आयकर छूट और अच्छे रिटर्न के लिए चुनें डाकघर की यह 5 सर्वश्रेष्ठ योजनाएँ

Post Office Saving Schemes
कमलेश पांडेय । Jul 16 2020 7:17PM

यदि आपने अभी तक टैक्स छूट पाने के लिए कहीं भी निवेश नहीं किया है तो डाकघर यानी कि पोस्ट ऑफिस की लघु बचत योजना यानी स्मॉल सेविंग स्कीम में निवेश करना किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति की वित्तीय रणनीति के लिहाज से सही रहेगा।

आज के आर्थिक युग में हर कोई आयकर छूट का जुगाड़ ढूंढ़ता रहता है। लोगों की इस मनोवृत्ति को समझकर सरकार ने भी इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80सी अंतर्गत बहुत सारे ऐसे विकल्प दे रखे हैं जिसमें निवेश के जरिए आप 1.5 लाख रुपए तक की रकम पर अपना टैक्स बचाकर गदगद हो सकते हैं। तो फिर देर किस बात की! फिलहाल, सरकार ने कोरोना काल में टैक्स बचाने के लिए निवेश करने की समय सीमा को बढ़ाकर आगामी 31 जुलाई तक कर दिया है। इसलिये चूकिए मत, यहां पर हम आपको आयकर छूट और बेहतर रिटर्न के लिए डाकघर यानी पोस्ट ऑफिस की पांच विभिन्न उपयोगी योजनाओं के बारे में बता रहे हैं, जिनमें ध्यानपूर्वक निवेश करके आप भी कुछ फायदा उठा सकते हैं।

आपको पता होना चाहिए कि कोरोना प्रकोप और रणनीतिक लॉकडाउन की वजह से आम लोगों की अर्थव्यवस्था पिट चुकी है। जिनकी नहीं पिटी, उनकी भी लड़खड़ाई जरूर है। कुछ लोग तो तबाह हो चुके हैं। सरकार भी इन बातों को बखूबी समझ रही है और आप लोगों को टैक्स बचाने को मौका देते हुए आयकर की धारा 80सी, 80डी, 80ई में निवेश करने की समय सीमा को 30 जून से बढ़ाकर अब 31 जुलाई कर दिया गया है। लिहाजा, यदि आप टैक्स छूट पाने के लिए अपना निवेश करना चाहते हैं तो आगामी 30 जुलाई तक निवेश कर सकते हैं। यदि आपने अभी तक इसके तहत कहीं भी निवेश नहीं किया है तो डाकघर यानी कि पोस्ट ऑफिस की लघु बचत योजना यानी स्मॉल सेविंग स्कीम में निवेश करना किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति की वित्तीय रणनीति के लिहाज से सही रहेगा। क्योंकि यहां पर ऐसी कई योजनाएं यानी स्कीम्स हैं जहां पर आपको ज्यादा ब्याज के साथ-साथ आयकर कानून के सेक्शन 80सी के तहत आयकर यानी इनकम टैक्स का लाभ भी मिलता है, तो फिर मौका उठाने में हम लोग पीछे क्यों रहें।

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आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आयकर (इनकम टैक्स) कानून के सेक्शन 80सी में बहुत सारे ऐसे विकल्प दिए हुए हैं जिसमें निवेश के जरिए आप 1.5 लाख रुपए तक की रकम पर अपना कर (टैक्स) बचा सकते हैं। लिहाजा, आज हम आपको डाकघर यानी पोस्ट ऑफिस द्वारा संचालित ऐसी ही 5 बेहतरीन योजनाओं (स्कीम्स) के बारे में बता रहे हैं जिनमें आपको बेहतर रिटर्न के साथ आयकर (इनकम टैक्स) छूट का लाभ भी मिलेगा। तो आइए जानते हैं एक-एक करके सभी पांचों चुनिंदा योजनाओं के बारे में:-

सर्वप्रथम, पहली जमा योजना है सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम, जिसमें सालाना 7.4 प्रतिशत की ब्याज दर मिल रही है। और हां, यदि आपकी ब्याज राशि सालाना 10,000 रुपए से अधिक है, तो स्रोत पर कर कटौती यानी टीडीएस काटी जाती है। खास बात यह कि इस योजना के तहत निवेश करने पर किसी भी व्यक्ति को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत कर (टैक्स) लाभ प्राप्त होता है। यही नहीं, 60 साल या उससे अधिक आयु के बाद किसी भी व्यक्ति का खाता (अकाउंट) खोला जा सकता है। वहीं, एक और अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि वीआरएस लेने वाला व्यक्ति, जो 55 वर्ष से अधिक लेकिन 60 वर्ष से कम है, वो भी इसके तहत अपना खाता (अकाउंट) को खोल सकता है। इस योजना (स्कीम) के तहत 5 साल के लिए आप अपना पैसा निवेश कर सकते हैं, जिसकी मैच्योरिटी के बाद इस योजना (स्कीम) को 3 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। बताते चलें कि इस योजना के तहत आप अधिकतम 15 लाख रुपए तक का ही निवेश कर सकते हैं। इससे ज्यादा का निवेश करने की यहां कोई गुंजाइश नहीं है। 

दूसरी जमा योजना है सुकन्या समृद्धि योजना, जिसके तहत खाता (अकाउंट) किसी बच्ची के जन्म लेने के बाद 10 साल की उम्र से पहले ही खोला जा सकता है। इसका मुख्य आकर्षण यह है कि इसके तहत आप केवल 250 रुपए में यह खाता खुलवा सकते हैं, जिसमें सालाना 7.6 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जा रहा है जो किसी भी फिक्स्ड डिपॉजिट योजना से काफी ज्यादा है। महत्वपूर्ण बात यह भी कि चालू वित्त वर्ष में सुकन्या समृद्धि योजना के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपए ही जमा कराए जा सकते हैं। वहीं, इस योजना में निवेश करने पर 80सी के तहत भी आप कर (टैक्स) छूट का फायदा उठा सकते हैं। खास बात यह कि यह खाता (एकाउंट) किसी भी डाकघर यानी पोस्ट ऑफिस या बैंक की अधिकृत शाखा में खोला जा सकता है। इसलिये, यदि आपकी बच्ची की उम्र 10 साल से कम है तो इस खाते को खोलना मत भूलिए। उसका भविष्य भी सुरक्षित रहेगा और आपको लाभ भी मिलता रहेगा। 

तीसरी जमा योजना है पोस्ट ऑफिस पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी पीपीएफ, जिसके खातों में जमा राशि पर फिलहाल 7.1 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है। विशेष बात यह कि आपकी जमा पर ब्याज की गणना (कैलकुलेशन) सालाना आधार पर ही की जाती हैं, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि इसे हर साल मूलधन में जोड़ा जाता है। वास्तव में, पीपीएफ छूट की ईईई कैटेगरी के अंतर्गत आता है, जिसका साफ तात्पर्य है कि आपके रिटर्न पर, मेच्योरिटी राशि और ब्याज से इनकम पर आयकर की छूट मिलती है। खास बात यह कि इसके तहत आप अपना खाता (अकाउंट) महज 15 साल के लिए खोल सकते हैं, जिसे आगे 5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। आपको पता होना चाहिए कि पीपीएफ में न्यूनतम (मिनिमम) 500 रुपए से किसी का भी खाता (अकाउंट) खुलवाया जा सकता है। हालांकि, इसमें एक वित्तिय वर्ष यानी फाइनेंशियल ईयर में कम से कम 500 रुपए का निवेश करना जरूरी है। इस निवेश योजना के तहत आप एक साल में अपने खाता (अकाउंट) में अधिकतम 1.5 लाख रुपए निवेश कर सकते हैं। 

चौथी जमा योजना है पोस्ट ऑफिस नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट यानी एनएससी, जिसमें निवेश पर 6.8 प्रतिशत सालाना ब्याज मिल रहा है। खास बात यह कि इसमें भी ब्याज की गणना सालाना आधार पर ही होती है, लेकिन ब्याज की राशि निवेश की अवधि पूरी होने पर ही दी जाती है। आपके लिए यह जानना जरूरी है कि राष्ट्रीय बचत पत्र (नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट) में जमा राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर छूट मिलती है। वहीं, इस एनएससी अकाउंट को खुलवाने के लिए आपको न्यूनतम 100 रुपए निवेश करना होगा। हालांकि, मजेदार बात यह है कि आप एनएससी में कितनी भी रकम निवेश कर सकते हैं। क्योंकि इसमें आपके निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। यही वजह है कि अधिक धनी लोगों में यह योजना काफी प्रचलित है।

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पांचवीं जमा योजना है पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट योजना, जो एक तरह की सावधि जमा यानी फिक्स डिपॉजिट (एफडी) है। जिसमें एक तय अवधि के लिए एकमुश्त पैसा निवेश करके आप निश्चित रिटर्न और ब्याज भुगतान दोनों का फायदा ले सकते हैं। जानकार बताते हैं कि पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट अकाउंट 1 से 5 साल तक की अवधि के लिए 5.5 से 6.7 फीसदी तक ब्याज दर की पेशकश करता है। खासकर, 5 साल की सावधि जमा के तहत निवेश करने पर आप आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के तहत टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह कि इसमें 1000 रुपए का मिनिमम निवेश करना होता है। जबकि, अधिकतम निवेश की यहां भी कोई सीमा नहीं है। यही कारण है कि धनी-मानी तबके का रुझान इस योजना की ओर काफी रहता है। 

अब आपको यह जानने की भी उत्सुकता होगी कि आखिरकार क्या है सेक्शन 80सी, जिसके तहत भारतीय करदाताओं को इतनी भारी छूट दी जाती है, तो बता दें कि आयकर कानून का सेक्शन 80सी, इनकम टैक्स कानून, 1961 का हिस्सा है, जिसमें उन निवेश माध्यमों का स्पष्ट उल्लेख है, जिनमें निवेश कर आयकर में छूट का दावा किया जा सकता है। यही वजह है कि कई लोग वित्त वर्ष खत्म होने से पहले ही टैक्स बचाने के लिए अपना निवेश करना शुरू कर देते हैं। वहीं, जो छूट जाते हैं वो इस बढ़ी हुई अवधि का फायदा उठाते हैं। वहीं, जो वित्तिय मामलों में लापरवाह हैं, उनका कहना ही क्या?

-कमलेश पांडेय

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार हैं)

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