कार्ड से खूब हो रही खरीददारी! आयकर विभाग की है नजर

[email protected] । Oct 15 2016 12:13PM

प्रभासाक्षी के लोकप्रिय कॉलम ''आर्थिक विशेषज्ञ की सलाह'' में इस सप्ताह जानिये ''ऑनलाइन खरीदारी'' से जुड़े पाठकों के प्रश्नों के उत्तर। साथ ही जानें कैश बैक और जीरो पर्सेंट ब्याज दर क्या होती है।

प्रभासाक्षी के लोकप्रिय कॉलम 'आर्थिक विशेषज्ञ की सलाह' में लगातार ऐसे प्रश्न मिल रहे हैं जोकि काफी हद तक मिलते जुलते हैं। हमने कुछ ऐसे प्रश्नों को छांटा है जोकि सर्वाधिक मिलते जुलते लगे। पाठकों के प्रश्नों का उत्तर दे रहे हैं द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पूर्णकालिक निदेशक व कंपनी सचिव श्री बी.जे. माहेश्वरी जी। श्री माहेश्वरी पिछले 32 वर्षों से कंपनी कानून मामलों, कर (प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष) आदि मामलों को देखते रहे हैं। यदि आपके मन में भी आर्थिक विषयों से जुड़े प्रश्न हों तो उन्हें [email protected] पर भेज सकते हैं। प्रत्येक शनिवार को प्रकाशित होने वाले इस कॉलम के अगले अंक में आपके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास रहेगा।

प्रश्न-1. मैंने आपके एक अंक में पढ़ा था कि यदि कोई बीमारी हो तो उस पर आए सालाना खर्च को आयकर रिटर्न के दौरान क्लेम किया जा सकता है। मैं यह जानना चाहता हूँ कि डायबिटीज की जो दवाइयां या इंजेक्शन मैं लेता हूँ उसके साल भर के बिल मुझे दिखाने होंगे या फिर डॉक्टर की प्रेसक्रिप्शन से काम चल जाएगा? या फिर सिर्फ फॉर्म में इस बात की जानकारी देना ही काफी है? (गजेंद्र सिंह, गुड़गाँव)

उत्तर- आपको साल भर में हुए दवाइयों के खर्चे के बिल दिखाने पड़ सकते हैं यदि आपको आयकर अधिनियम की धारा 143 (2) के अंतर्गत स्क्रूटिनी एसेसमेंट का नोटिस मिलता है। अतः मेरी राय में आपको बिल संभाल कर रखने चाहिये।

प्रश्न-2. त्योहारों के मौसम में जीरो पर्सेंट ब्याज पर बहुत सी वस्तुएँ ऑफर की जा रही हैं। क्या वाकई इस स्कीम में कोई ब्याज नहीं देय होता या फिर कोई छिपी हुई ब्याज दर इसमें होती है? (नेहा पाठक, दिल्ली)

उत्तर- साधारणतः व्यवसायी का हिडन इंट्रेस्ट होगा, संभवतः हो सकता है कि वह जाहिर तौर पर ऑफर में न लिखा हो।

प्रश्न-3. आजकल बहुत-सी कंपनियां अपने उत्पादों पर कैश बैक का प्रस्ताव दे रही हैं। यह कैश बैक किस तरह मिलता है क्या इसके लिए कोई क्लेम करना होता है? (आरती अग्रवाल, बीकानेर)

उत्तर- कैश-बैक साधारणतः पाइंट्स के रूप में आपके खाते में जमा हो जाता है जिसे आप अगली खरीद पर भुगतान कर सकते हैं। यह पॉलिसी कंपनी-टू-कंपनी अलग हो सकती है।

प्रश्न-4. त्योहारों के मौसम में क्रेडिट कार्ड पर की जाने वाली खरीद के बारे में भी क्या आयकर रिटर्न में जानकारी देनी होती है? (दीपा नागर, फरीदाबाद)

उत्तर- क्रेडिट कार्ड पर की जाने वाली खरीद के बारे में आयकर रिटर्न में जानकारी देनी होती है।

प्रश्न-5. क्या जो सामान हम क्रेडिट कार्ड से ईएमआई पर लेते हैं वह भी कार्ड के सालाना खर्च की सीमा, जिस पर आयकर विभाग नजर रखता है, उसमें जुड़ जाता है? (हेमा तिवारी, गाजियाबाद)

उत्तर- क्रेडिट कार्ड पर ईएमआई पर लिये गये सामान का खर्च भी सालाना खर्च की सीमा के अनुसार उसमें जुड़ जाता है और आयकर विभाग की नजर में भी आता है।

प्रश्न-6. क्या सेल में लिये गये सामान में कोई खराबी निकल आये तो उस पर कंपनी की कोई जवाबदेही नहीं बनती? (सायना, दिल्ली)

उत्तर- साधारणतः सेल के लिए गये सामान में खराबी के लिए कंपनी की जवाबदेही नहीं बनती। और ऐसा डिस्क्लेमर 'कंडीशंससएप्लाय' में लिखा भी हो सकता है।

प्रश्न-7. आजकल कई ई-कॉमर्स वेबसाइटें उत्पादों की कम कीमत दिखाने के लिए उसके साथ गारंटी या वारंटी नहीं दिखातीं, उपभोक्ता को यदि गारंटी, वारंटी चाहिए तो उसके लिए अलग से भुगतान करना होता है। कई बार तो यह बात उत्पाद खरीदने के बाद पता चलती है। क्या वेबसाइटों की ओर से ऐसा करना कानूनी तौर पर सही है? (रचना दीक्षित, बुलंदशहर)

उत्तर- ऑन-लाइन खरीद के दौरान आप कई बार 'टर्म्स एंड कड़ीशंस' को एग्री करने के लिए एक चेकबाक्स में क्लिक करते हैं। यहां वेबसाइटों ने गारंटी/वारंटी की जानकारी पहले ही दी होती है अतः वे कानूनन सुरक्षित हैं।

प्रश्न-8. ऐप आधारित टैक्सियां ट्रैफिक जाम होने की स्थिति में जो पैसा वसूलती हैं क्या वह सही है? (अनिमेश, लखनऊ)

उत्तर- ऐप आधारित टैक्सियां द्वारा ट्रैफिक जाम की दशा में पैसे लेना गलत नहीं है क्योंकि ये उनकी टर्म्स एंड कंडीशंस में लिखा रहता है।

प्रश्न-9. पे-टीएम पर अकाउंट बनाने के बाद क्या सामान्य बैंक खातों की तरह इसके बारे में भी जानकारी आयकर रिटर्न में देनी होगी? (जयेश सैनी, दिल्ली)

उत्तर- मेरी राय में पे-टीएम अकाउंट की जानकारी आयकर रिटर्न में देना जरूरी नहीं है।

प्रश्न-10. क्या होम लोन की तरह कार लोन भी दूसरे बैंक में ट्रांसफर कराया जा सकता है? (पूनम सिंह, नोएडा)

उत्तर- कार लोन भी होम लोन की तरह बैंक-टू-बैंक ट्रांसफर हो सकता है।

नोटः कर से जुड़े हर मामले चूँकि भिन्न प्रकार के होते हैं इसलिए संभव है यहाँ दी गयी जानकारी आपके मामले में सटीक नहीं हो इसलिए अपने विशेषज्ञ की सलाह भी ले लें।

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