Retirement Plan: एनपीएस या एसआईपी में कौन है अच्छा, समझिए ऐसे

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Prabhasakshi
कमलेश पांडे । Apr 11 2024 4:57PM

एनपीएस, सरकार की एक सामाजिक सुरक्षा स्कीम है, जिसमें नौकरी के दौरान एक तय राशि रेगुलर निवेश की जाती है, ताकि रिटायरमेंट के बाद सिक्योरिटी मिल सके। खासकर सशस्त्र बलों को छोड़कर सार्वजनिक, निजी और असंगठित क्षेत्रों के कर्मचारी भी सरकार के इस पेंशन कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति चाहे वो नौकरी कर रहा हो या फिर अपना कोई कारोबार, हमेशा बुढ़ापे में आराम से बाकी की जिंदगी काटने के बारे में सोचता रहता है। बदलते वक्त के साथ जिम्मेदारियों का बोझ उठाते हुए वह अमूमन यह सोचता रहता है कि क्यों न इतनी रकम जुटा ली जाए कि बुढ़ापे में कमाने की चिंता न सताए। यही सोचकर कुछ लोग नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) या म्यूचुअल फंड्स सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में निवेश करते हैं।

कुछ को तो यह भी समझ नहीं आता कि ये निवेश कहां और किसमें किया जाए? इसलिए यहां पर हमलोग समझने की कोशिश करेंगे कि एनपीएस या एसआईपी में कौन बेहतर है? यह भी जानेंगे कि लॉन्ग टर्म में किनमें निवेश करना बेहतर है? इन स्कीमों में कब निवेश करना शुरू कर देना चाहिए? इसलिए सबसे पहले बात करते हैं एनपीएस की, जिसके बारे में समझने की कोशिश करते हैं।

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# एक रिटायरमेंट सिक्योरिटी है एनपीएस

एनपीएस, सरकार की एक सामाजिक सुरक्षा स्कीम है, जिसमें नौकरी के दौरान एक तय राशि रेगुलर निवेश की जाती है, ताकि रिटायरमेंट के बाद सिक्योरिटी मिल सके। खासकर सशस्त्र बलों को छोड़कर सार्वजनिक, निजी और असंगठित क्षेत्रों के कर्मचारी भी सरकार के इस पेंशन कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं। वैसे यह स्कीम 1 जनवरी 2004 को लॉन्च की गई थी। लिहाजा, इस तारीख के बाद जॉइन करने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए यह योजना अनिवार्य है। वहीं, साल 2009 के बाद से इस योजना को प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए भी खोल दिया गया। एनपीएस का फिलहाल इंटरेस्ट रेट 9-12% है। अब तक काफी लोग इसका फायदा भी उठा चुके हैं। वहीं, एनपीएस की मैच्योरिटी तभी पूरी होगी, जब आप 60 साल के होंगे। लेकिन, बीमारी, बच्चों की पढ़ाई या घर बनाने और आपात स्थितियों में आप पहले भी पैसे निकाल सकते हैं। हालांकि, एनपीएस के तहत कर्मचारी रिटायरमेंट के समय कुल जमा राशि का 60 प्रतिशत निकाल सकते हैं और बची हुई 40 प्रतिशत राशि पेंशन योजना में चली जाती है।

# एनपीएस में टियर एक और टियर दो यानी दो तरह के होते हैं खाते

एनपीएस में दो तरह के खाते होते हैं, जिसे टियर 1 और टियर 2 के नाम से जाना जाता है। टियर 1 में 60 साल की उम्र तक पैसे नहीं निकाल सकते हैं। वहीं टियर 2 में कस्टमर एक बचत खाते की तरह जरूरत के हिसाब से पैसा निकाल सकता है। वहीं, जब आप एनपीएस खाता खोलते हैं तो आपको 12 अंकों का अद्वितीय स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या (पीआरएएन) भी प्राप्त होता है। चाहे आप कितनी भी बार अपनी नौकरी बदलें, यह संख्या आजीवन समान रहती है। वहीं, एनपीएस की मैच्योरिटी के बाद मिलने वाली 60 फीसदी रकम टैक्‍स फ्री है। सरकारी कर्मियों के एनपीएस अकाउंट में कॉन्ट्रीब्‍यूशन लिमिट 14 फीसदी है। आयकर धारा के 80 सीसीडी (1) के तहत कुल इनकम का 10 फीसदी तक टैक्स में छूट है। आयकर की धारा 80 सीसीई के तहत वैसे यह लिमिट 1.5 लाख है। वहीं, सेक्शन 80 सीसीई के तहत 50 हजार रुपए तक की अतिरिक्त छूट भी मिलती है। वहीं, एन्युटी की खरीद में निवेश की गई रकम में भी टैक्‍स से छूट है।

# जानिए म्यूचुअल फंड्स एसआईपी में क्यों करें निवेश

यदि आप एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड्स मार्केट में निवेश करते हैं, तो यह म्यूचुअल फंड्स शेयर मार्केट से जुड़ा होता है; ऐसे में आपके पैसे का रिटर्न भी मिल सकता है।

चूंकि म्यूचुअल फंड्स को क्वॉलिफाइड फंड मैनेजर हैंडल करते हैं, इसलिए इसमें आपका पैसा डूबने का खतरा काफी कम होता है। वहीं, लॉन्ग टर्म में एसआईपी से निवेश करने से पैसा डूबने का खतरा भी नहीं रहता है। एसआईपी से निवेश में औसत ब्याज दर 12-18 प्रतिशत है।

# निफ्टी या बीएसई इंडेक्स में सूचीबद्ध शेयरों में लगाएं पैसे

एसआईपी में कई तरह के फंड होते हैं, जिसमें से सबसे सुरक्षित इंडेक्स फंड को माना जाता है। इसमें सिर्फ वही स्टॉक शामिल होते हैं, जो निफ्टी-50 में सूचीबद्ध हैं। दरअसल, जो स्टॉक सेबी के तय नियम को पूरा करते हैं और निवेशकों को अच्छा रिटर्न देने का दम रखते हैं तब उसे निफ्टी-50 इंडेक्स की सूची में शामिल किया जाता है। ऐसा ही एक इंडेक्स बीएसई-30 है, जिसमें 30 शेयर होते हैं और निफ्टी-50 में 50 शेयर लिस्ट होते हैं।

# एसआईपी में कम उम्र से निवेश करें और बाजार के चढ़ाव-उतार से न घबराएं

आपको पैसे से पैसा बनाना है तो कम उम्र से ही एसआईपी से लॉन्ग टर्म में म्यूचुअल फंड्स में निवेश शुरू कर देना चाहिए, ताकि बेहतर रिटर्न मिले। साथ ही जो भी निवेश करें, वह नियमित होना चाहिए। प्रत्येक महीने निर्धारित समय पर तय रकम निवेश करना ही होगा। वहीं, यदि बाजार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है तो यह देखकर निवेश नहीं करें। क्योंकि म्यूचुअल फंड्स या और कोई निवेश ज्यादातर बाजार जोखिम के अधीन होते हैं। वहीं, कुछ लोग बाजार के मंदा पड़ते ही पैसे निकालने लगते हैं, जिससे उनको नुकसान हो सकता है। ऐसे में अल्प अवधि का निवेश नुकसान ही देता है। यही निवेश आप अगर लॉन्ग टर्म के लिए करते हैं तो आपको अच्छा पैसा रिटर्न के रूप में मिलेगा। जिससे अवकाश प्राप्ति भी एक सुखद एहसास देगी।

# वेतनमान बढ़ने पर अपने एसआईपी की रकम में करें इजाफा 

यदि आपकी सैलरी व कमाई बढ़ती है तो आपको एसआईपी में निवेश की रकम को बढ़ाना चाहिए, ताकि आपको निवेश पर रिटर्न के दौरान ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। वहीं, आपको अपने पैसों को सही समय पर सही जगह पर लगाना चाहिए। खास बात यह कि पैसे लगाने से पहले जिस सेक्टर में निवेश करना चाहते हैं, उसका इतिहास और वर्तमान दोनों देख लेना चाहिए। साथ ही, यह भी देखना चाहिए कि आपको पैसे कब और कितना लगाना चाहिए। इससे अवकाश प्राप्ति के समय अच्छी खासी रकम मिल सकती है।

# एनपीएस या एसआईपी में किसमें निवेश करना बेहतर है?

आमतौर पर निवेश के लिए एनपीएस या एसआईपी में कौन-सा बेहतर है, यह कहना मुश्किल है। इसलिए इस मामले में संतुलित नजरिया रखना चाहिए। दरअसल,  एनपीएस स्कीम पेंशन प्रक्रिया से जुड़ी है, जो आपको रिटायरमेंट के बाद गारंटीयुक्त आर्थिक सुरक्षा देती है। वहीं,  एसआईपी स्कीम आपके पैसे को बढ़ाने में योगदान देती है। हालांकि, इसमें भी कुछ जोखिम है, पर यह आपके रिटायरमेंट के वक्त आपको अच्छी रकम जुटाने में मददगार हो सकती है। ऐसे में चाहे वो एनपीएस हो या एसआईपी, दोनों ही निवेश के लिए बेहतर हैं। ऐसे में आपको जो समझ आये, वह अंतरात्मा की आवाज से कीजिए।

- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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