Jaya Ekadashi 2025: जया एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मिलती है मुक्ति, ऐसे करें भगवान विष्णु का पूजन

Jaya Ekadashi 2025
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हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार 08 फरवरी 2025 को यह व्रत किया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार 08 फरवरी 2025 को यह व्रत किया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी कष्टों का अंत हो जाता है। साथ ही उसको भूत-प्रेत से छुटकारा मिलता है। यदि सच्चे भाव से जया एकादशी का व्रत किया जाता है, तो जातक को मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है और व्यक्ति पर श्रीहरि की कृपा बनी रहती है।

बता दें कि इस साल जया एकादशी के मौके पर मृगशिर्षा नक्षत्र बन रहा है जिस पर वैधृति योग का संयोग भी है। इस दिन जया एकादशी का व्रत करने और कथा का पाठ करने से व्यक्ति की समस्याओं का अंत होता है और जातक के भाग्य में वृद्धि होती है। तो आइए जानते हैं जया एकादशी का मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में...

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खास है जया एकादशी

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जया एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की माधव रूप में पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि जो भी इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

पूजन विधि

इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर साफ कपड़े पहनें और घर व मंदिर स्थल की साफ-सफाई करें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान श्रीहरि विष्णु की मूर्ति को स्थापित करें। अब पंचामृत से श्रीहरि का अभिषेक करें और भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करें। फिर श्रीहरि को फूल-फल, माला और मिठाई आदि अर्पित करें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं और एकादशी व्रत कथा का पाठ करें और जगत के पालनहार श्रीहरि के मंत्रों का जाप करें। पूजा के अंत में आरती कर प्रसाद वितरित करें और पूजा में हुई भूलचूक के लिए क्षमायाचना करें।

स्तुति मंत्र

शांताकारं भुजगशयनं, पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगनसदृशं, मेघवर्णं शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं, योगिभिर्ध्यानगम्यम्, वन्दे विष्णुं भवभयहरं, सर्वलोकैकनाथम्।।

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