पीएम विकसित भारत रोजगार योजना: कम्पनी और कर्मचारी यदि गलती करेंगे तो नहीं मिलेगा प्रदत्त लाभ

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कमलेश पांडे । Aug 23 2025 3:14PM

ईपीएफओ का साफ कहना है कि ईसीआर में वेतन की गलत जानकारी का मतलब पीएम विकसित भारत रोजगार योजना के लाभ वापस ले लिए जाएंगे। इससे न सिर्फ कंपनियों को बल्कि उसमें काम करने वाले कर्मचारियों को भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से पीएम विकसित भारत रोजगार योजना को गत 15 अगस्त से लागू करने की जो घोषणा की है, उससे देश के निजी क्षेत्र में स्वस्थ कार्यसंस्कृति के विकसित होने की उम्मीद है। इससे कम्पनियों-कर्मचारियों के बीच भरोसा बढ़ने की भी उम्मीद है, क्योंकि पहले दो साल या चार साल तक कर्मचारी अनुभवहीन होते हैं। जिससे उन्हें कम वेतन मिलना, स्थायी नौकरी नहीं मिलती, पीएफ-ईएसआई की सुविधाएं नहीं मिलतीं। इसलिए सरकार की इस योजना से अब दोनों को लाभ मिलने की उम्मीद जगी है। वहीं, सरकार को यह भी स्पष्ट कर देना चाहिए कि अनुबंध कर्मचारियों को नहीं, बल्कि स्थायी कर्मचारियों को ही यह लाभ मिलेगा।

बता दें कि इस योजना के तहत केंद्र सरकार पहली बार नौकरी करने वाले लोगों के बैंक अकाउंट में जहां 15000/- रुपये तक ट्रांसफर करेगी, वहीं इनकी नियोक्ता कम्पनी को भी प्रतिमाह 3000/- रुपए दिए जाएंगे। ऐसा इसलिए कि इस योजना के दो भाग हैं- एक नौकरी करने वाले के लिए और दूसरा नौकरी देने वाली कम्पनियों के लिए। 

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उल्लेखनीय है कि पीएम व‍िकस‍ित भारत रोजगार योजना (ईएलआई स्कीम) गत 1 अगस्‍त, 2025 से ही लागू होने वाली थी, जिसका ऐलान प्रधानमंत्री मोदी ने गत स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किया। बता दें कि बजट 2025-26 में ही इस योजना के लिए धनराशि का अलॉटमेंट कर दिया गया था। इसके तहत देश के 1.92 करोड़ युवाओं के लिए पहली नौकरी की शुरुआत होने पर उक्त धनराशि दी जाएगी। कहने का तातपर्य यह कि पहली बार नौकरी ज्वाइन करने पर केंद्र सरकार की ओर से कर्मचारी को अलग से 15000 रुपये तक का तोहफा मिलेगा। वो भी सैलरी से बिल्कुल अलग। 15 अगस्त, 2025 से प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना लागू हो चुकी है। पहले इस योजना का नाम रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन ईएलआई योजना (Employment Linked Incentive Scheme या ELI Scheme) था। जिसका नाम बदलकर पीएम व‍िकस‍ित भारत रोजगार योजना कर दिया गया है। पहले यह 1 अगस्‍त से लागू होने वाली थी, जिसकी तिथि बढ़कर 15 अगस्त कर दी गई और प्रधानमंत्री ने लाल किले के प्राचीर से इसका ऐलान किया, जिससे इस योजना का महत्व समझा जा सकता है।

प्राप्त विभागीय जानकारी के मुताबिक, इस योजना के तहत जो युवा पहली बार ईपीएफओ (EPFO) में रजिस्टर कराएंगे, उन्हें केंद्र सरकार की ओर से 15000/- रुपये तक अलग से मिलेंगे। यही नहीं, इन्हें नौकरी देने वाले कंपनियों को भी प्रति कर्मचारी 3000/- रुपये दिए जाएंगे। वो भी अगले दो साल तक। वहीं, यदि सम्बन्धित कंपनी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी है तो यह पैसा अगले 4 साल तक मिलेगा। इसका अभिप्राय यह है कि नौकरी करने वालों और नौकरी देने वालों दोनों की मौज हो चुकी है। 

हालांकि, हम यहां पर यह भी स्पष्ट कर दें कि आपकी सिर्फ एक गलती कंपनी और कर्मचारी दोनों को तगड़ा झटका दे सकती है। इसे लेकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने नए निर्देश जारी किए हैं। जिसमें कहा गया है कि 1 लाख तक वेतन (Gross Salary) पाने वाले कर्मचारियों को ही 15000/- रुपये का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसलिए नियोक्ताओं (Employers) से आग्रह किया गया है कि वे हर महीने कर्मचारी की सही सैलरी का रिकॉर्ड दर्ज करें। क्योंकि इस योजना के तहत कर्मचारी की महीने की ग्रॉस सैलरी 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके लिए कंपनियों से कहा गया है कि वे सही ईसीआर (Electronic Challan cum Return) जमा कराएं।

ईपीएफओ का साफ कहना है कि ईसीआर में वेतन की गलत जानकारी का मतलब पीएम विकसित भारत रोजगार योजना के लाभ वापस ले लिए जाएंगे। इससे न सिर्फ कंपनियों को बल्कि उसमें काम करने वाले कर्मचारियों को भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। कहने का तातपर्य यह कि गलत जानकारी देने पर ना कर्मचारी को सरकार से 15000/- रुपये मिलेंगे और ना ही कंपनियों को प्रति कर्मचारी हर महीने 3000 रुपये मिलेंगे।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीएम विकसित भारत रोजगार योजना के दो भाग हैं- पहला भाग कर्मचारियों से जुड़ा है। इसके मुताबिक पहली बार ईपीएफओ से जुड़ने वाले कर्मचारियों को सैलरी से अलग 15000/- रुपये मिलेंगे। यह पैसा 2 किस्तों में आएगा। पहली किस्त का पैसा आने के लिए कर्मचारी को कम से कम 6 महीने तक नौकरी करनी होगी। इसके बाद ही पैसा मिलेगा। दूसरी किस्त 12 महीने पूरे होने पर ही मिलेगी।

वहीं, दूसरा भाग कंपनियों से जुड़ा हुआ है। इसके तहत कर्मचारियों की नियुक्ति करने वाली कंपनियों को प्रति कर्मचारी हर महीने 3000/- रुपये मिलेंगे। जिन कर्मचारियों की ग्रॉस सैलरी 1 लाख रुपये तक है, उनके लिए 2 साल तक यह पैसा मिलेगा। जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 4 साल तक पैसा मिलेगा। हालांकि यह सिर्फ उन कर्मचारियों के लिए ही मिलेगा, जो कंपनी में कम से कम 6 महीने पूरे करेंगे।

इससे स्पष्ट है कि केंद्र सरकार भारत में निजी क्षेत्र की नौकरियों में व्याप्त अराजकता को समझ चुकी है, और उन्हें दूर करने के गरज से ही ऐसी आकर्षक योजना लेकर आई है। भारत में देखा जाता है कि कम्पनियां अपने कर्मचारियों से काम तो लेती हैं, लेकिन उन्हें उचित वेतन व सुविधाएं नहीं देती हैं। कहीं कैश सैलरी यानी नगद वेतन दिया जाता है तो कहीं आधा वेतन बैंक खाता में और आधा वेतन नगद दिया जाता है। 

यही वजह है कि कम्पनियों में बहुतेरे कर्मचारियों को ईएसआई व पीएफ तक का लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे में उम्मीद है कि प्रति कर्मचारी, प्रति महीने 3000/- रुपये नगद मिलने के चक्कर में कम्पनियां अब अपने कर्मचारियों का सही रिकॉर्ड रखेंगी। हालांकि इसमें भी प्रतिमाह 1 लाख रुपये सैलरी की जो अधिकतम सीमा रखी गई है, उसके दृष्टिगत कुछ हेराफेरी की गुंजाइश बनी रहेगी। 

भारत में दिक्कत इसी बात की है कि यहां पर स्वस्थ कार्यसंस्कृति का अभाव है। कम्पनी प्रबंधन और सरकारी अधिकारी एक दूसरे के हितों का ख्याल रखते हुए अच्छे अच्छे नियम कानूनों को भी नकारा साबित कर देते हैं। इसलिए भारत सरकार की इस योजना से उम्मीद है कि कर्मचारियों को कुछ लाभ मिलेगा। वहीं कम्पनी द्वारा प्रारम्भ में कम वेतन मिलने के बावजूद उन्हें काम करने व उसे निरंतर जारी रखने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि 6 माह बाद और 12 माह बाद उन्हें मोटी सरकारी मदद मिलने की उम्मीद रहेगी, जो कि उनके बचत जैसी काम आएगी। वहीं, सरकार को यह भी स्पष्ट कर देना चाहिए कि अनुबंध कर्मचारियों को नहीं, बल्कि स्थायी कर्मचारियों को ही यह लाभ मिलेगा।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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