सेवा पखवाड़ा: जनसेवा से जनविश्वास तक की यात्रा

Narendra Modi
ANI
पवन शुक्ला । Sep 19 2025 1:04PM

भाजपा का सेवा पखवाड़ा केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि सेवा को राजनीति की आत्मा बनाने का प्रयास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 75वें जन्मदिन से शुरू होकर गांधी जयंती तक चलने वाला यह पखवाड़ा राष्ट्र को यह संदेश देता है कि जनसेवा ही जनसंपर्क की सबसे पवित्र भाषा है।

प्रधानमंत्री मोदी के 75वें जन्मदिन से गांधी जयंती तक चल रहा भाजपा का सेवा पखवाड़ा, जिसने जनता के मन में आशा, विश्वास और आत्मगौरव की नई ऊर्जा जगाई 

सेवा का उत्सव, विश्वास का संकल्प 

भाजपा का सेवा पखवाड़ा केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि सेवा को राजनीति की आत्मा बनाने का प्रयास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 75वें जन्मदिन से शुरू होकर गांधी जयंती तक चलने वाला यह पखवाड़ा राष्ट्र को यह संदेश देता है कि जनसेवा ही जनसंपर्क की सबसे पवित्र भाषा है। जब लाखों कार्यकर्ता झाड़ू लेकर गली-मोहल्लों में उतरते हैं, रक्तदान करते हैं, पौधारोपण करते हैं और स्वास्थ्य शिविर लगाते हैं, तो यह केवल काम नहीं, बल्कि एक भावना है—“मैं भी अपने देश के लिए कुछ कर रहा हूँ।”

सेवा पखवाड़े के दौरान हर कोने में सेवा की तस्वीरें दिखीं। कहीं स्कूली बच्चों को मुफ़्त दवाइयाँ मिलीं, कहीं युवाओं ने रक्तदान कर जीवन बचाने का संकल्प लिया। दिल्ली में अधोसंरचना परियोजनाओं की सौगात दी गई तो मध्य प्रदेश में महिलाओं के स्वास्थ्य पर केंद्रित अभियान चला। लखनऊ की सड़कों पर मंत्री से लेकर सफाईकर्मी तक एक साथ झाड़ू उठाते दिखे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा—“हमारे जीवन का मूलमंत्र ही सेवा है। अगर माँ स्वस्थ होगी, तो परिवार सशक्त होगा और परिवार सशक्त होगा तो राष्ट्र सशक्त बनेगा।”

बदलती मनोवृत्ति, बढ़ता आत्मविश्वास 

उत्तर प्रदेश में एक ही दिन में 391 रक्तदान शिविर आयोजित हुए, जिनमें 7287 लोगों ने रक्तदान किया। दिल्ली में 3000 करोड़ रुपये का अधोसंरचना पैकेज घोषित हुआ। मध्य प्रदेश में ‘स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार’ की पहल शुरू हुई। ये आंकड़े केवल योजनाएँ नहीं बताते, बल्कि यह दर्शाते हैं कि जनता और सरकार के बीच की दूरी कम हो रही है।

गृह मंत्री अमित शाह जी ने इस अवसर पर कहा—“मैं मोदी जी को २४ वर्षों से जानता हूँ। उन्होंने इस पूरे समय में एक भी छुट्टी नहीं ली। जिनका जीवन ही सेवा है, उनके लिए सेवा पखवाड़ा सबसे बड़ा उत्सव है।”

जनता के बीच भी इस अभियान ने विश्वास जगाया। हरिद्वार के एक बुज़ुर्ग ने स्वास्थ्य शिविर में भावुक होकर कहा—“बेटा, पहले इलाज के लिए हमें शहर भागना पड़ता था। आज दवाइयाँ हमारे दरवाज़े पर आ रही हैं। यही असली सेवा है।” लखनऊ में एक युवती ने पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान मुस्कुराकर कहा—“अब लगता है कि स्वच्छता और हरियाली हमारी भी जिम्मेदारी है, सिर्फ सरकार की नहीं।”

मोदी और जनता—सेवा से शक्ति तक 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेवा पखवाड़े को केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि विकसित भारत के चार स्तंभ—महिला, युवा, गरीब और किसान—को सशक्त करने का अभियान बताया। इस दौरान महिलाओं के लिए स्वास्थ्य शिविर, युवाओं के लिए रक्तदान और पौधारोपण, किसानों के लिए तकनीकी सहयोग और गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ चलाई गईं। हर कोने से जनता की आवाज़ गूँजी कि अब सेवा सिर्फ़ नारा नहीं, बल्कि उनकी ज़िंदगी में उतर रही हकीकत है।

यह पखवाड़ा प्रधानमंत्री की “जनसेवक” छवि को और गहरा करता है। जब एक किसान कहता है “अगर यह सेवा निरंतर चले तो गाँव बदल जाएगा” और एक छात्र कहता है “हम भी देश बदलने की ताक़त रखते हैं”—तो यह बताता है कि सेवा से ही शक्ति का जन्म होता है। सेवा पखवाड़ा केवल भाजपा या मोदी के लिए राजनीतिक पूंजी नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए आत्मविश्वास और आशा का नया स्रोत बन चुका है।

 निष्कर्ष 

सेवा पखवाड़ा आज एक उत्सव है—सेवा का, सामूहिकता का और आत्मविश्वास का। यह अभियान हमें याद दिलाता है कि राष्ट्र निर्माण केवल नीतियों से नहीं, बल्कि सेवा की निरंतर धारा से होता है। मोदी जी की छवि आज केवल प्रधानमंत्री की नहीं, बल्कि “जनसेवक” की है। जनता भी अब यही कह रही है—“अगर नेता हमारे साथ खड़े हैं, तो हम भी पीछे नहीं हटेंगे।” यही वह मनोबल है जो भारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाएगा।

- पवन शुक्ला

(लेखक लखनऊ उच्च न्यायालय में राज्य विधि अधिकारी हैं और राजनीतिक विश्लेषक भी)

(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)
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