31 जुलाई से पहले भरिए आयकर रिटर्न, जानिए आयकर रिटर्न क्या है?

file ITR before 31st july, know what is income tax?
कमलेश पांडे । Jun 11 2018 4:04PM

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है, क्योंकि आयकर जमा करने के बाद ही बारी आती है आयकर रिटर्न दाखिल करने की। ऐसा करके यानी कि रिटर्न ई-फाइलिंग के बाद ही आप निश्चिंत हो सकते हैं।

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है, क्योंकि आयकर जमा करने के बाद ही बारी आती है आयकर रिटर्न दाखिल करने की। ऐसा करके यानी कि रिटर्न ई-फाइलिंग के बाद ही आप निश्चिंत हो सकते हैं कि आपने सम्बन्धित साल का टैक्स संबंधी पूरा हिसाब-किताब बराबर करके उसे आयकर विभाग को दे दिया है। दरअसल किसी भी वित्तीय वर्ष के दौरान आप जो अग्रिम कर, टीडीएस आदि के माध्यम से टैक्स जमा किए रहते हैं, इनकम टैक्स रिटर्न में उसका पूरा लेखा-जोखा सरकार को सौंपना होता है। इसलिए अब विलम्ब मत कीजिए, क्योंकि जैसे जैसे अंतिम तिथि नजदीक आती है, लोगों की आपाधापी बढ़ जाती है। इसलिए तुरंत अपने सीए से सम्पर्क कीजिए और बिना समय गंवाए आयकर रिटर्न दाखिल करके निश्चिंत हो जाइए।

दरअसल, आयकर रिटर्न सिर्फ लेखा-जोखा ही नहीं है, बल्कि अगर आपने कुछ टैक्स कम जमा किया हुआ है तो आयकर रिटर्न उसे जानने और भुगतान करने का भी एक और मौका देता है। यदि आपने ज्यादा टैक्स जमा कर दिया है तो उसे वापस पाने का भी एक रास्ता देता है। लिहाजा, प्रत्येक कर अदाकर्ता को आयकर रिटर्न भरना जरूरी होता है। यदि आप पर टैक्स सम्बन्धी देनदारी नहीं भी बनती हो तो भी आयकर रिटर्न भरना बेहतर ही होता है।

वैसे आपको पता होगा कि भारत में हर तरह से कमाई करने वाले शख्स को आयकर देना होगा। इससे सिर्फ उन्हीं लोगों को राहत मिली हुई है जिनकी कमाई बेसिक छूट की सीमा से कम है। यह सीमा फिलहाल 2.5 लाख रुपए है। इसके ऊपर ही आयकर लगता है। जबकि कर बचाने के कई सुगम/सुलभ प्रावधान भी मौजूद हैं जिन पर चर्चा आगे करेंगे। फिलवक्त इतना याद रखिए कि यह आयकर भी चरणबद्ध तरीके से ही लगता है। जैसे जैसे आपकी कमाई बढ़ती जाएगी, वैसे वैसे कर का दर भी अधिक होता जाएगा। दरअसल इनकम स्लैब के हिसाब से कर की दर फिक्स होती है। भारत सरकार प्रतिवर्ष बजट में आयकर स्लैब रेट की समीक्षा करती है।

#जानिए कि आयकर रिटर्न भरने से क्या-क्या लाभ होगा:-

चाहे आप आयकर के दायरे में आते हों अथवा नहीं आते हों, आप वेतनभोगी हों या बिजनेसमैन या फिर स्वरोजगारी, आपके लिए आयकर रिटर्न भरना हर तरीके से बेहतर होता है। क्योंकि जब आप आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं तो उसके बाद आपको एक सर्टिफिकेट भी मिलता है, जो आगे आपके खिलाफ किसी भी तरह की विभागीय जांच पड़ताल में आपके पक्ष में काम करता है। यही नहीं, यदि आप गृह कर्ज, शैक्षणिक कर्ज, वाहन कर्ज, पर्सनल लोन आदि के लिए आवेदन करते हैं तो आयकर रिटर्न आपकी आमदनी का एक प्रमाणित दस्तावेज होता है, जिससे लोन मंजूर होने की प्रक्रिया भी बहुत आसानी और तेजी से होती है। इसके अलावा, आपका घर या जमीन जैसी अचल संपत्ति की रजिस्ट्री करवाने में भी यह टैक्स रिटर्न बेहद मददगार होता है। यदि आप विदेश जाना चाहते हैं तो वीजा पाने के लिए भी आयकर रिटर्न भरना जरूरी होता है। कहने का तात्पर्य यह कि अगर आप विदेश जाने की हसरत रखते हैं तो आपका आयकर रिटर्न दाखिल होना बहुत जरूरी है। यदि आप वेतनभोगी नहीं भी हैं तो भी रिटर्न न दाखिल होने की स्थिति में बैंक आपको क्रेडिट कार्ड की सुविधा कतई नहीं दे सकता है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि आर्थिक एवं अन्य क्षेत्रों में प्रगति सही वित्तीय योजना (फाइनेंसियल प्लानिंग) पर निर्भर होती है। इसलिए आपकी आय का सही हिसाब-किताब रखने में यह काफी सहायक होता है। कुल मिलाकर आपके लिए यही सलाह बेहतर होगा कि आप आयकर रिटर्न जरूर फाइल करें। ऐसा समय रहते ही करें, अन्यथा आपको परेशानी भी हो सकती है।

#आइए जानते हैं कि किनके लिए आयकर रिटर्न भरना जरूरी होता है:-

यदि आपकी आमदनी बेसिक एक्जेम्पशन लिमिट से ऊपर है तो विभागीय नियमों के मुताबिक आपको आयकर रिटर्न भरना जरूरी होता है। इसके अलावा, कुछ अन्य स्थितियों में भी यह रिटर्न भरना नितांत आवश्यक होता है। खासकर, वेतन पाने वाले ऐसे लोग जिनकी कंपनी या नियोक्ता की ओर से टीडीएस काटा जाता है, उसे यह रिटर्न भरना बहुत जरूरी होता है। इसके अलावा, जिनका खुद का बिजनेस या स्वरोजगार हो, ऐसे लोग जो अग्रिम कर जमा करते हैं, उसमें कुछ कमी या बेसी हो चुकी है तो उसे संतुलित करने का भी यह एक अंतिम अवसर होता है। 

यही नहीं, वेतन और स्वरोजगार के अलावा अगर आपकी आमदनी किसी भी अन्य तरीके से होती है, जैसे कि घर या प्रॉपर्टी से किराया, बैंक डिपॉजिट से ब्याज, शेयर बाजार से लाभ आदि, तो इसका विवरण भी दाखिल करना जरूरी होता है। कर छूट की सीमा में नहीं आने वाले शेयर, म्यूचुअल फंड आदि से कोई दीर्घ अवधि पूंजी लाभ (लांग टर्म कैपिटल गेन) हुआ हो; अथवा, बिजनेस में अगर आपको कोई नुकसान हुआ है तो टैक्स रिफंड पाने के लिए भी आयकर रिटर्न भरना आवश्यक होता है। 

आपको बता दें कि कंपनी, साझेदारी फर्म और गैर लाभकारी संगठनों को भी आयकर रिटर्न भरना जरूरी होता है। यदि आप टैक्स ऑडिट के दायरे में आने वाले व्यक्ति हैं, या आप किसी चैरिटेबल या धाार्मिक कार्य के लिए बने ट्रस्ट की संपत्ति से आमदनी प्राप्त कर रहे हैं, या फिर विदेश में रहने वाले ऐसे भारतीय (एनआरआई) जिनकी आमदनी करदेयता योग्य (टैक्सेबल) हो तो आयकर रिटर्न भरना बहुत जरूरी होता है। अगर आपकी कोई प्रॉपर्टी विदेश में है और उससे आपको लाभ मिल रहा है तो भले ही वह करदेयता योग्य हो या न हो, लेकिन आपके लिए आयकर रिटर्न भरना जरूरी है।

बताते चलें कि आयकर विभाग ने असेसमेंट वर्ष 2017-18 से ही सभी श्रेणियों के करदाताओं के लिए ई-फाइलिंग की सुविधा शुरू और अनिवार्य कर दी है। यहां यह भी ध्यान रखें कि अगर आपकी सालाना आमदनी 5 लाख रुपए या इससे ज्यादा है तो ही ऑनलाइन आयकर रिटर्न यानी ई-फाइलिंग करना अनिवार्य है, अन्यथा नहीं।

#अब आयकर रिटर्न जमा करने वाले फार्मों को भी अत्यंत सरल बनाया गया है:-

आपको मालूम होना चाहिए कि आयकर विभाग ने सामान्य करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न भरने की प्रक्रिया बहुत ही सरल और आसान कर दी है। अब विभाग ने मात्र एक पेज का आईटीआर फॉर्म-1 (सहज) पेश किया है जो ऐसे करदाताओं के लिए है जिनकी आमदनी सालाना 50 लाख रुपए से कम है और रहने के लिए महज एक घर है, जिसका उपयोग करके वो अपना आयकर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। इसके अलावा, कुल आईटीआर फॉर्म की संख्या भी घटा दी गई है। इससे आयकर दाताओं को काफी सहूलियत भी मिली है। खास बात यह कि आईटीआर-2, आईटीआर-2 ए तथा आईटीआर-3 को एक साथ मर्ज करके केवल आईटीआर-2 के रूप में लागू कर दिया गया है। इसके अलावा, आईटीआर-4 और आईटीआर-4 एस (सुगम) को अब क्रमश: आईटीआर-3 और आईटीआर-4 (सुगम) का नाम दे दिया गया है। सरकार के इस नीतिगत बदलाव से लोगों को काफी सहूलियत हुई है और आर्थिक/मानसिक तनाव भी दूर हुआ है। आयकर दाताओं की बढ़ती संख्या इसकी स्पष्ट नजीर है।

#आयकर रिटर्न दाखिल करने में आधार नंबर देना अब हुआ जरूरी:-

अब आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार नंबर देना जरूरी हो गया है। इसलिए यदि आपका आधार नंबर अभी तक नहीं बना है तो तुरंत इसके लिए आवेदन कर दीजिए। क्योंकि आधार नंबर के लिए जो एनरॉलमेंट आईडी आपको मिलेगी, उसे भरकर भी आपका काम चल जाएगा। इसके अलावा, अगर आपने कुल 2 लाख 50 हजार रुपए से ज्यादा की रकम बैंकों में जमा की है तो उसका भी विवरण रिटर्न फॉर्म में देना पड़ेगा।

 

#जानिए, आयकर रिटर्न विलम्ब से जमा करने पर देना होगा दंड:-

आपको पता होगा कि वर्ष 2017 के केंद्रीय बजट में आयकर रिटर्न फाइल करने में प्रायः की जाने वाली देरी पर जुर्माना लगाने की भी व्यवस्था की गई है। इसलिए यदि आप रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख अक्सर जुलाई 31 के बाद, लेकिन 31 दिसंबर के पहले रिटर्न दाखिल करते हैं तो 5,000 रुपए विलम्ब शुल्क लगेगी। यदि आप इसके बाद इसे जमा करते हैं तो विलम्ब शुल्क बढ़कर 10,000 रुपए हो जाएगी। हालांकि यदि आपकी आमदनी 5 लाख रुपए से कम है तो आपको विलम्ब शुल्क के तौर पर मात्र 1000 रुपए ही देने होंगे।बता दें कि ये नियम वित्त वर्ष 2017-18 के रिटर्न पर लागू होंगे, यानी कि इस वर्ष (2018)/आपको इसकी चिंता करनी ही होगी।

#जानिए, आयकर रिटर्न भरने से पहले की तैयारी कैसे करें:-

आपको पता होना चाहिए कि फॉर्म 26 ए एस में आपके द्वारा समय-समय पर जमा किए गए टैक्स का ब्योरा दर्ज रहता है। इसी तरह फॉर्म 16 में आपके नियोक्ता द्वारा आपकी सैलरी में से काटे गए टीडीएस, अन्य कटौती योग्य निवेश, अलाउंस आदि का विस्तृत ब्यौरा दर्ज रहता है। इसलिए आयकर रिटर्न भरने के दौरान यह देख लें कि क्या दोनों डॉक्यूमेंट समान आंकड़े दिखा रहे हैं या नहीं। क्योंकि यदि किसी प्रकार का भी डिफरेंस सामने आएगा तो इनकम टैक्स विभाग आपको नोटिस भी भेज सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि अभी ही इन चीजों को बारीकीपूर्वक चेक कर लें। अगर दोनों में अंतर है तो अपनी कंपनी को कहकर उस अंतर को सुधरवा लें।

#हमेशा ध्यान रखिए कि बची टैक्स छूटों एवं कटौतियों का कोई क्लेम कहीं छूटा तो नहीं:-

आपको मालूम होगा कि सेक्शन 80 सी, 80 डी आदि के तहत विभिन्न निवेशों तथा खर्चों में ढेर सारी कर छूट मिलती है। इसी तरह 80 जी के तहत चैरिटी संस्थाओं के लिए दिया जाने वाला चंदा भी टैक्स डिडक्शन का हकदार होता है। इसलिए बारीकीपूर्वक देख लें कि कहीं कोई ऐसा मद छूट तो नहीं रहा। क्योंकि हो सकता है कि टीडीएस कटौती के पहले आप अपने नियोक्ता को किसी ऐसे निवेश की सूचना न दे पाए हों। इसलिए उसे अब अपने रिटर्न में दिखा करके अपनी टैक्स छूट की सीमा बढ़ा सकते हैं।

#अवश्य दिखाइए सेविंग एवं एफडी खाते पर ब्याज का स्टेटमेंट, अन्यथा रह जायेगी विसंगति, मिल सकता है नोटिस:-

प्रायः देखा जाता है कि लोग अर्जित ब्याज को अपनी आमदनी में दिखाना भूल जाते हैं, जबकि वो भी आपकी आमदनी ही मानी जाती है। आपको पता होना चाहिए कि सरकार ने बचत खाता पर मिलने वाले दस हजार रुपए तक के ब्याज पर छूट प्रदान कर रखी है। लिहाजा, इससे ऊपर मिलने वाला ब्याज ही अतिरिक्त आय मानी जाती है। अतः आयकर रिटर्न फाइल करने से पहले आप अपने ब्याज का हिसाब किताब लगा लें। इसके लिए आप जिस वित्त वर्ष का रिटर्न फाइल कर रहे हैं, उसका बैंक स्टेटमेंट देखें और साल भर में मिलने वाले सभी ब्याज को जोड़ लें। ऐसा आपको अपने सभी बचत खाता के साथ करना है। इसी तरह फिक्सड डिपॉजिट का ब्याज भी जोड़ लें। इससे आप सही रिटर्न दाखिल कर पाएंगे।

#गौर करने लायक अन्यान्य दस्तावेज:-

इन दस्तावेजों के अलावा पिछले वर्ष का टैक्स रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट, टीडीएस, लाभ और हानि खाता के दस्तावेज, बैलेंस शीट और ऑडिट रिपोर्ट भी (यदि आप पर लागू हो तो) अपने साथ रखें। क्योंकि टैक्स रिटर्न में सभी बैंक खातों का ब्यौरा देना होता है, इसलिए आप उनकी पासबुक भी अपने साथ रखें। यदि इतना कुछ जानने समझने के बाद भी आपको आयकर रिटर्न दाखिल करने में कोई दिक्कत हो तो किसी कुशल सीए की मदद लें।

-कमलेश पांडे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़