Interview: कीर्ति आजाद ने कहा- भ्रष्टाचार को पनाह देने वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है भाजपा

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ANI

कीर्ति आजाद ने कहा कि मुझे लगता है, गलत को गलत बोलते रहना चाहिए। प्रधानमंत्री खुद कहते हैं कि उन्हें भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से सख्त नफरत है। लेकिन हो उसके उलट रहा है। जितने भी बड़े भ्रष्टाचार इस वक्त देश में हैं, सभी को उन्होंने अपने साथ बुला लिया।

बेबाक बोलने वाला व्यक्ति कहीं भी रहे, अपनी शैली से समझौता नहीं करता। पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद जैसे किक्रेट में धाकड़ रहे, वैसे ही राजनीति में भी हैं। भाजपा में एक लंबा समय बिताया, लेकिन डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार को लेकर आवाज उठाना उनको कभी महंगा पड़ा था। उसके बाद उन्हें बाहर कर दिया गया। इस वक्त तृणमूल कांग्रेस में हैं। पर, बेबाकी उनमें अब भी बरकरार है। केंद्र सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री पर हमेशा हमलावर रहते हैं। महाराष्ट्र में घटे सियासी समीकरण के पीछे भी भाजपा की चाल बताते हैं। ऐसे तमाम सियासी मसलों को लेकर पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं मुख्य हिस्से-

प्रश्नः 2024 में टीएमसी की क्या होगी रणनीति?

उत्तर- मजबूती से चुनाव लड़ेंगे, देश में फैली नफरत को मिटाएंगे। चुनाव में असल मुद्दों के साथ उतरेंगे। बनावटी और दिखावटी खेल हम कभी खेलते नहीं? देखिए, हिंदुस्तान में गंदी राजनीति चारों ओर पनप चुकी है, उसे दूर करने का हम सबसे पहले प्रयास करेंगे। वैसे, जनता ने खुद मन बना लिया है। बंगाल में गंदी सियासत ने सारे के सारे जतन किए, लेकिन ममता दीदी ने सबको धूल चटा दी। निकाय चुनाव में भी पार्टी बंपर विजय हासिल करेगी। मैं बंगाल की जनता को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने विपरीत माहौल में भी दीदी का साथ नहीं छोड़ा। विधानसभा चुनाव में भाजपाइयों ने बरगलाकर जितने टीएमसी कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ा था, वह सभी एक-एक करके वापस आ रहे हैं।

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प्रश्नः भ्रष्टाचार को लेकर आप केंद्र सरकार के खिलाफ लंबे समय से मुखर हैं?

उत्तर- मुझे लगता है, गलत को गलत बोलते रहना चाहिए। प्रधानमंत्री खुद कहते हैं कि उन्हें भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से सख्त नफरत है। लेकिन हो उसके उलट रहा है। जितने भी बड़े भ्रष्टाचार इस वक्त देश में हैं, सभी को उन्होंने अपने साथ बुला लिया। इसका संदेश तो यही है कि भ्रष्टाचार बाहर रहकर ना करें, भाजपा में आकर करें। कुछ दिन पहले ही उन्होंने एनसीपी को भ्रष्टाचारी बताया था, दूसरे दिन उनके बड़े नेता को अपने साथ बुला लिया। डबल चेहरे और डबल मापदंड बड़े कद के नेताओं को नहीं अपनाने चाहिए, विशेषकर प्रधानमंत्री के पद पर बैठे इंसान को।

प्रश्नः आपने कभी भाजपा को लोकतांत्रिक पार्टी बताया था?

उत्तर- मैं अब भी कहता हूं, भारतीय जनता पार्टी एक लोकतांत्रिक सियासी दल रहा है। पर अब नहीं है? अटल-आडवाणी के वक्त पार्टी में संस्कार हुआ करता था। लेकिन अब उसके विपरीत होने लगा है। पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचने वाले लोग नकार दिए गए हैं। आडवाणी जी के साथ क्या हुआ, ये देश के लोगों को बताने की जरूरत नहीं? एक वक्त था जब मैं, आडवाणी जी, अटल जी, सुषमा, जोशी जी, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे नेता एक कमरे में बैठकर नियम-निर्णय तय करते थे। उस समय मन में भाव सिर्फ जनसेवा का होता था। लेकिन अब पार्टी का पूरा स्वरूप ही बदल गया। पार्टी अब सिर्फ दो लोगों के इशारे पर चलती है। किसी तीसरे की कोई हैसियत नहीं, जो कोई अपने स्तर पर फैसला कर पाए।

प्रश्नः प्रधानमंत्री तो कहते हैं, वह एक-एक करके सभी भ्रष्टाचारियों की कमर तोड़ते जा रहे हैं?

उत्तर- भ्रष्टाचारियों को पनाह देने के मामले में भाजपा इस समय दुनिया की अव्वल पार्टी बन चुकी है। ऐसा कीर्तिमान आजतक शायद किसी अन्य दल ने नहीं बनाया हो। मैं आपको बता दूं, प्रधानमंत्री कमर नहीं तोड़ रहे हैं, बल्कि डरा रहे हैं, जांच एजेंसियों के जरिए, ताकि वो जल्द अपना पता बदलें और भाजपा में आएं। हो भी यही रहा है। महाराष्ट्र की घटना को ही देख लो, एनसीपी के जितने विधायकों को मंत्री बनाया गया है, वह कहीं न कही किसी मामले में फंसे हैं। खैर, अब वह चैन की सांस ले रहे होंगे और प्रधानमंत्री का शुक्रिया बोल रहे होंगे।

प्रश्नः विजय माल्या को भगाने में भी आपने कभी अरुण जेटली की भूमिका बताई थी और उसकी सजा भी भुगती?  

  

उत्तर- हां बिल्कुल? मैं अपने बयान पर आज भी कायम हूं। पब्लिक डोमेन में मैंने तब भी बताया था कि दोपहर में विजय माल्या तब के वित्त मंत्री अरूण जेटली से मिलते हैं, और उन्हें बोला जाता है कि तुम अरेस्ट होने वाले हो और उसी शाम को वो देश छोड़कर भाग जाता है। समझने वाली बात है कि जिस आदमी पर भ्रष्टाचार के इतने आरोप हों और उसे सचेत कर दिया जाए, जाहिर है वो भागेगा ही। केंद्र सरकार अगर चाहती तो दिल्ली एयरपोर्ट से ही उसे दबोच लेती। लेकिन उसे आसानी से जाने दिया। मैंने डीडीसीए के भ्रष्टाचार को भी उजागर किया था। खैर, वो पुरानी बातें हैं।

-डॉ. रमेश ठाकुर

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