका आप नाम ले रहो हो, वो उनके सांसद हैं, एक और महिला गायक हैं उनके पति भी अभी हाल में भाजपा से जुड़े हैं। ऐसे लोगों पर मैं प्रतिक्रियाएं देना उचित नहीं समझती। मेरा किसी वास्तविक कलाकार ने विरोध नहीं किया। बाकियों की मैं परवाह नहीं करती।

प्रश्नः आप जो गाती हैं, वो खुद लिखती हैं क्या?

मुझे गाने के साथ-साथ लिखने का शौक शुरू से रहा है। मैं सामाजिक मुद्दों पर खुद ही गाना लिखती हूं और उन्हें गाती हूं। सिंगर जब खुद का लिखा गाते हैं, तो गाने के स्वर और गहरा जाते हैं। मुझे अच्छा लगता है जब लोग मेरे गाए गानों को सोशल मीडिया पर पसंद किया जाता है। कमेंट करते हैं और शुभकामनाएं देते हैं लोग। वैसे, मुझे अपना ही लिखा गाया ज्यादा पसंद होता है।

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प्रश्नः आप चुनावी समय में ही क्यों इतनी एक्टिव होती हैं?

क्यों भई, गायन के जरिए अपनी बात कहना कौन सा गुनाह है। हमें सरकार की नीतियां अच्छी नहीं लगेगी, तो जरूर बोलेंगे। फिर चाहें गाने के जरिए या फिर विरोध-प्रदर्शन करके। ये हमारा मौलिक अधिकार है, जिसे हम कभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। रही बात चुनाव के समय में गाने की तो मैं आपको बता दूं, मेरा गायन हमेशा चालू रहता है। कोरोना के वक्त जागरूकता फैलाने के लिए भी मैंने भोजपुरी में एक गाना गाया था जिसने खूब सुर्खियां बटोरी थी।

प्रश्नः कुछ अपने विषय में बताइए?

भाई खुली किताब जैसी है अपनी जिंदगी। बिहार के कैमूर जिले के जलदहां गांव मेरा 1997 में जन्म हुआ था। साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हूं। कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। गाने का शौक बचपन से रहा है। खुशनसीब हूं कि मुझे आज 3 मिलियन से भी अधिक लोग फॉलो करते हैं।

  

प्रश्नः पहला गाना कौन सा था जिसने आपको पहचान दिलाई?

मेरी सिंगिंग यात्रा साल-2018 में आरंभ हुई थी। भोजपुरी भाषा में गाना शुरू किया था। अब अन्य भाषाओं में भी गाती हूं। मेरा पहला गाना था “रोजगर देब का करबा नाटक“ जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया, उसके बाद गायन का सिलसिला शुरू है। आगे देखते हैं तकदीर कहां ले जाती है।

प्रश्नः क्या कभी राजनीति में भी आ सकती हैं?

ना बाबा ना! अपन के बस की बात राजनीति करना नहीं? मैं जो हूं उसमें खुश हूं। गायन में जो मान-सम्मान देशवासी देते हैं, वो शायद किसी दूसरे क्षेत्र में ना मिले। इसलिए अपना राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं।   

- रमेश ठाकुर

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