दीपावली पर सामूहिक पूजन के अलावा रात्रि पूजन भी करें

शुभा दुबे । Oct 29 2016 12:34PM

दीपावली के दिन सामूहिक पूजन में भाग लेने के बाद यदि संभव हो तो रात्रि पूजन अवश्य करें। इसके लिए श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र, कनक धारा श्री यंत्र और लक्ष्मी यंत्र को मंदिर में स्थापित कर पूजन करें।

रोशनी का त्योहार दीपावली पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाता है। वैसे तो पूरे भारत वर्ष में हर माह किसी ना किसी पर्व की छटा बिखरी रहती है लेकिन दीपावली सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनायी जाती है। दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व है। इसलिए मां लक्ष्मी की आराधना में हर कोई काफी पहले से जुट जाता है। लक्ष्मी जी के स्वागत और उनको प्रसन्न करने के लिए दीपावली से काफी समय पहले ही लोग अपने घरों की पुताई सफाई करवाते हैं और घर पर विभिन्न प्रकार की रोशनी करते हैं ताकि मां लक्ष्मी उनके घर की ओर आकर्षित हो सकें और उनकी कृपा हासिल की जा सके।

मान्यता है कि दीपावली के पूजन का जो समय होता है उसके अतिरिक्त यदि देर रात्रि लक्ष्मी पूजन किया जाए तो मां लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा भी कई अन्य उपाय हैं जिनसे मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है। जरूरत है तो बस सच्चे मन से उनका ध्यान करने की। भक्त चाहे अमीर हो या गरीब, मां लक्ष्मी सब पर कृपा करती हैं।

दीपावली पर्व की तैयारी दशहरे के पश्चात ही आरंभ हो जाती है। लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं। इस दिन घरों में सुबह से ही तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। बाज़ारों में खील-बताशे, मिठाइयां, खांड़ के खिलौने, लक्ष्मी-गणेश आदि की मूर्तियां बिकने लगती हैं। जगह-जगह पर आतिशबाजियों और पटाखों की दुकानें सजी होती हैं। सुबह से ही लोग रिश्तेदारों, मित्रों, सगे-संबंधियों के घर मिठाइयां व उपहार वितरित करते हैं। दीपावली की शाम गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। पूजा के बाद लोग घरों के बाहर दीपक व मोमबत्तियां जलाकर रखते हैं। रंग-बिरंगी फुलझड़ियां, आतिशबाज़ियों का आनंद सभी लोग लेते हैं। इस दिन इतना प्रकाश हो जाता है कि देर रात तक कार्तिक की अंधेरी रात पूर्णिमा से भी से भी अधिक प्रकाशयुक्त दिखाई पड़ती है।

दीपावली के दिन सामूहिक पूजन में भाग लेने के बाद यदि संभव हो तो रात्रि पूजन अवश्य करें। इसके लिए श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र, कनक धारा श्री यंत्र और लक्ष्मी यंत्र को मंदिर में स्थापित कर पूजन करें। इस दौरान कमल गट्टे की माला लेकर 'ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्ष्म्ये नमः' का जाप करें। इस मंत्र को जपने के दौरान यदि हवन में घी की आहुति भी डालें तो और अच्छा रहेगा।

दीपावली पूजन के अलावा इस पर्व के बारे में कुछ मान्यताएं भी प्रचलित हैं जैसे कि हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि त्रेता युग में इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास और रावण का वध करने के बाद अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने समूची नगरी को दीपों के प्रकाश से जगमग कर जश्न मनाया था और इस तरह तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा। इसके अलावा बौद्धों के प्राकृत जातक में दिवाली जैसे त्योहार का जिक्र है जिसका आयोजन कार्तिक महीने में किया जाता है। जैन लोग इसे महावीर स्वामी के निर्वाण से जोड़ते हैं। कहा जाता है कि करीब ढाई हजार वर्ष पूर्व कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात में पावा नगरी में भगवान महावीर का निर्वाण हुआ। महावीर के निर्वाण की खबर सुनते ही सुर असुर मनुष्य नाग गंधर्व आदि बड़ी संख्या में एकत्र हुए। रात अंधेरी थी इसलिए देवों ने दीपकों से प्रकाश कर उत्सव मनाया और उसी दिन कार्तिक अमावस्या को प्रातः काल उनके शिष्य इंद्रमूर्ति गौतम को ज्ञान लक्ष्मी की प्राप्ति हुई। तभी से इस दिन दीपावली मनाई जाने लगी। दीपावली के बारे में एक मान्यता यह भी है कि जब राजा बलि ने देवताओं के साथ लक्ष्मी जी को भी बंधक बना लिया तब भगवान विष्णु ने वामन रूप में इसी दिन उन्हें मुक्त कराया था। पुराणों में कहा गया है कि दीपावली लक्ष्मी के उचित उपार्जन और उचित उपयोग का संदेश लेकर आती है।

पूजा की तैयारी

घर की सफाई करके लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी में दीवारों को रंग कर लक्ष्मीजी का चित्र बनाएं। संध्या के समय विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं। लक्ष्मीजी के चित्र के सामने एक चौकी रखें। इसे मोली बांधें। इस पर मिट्टी के गणेशजी स्थापित करें। उसे रोली लगाएं। दो सामान्य दीपक और छह चौमुखे दीपक बनाएं तथा 26 छोटे दीपक रखें। इनमें तेल तथा बत्ती डालकर धूप आदि सहित पूजा करें। पूजा पहले पुरुष करें बाद में स्त्रियां। पूजा करने के बाद एक एक दीपक घर के कोनों पर जलाकर रखें। एक छोटा तथा एक चौमुखा दीपक रखकर लक्ष्मीजी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजन करें। अपनी इच्छानुसार घर की बहुओं को रुपए दें। लक्ष्मी पूजन रात के समय बारह बजे करना चाहिए। इस समय एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक जोड़ी लक्ष्मी तथा गणेश जी की जोड़ी रखें। समीप ही रुपए, सवासेर चावल, गुड़, केले, मूली, हरी ग्वार फली तथा पांच लड्डू रखकर सारी सामग्री सहित लक्ष्मी गणेश का पूजन करके लड्डुओं से भोग लगाओ। दीपकों का काजल सब स्त्री पुरुषों की आंखों में लगाना चाहिए। रात्रि जागरण करके गोपालसहस्त्र का पाठ करना चाहिए। इस दिन घर में बिल्ली आए तो उसे भगाना नहीं चाहिए। बड़ों के चरणों की वंदना करनी चाहिए। दुकान गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।

रात को बारह बजे दीपावली पूजन के उपरांत चूने अथवा गेरु में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल्ल, लोढ़ा तथा छाज (सूप) का तिलक काढ़ना चाहिए। दूसरे दिन चार बजे प्रातरूकाल उठकर पुराने छाज में कूड़ा रखकर कूड़े को दूर फेंकने के लिए ले जाते हुए कहते जाओ− लक्ष्मी आओ, दरिद्र जाओ। इसके बाद लक्ष्मी जी कथा सुनें।

पूजन विधि

आचमन प्राणायाम करके संकल्प के अंत में− स्थिरलक्ष्मीप्राप्त्र्यथं श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्र्यथं सर्वारिष्टनिवृत्तिपूर्वकसर्वाभीष्टफलप्राप्त्र्यथम् आयुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धर्यथं व्यापारे लाभार्थं च गणपति नवग्रह कलशादि पूजनपूर्वकं श्रीमहाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती लेखनी कुबेरादीनां च पूजनं करिष्ये कहकर जल छोड़ें। इसके बाद गणपति, कलश और नवग्रह आदि का पूवोक्त विधि से पूजन करके महालक्ष्मी का पूजन करें।

कई लोग लक्ष्मी पूजन के समय सिर्फ उन्हीं की तस्वीर की पूजा करते हैं। मां लक्ष्मी अपने पति भगवान श्री विष्णु के बगैर कहीं नहीं रहतीं इसलिए उनकी तस्वीर अथवा मूर्ति के साथ भगवान श्री विष्णु की तस्वीर या मूर्ति होना भी आवश्यक है। इसके अलावा मां लक्ष्मी के साथ ही भगवान श्री गणेश की भी तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। तभी मां लक्ष्मी का वहां स्थायी वास होता है। इसके अलावा पूजन के समय वहां शालिग्राम, शंख, तुलसी और अनंत महायंत्र भी होना चाहिए। मां लक्ष्मी चूंकि समुद्र देवता की पुत्री हैं इसलिए पूजन के समय मंदिर में यदि कुबेर पात्र, मोती और शंख इत्यादि भी हों तो अच्छा रहेगा।

मां लक्ष्मी को कमल बेहद पसंद है। उनका एक नाम कमला भी है। मां लक्ष्मी को पूजन के समय कमल अर्पित किया जाए तो वह बेहद प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा कमल गट्टे की माला से उनका पूजन भी किया जाता है। कमल गट्टे की माला लेकर ''ओम श्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद मम गृहे आगच्छ आगच्छ महालक्ष्म्ये नम:' का जाप करें। नित्य यदि यह जाप करें तो और भी अच्छा एवं फलदायक होगा।

मान्यताएं

दीपावली पूजन के अलावा इस पर्व के बारे में कुछ मान्यताएं भी प्रचलित हैं जैसे कि हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि त्रेता युग में इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास और रावण का वध करने के बाद अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने समूची नगरी को दीपों के प्रकाश से जगमग कर जश्न मनाया था और इस तरह तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा।

इसके अलावा बौद्धों के प्राकृत जातक में दिवाली जैसे त्योहार का जिक्र है जिसका आयोजन कार्तिक महीने में किया जाता है। जैन लोग इसे महावीर स्वामी के निर्वाण से जोड़ते हैं। कहा जाता है कि करीब ढाई हजार वर्ष पूर्व कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात में पावा नगरी में भगवान महावीर का निर्वाण हुआ। महावीर के निर्वाण की खबर सुनते ही सुर असुर मनुष्य नाग गंधर्व आदि बड़ी संख्या में एकत्र हुए। रात अंधेरी थी इसलिए देवों ने दीपकों से प्रकाश कर उत्सव मनाया और उसी दिन कार्तिक अमावस्या को प्रातः काल उनके शिष्य इंद्रमूर्ति गौतम को ज्ञान लक्ष्मी की प्राप्ति हुई। तभी से इस दिन दीपावली मनाई जाने लगी।

दीपावली के बारे में एक मान्यता यह भी है कि जब राजा बलि ने देवताओं के साथ लक्ष्मी जी को भी बंधक बना लिया तब भगवान विष्णु ने वामन रूप में इसी दिन उन्हें मुक्त कराया था। पुराणों में कहा गया है कि दीपावली लक्ष्मी के उचित उपार्जन और उचित उपयोग का संदेश लेकर आती है।

शुभा दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़