क्या जमाना है! जब तक पोस्ट शेयर न कर दें तब तक सुबह ही नहीं होती

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शैलजा चौधरी । Sep 20 2018 1:43PM

वैश्विक स्तर पर हुए शोध साक्षी हैं कि लोगों में सोशल मीडिया की लत दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। भारत में में तो यह स्थिति ज्यादा सोचनीय है। न्यूयॉर्क में हुए एक शोध के अनुसार सोशल मीडिया की लत लगना आपके व्यक्तित्व पर निर्भर करता है।

आभासी दुनिया भी कुछ ऐसे जाल की तरह बुने और बिखरी हैं जिसमें हम रोज़ वायदे करते हैं कि आज मैं वाट्सएप नहीं करूंगा। आज से फेसबुक नहीं झांकूंगा आदि। लेकिन सुबह होते ही हम इन्हीं जालों में फंसते चले जाते हैं। आनंद लेते चलते हैं। पता हीं नहीं चलता कि कब हम इस गिरफ्त में फंसते चले गए। सोशल मीडिया का फसान भी दिलचस्प है न चाहते हुए भी दिन में कई मर्तबा फोन के पेट में हाथ डाल कर टटोलते हैं कि किसने क्या लिखा, क्या उगला। पता नहीं हमें कोफ्त क्यों नहीं होता। हालांकि हम सब कहीं न कहीं कभी न कभी इसकी बुराई भी करते हैं और जीवन का हिस्सा भर बना चुके हैं। हम कितने खुश होते हैं जब हमारा छोटा बच्चा फोन में बिना हमारी मदद के विभिन्न किस्म के चित्र, वीडियो आदि सर्च कर मस्त हो जाता है। हमें फक्र होता है कि हमारा बच्चा सोशल मीडिया में दक्ष है। जनाब बिना किसी की मदद के सर्च में हमें पीछे छोड़ देता है। लेकिन वही बच्चा हमारी आंखों की किरकिरी तब बन जाता है जब रात दिन उसी सोशल मीडिया में गुप रहने लगता है।

   

सोशल मीडिया ने पूरी दुनिया हमारे एक क्लिक में समा दी है। किसी भी देश के प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति, नासा से लेकर हमारे तमाम शहरों की नगर पालिकाओं और बड़े घरों के किशोरों से लेकर इंटरनेट तक पहुंच वाले अतिसामान्य घरों के वृद्ध तक फेसबुक, व्हाट्सएप व ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर हैं। यानी आभासी दुनिया में न कोई उम्र की सीमा है और न ही कोई बंधन। तकनीक जिस तेज़ी से बदल रही है उसमें संवाद के तौर तरीके भी बदल चुके हैं। कम्प्यूटर, लैपटॉप गुजरे जमाने की बातें हैं। अब तो सिर्फ बेहद कम रुपयों में स्मार्टफोन के जरिए लोग इस आभासी दुनिया में दिन-रात गोते लगाते दिखते हैं। जिस तकनीक ने आम आदमी को दुनिया से जुड़ने की ताकत दी वहीं इस तकनीक से संचालित आभासी दुनिया में आत्मघाती प्रवृति, नशे और कई अपराधों को भी बढ़ावा दिया है।

वैश्विक स्तर पर हुए शोध साक्षी हैं कि लोगों में सोशल मीडिया की लत दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। भारत में में तो यह स्थिति ज्यादा सोचनीय है। न्यूयॉर्क में हुए एक शोध के अनुसार सोशल मीडिया की लत लगना आपके व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। मनोविज्ञान में व्यक्तित्व के 'बिग फाइव' यानि पांच बड़े कारकों को बताया गया है, जिसमें से मनोविक्षुब्धता, कर्तव्यनिष्ठा और सहमतता कारकों का सोशल मीडिया की लत से संबंध देखा गया।

फेसबुक पर जब तक पोस्ट न करें, इंस्टाग्राम पर फोटो अपलोड न करें, व्हॉट्सएप पर पोस्ट शेयर न करें, तब तक 21वीं सदी की सुबह शुरू नहीं होती। सोशल मीडिया हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है। सोशल मीडिया को आज के युग का अभिन्न अंग माना जाए तो इसमें किसी को कोई ऐतराज नहीं होनी चाहिए। आज किसी से फोन पर कम, सोशल मीडिया के किसी प्लेटफॉर्म पर ज्यादा बात होती है। किसी को शुभकामनाएं देने, संदेश भेजने, बात करने में सोशल मीडिया का बहुत बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। इस मीडिया के उपयोग का सबसे बड़ा कारण इसकी काम करने की क्षमता है। अत्यंत तीर्व रफ़्तार से सन्देश को संप्रेषित करने की क्षमता ही आज के युवा को लुभा रही है। सोशल मीडिया क्या है? यह वह मीडिया है, जो एक आभासी दुनिया का निर्माण करता है, इस दुनिया के बाशिन्दे भी आकाश में होते हैं, हम इनसे शब्दों में या फोटो में अपनी बात साझा करते हैं लेकिन होते तो आकाश में ही हैं ना। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों में फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, स्नैपचैट, वाइवर, हाइक आदि हैं।

सच पूछें तो सोशल मीडिया के अत्यधिक प्रयोग के बाद से समस्याएं बढ़ी हैं। आप बड़े बड़े लोग जो हमारी पहुंच से दूर हैं, अब हम उन हस्तियों को भी संदेश भेज सकते हैं। पहले यह शक्ति आम आदमी के पास नहीं थी। यह नशा अब हमें भी भ्रमित कर रहा है। हम असली दुनिया से कटते जा रहे हैं। असली दुनिया में हमारे मित्र सीमित होते जा रहे हैं। हमने खेल के मैदानों में जाना बंद कर दिया है। इस नकली या आभासी दुनिया में हम खूब रमे हैं। अपराध भी बढ़े हैं और अलग-अलग किस्म के बढ़े हैं। 

सोशल मीडिया संचार का सबसे तेज माध्यम है जिसमें जानकारियों का आदान-प्रदान सतत जारी रहता है। सोशल मीडिया का सर्वाधिक उपयोग युवाओं के बीच हो रहा है। इसके उपयोग के पीछे सबसे बड़ा कारण है इसके फीचर। लिंक, डॉक्यूमेंट, फोटो, वीडियो आदि को आसानी से शेयर किया जा सकता है, वो भी कुछ मिनटों या सेकंडों में। युवाओं के बीच इसका क्रेज इसलिए भी है, क्योंकि यह सब कुछ एक जगह ही उपलब्ध हो जाता है।

विश्व की जनसंख्या लगभग 7 अरब है जिनमें से 3 अरब लोग इंटरनेट यूजर्स हैं। भारत भी सोशल मीडिया के प्रभाव से अछूता नहीं रहा है। सोशल मीडिया के बहुत सारे फायदे हैं, वहीं कुछ नुकसान भी हैं। लोग अपनी मनचाही जानकारी प्राप्त करने में घंटों लगा देते हैं जिसे सीधे तौर पर समय की बर्बादी कहा जा सकता है। हर मिनट, हर घंटे, हर दिन नई जानकारियां अपलोड की जाती हैं गलत जानकारी, फोटो व वीडियो शेयर किए जाते हैं जिससे कभी-कभी दंगे तक भड़क जाते हैं। सोशल मीडिया के कंटेंट पर किसी का कंट्रोल न होने से अश्लील सामग्री का प्रसार-प्रचार बढ़ा है। लोग फेक आईडी बनाकर दूसरों को परेशान कर रहे हैं। आजकल सोशल मीडिया ने बैंक फ्रॉड को आसान बना दिया है।

फेसबुक, सोशल मीडिया, स्मार्ट मोबाइल फोन… आदि यह सब आज के युवाओं के लिए उतना ही असली है जितना हमारे लिए बातचीत करना है। उनके लिए वह उनके जीवन का एक विस्तार है। एक जगह पर आकर उनके फेसबुक के मित्र और वास्तविक जीवन के मित्र दोनों घुलमिल जाते हैं। समस्या कहीं से भी आ रही हो हमें उनको समर्थन और मार्गदर्शन देने की जरूरत है। मार्गदर्शन यानी जीवन में संतुलन कैसे लाएं। जैसे अगर वास्तविक जीवन में हमारी मित्रता संतुलित है तो हम फेसबुक मित्रता भी सकारात्मक रख सकेंगे। अब चूंकि जीवन में कुछ अच्छा नहीं चल रहा है तो वे आभासी दुनिया में वह प्रेम या मित्रता पाने की चाह रखते हैं और इसी कारण वे समस्याओं में पड़ जाते हैं।

इंटरनेट हमारे सोचने का तरीका बदल रहा है। यह हमें सोशल मीडिया के अनुरूप ही सोचने के लिए प्रेरित करने लगा है। हम कहीं जाते हैं या किसी के साथ होते हैं तो तुरंत दिमाग में आता है कि यह सेल्फी अगर मैं ट्विटर पर डाल दूंगा तो इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। हम कोई टिप्पणी या बात कहीं सुनते या देखते हैं तो तुरंत लिख लेते हैं कि बाद में फेसबुक पर डाल देंगे। तो हमारे लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट इतना प्रमुख बन गया है जिसका कोई औचित्य नहीं है।

-शैलजा चौधरी

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