गणेश पूजा से घर में आती है सुख-शांति और समृद्धि

Ganesh Chaturthi
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देश के अलग-अलग राज्यों में पूजा का विधान है। जिस प्रकार पश्चिम बंगाल में मां दुर्गा की पूजा और बिहार में छठ पूजा में की जाती है, उसी प्रकार महाराष्ट्र में गणेश पूजा का विधान है। महाराष्ट्र में गणेश पूजा की प्रथा देखते ही बनती है।

आज गणेश चतुर्थी है, गणेश जी की पूजा से घर में सुख-शांति तथा समृद्धि आती है, तो आइए हम आपको गणेश चतुर्थी की पूजा विधि तथा महत्व के बारे में बताते हैं। 

जाने गणेश चतुर्थी के बारे में 

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस बार गणेश चतुर्थी 31 अगस्त से मनाया जा रहा है। इस बार गणेश चतुर्थी को बहुत शुभ योग बन रहा है। गणेश जी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है। 

अनन्त चतुदर्शी के दिन होता है मूर्ति विसर्जन

गणेश पूजा एक दिवसीय पूजा न होकर बल्कि दस दिवसीय पूजा है। यह पूजा गणेश चतुर्थी से शुरू होकर अनन्त चतुर्दशी तक चलती रहती है। महाराष्ट्र तथा आस-पास के क्षेत्रों में गणेश जयंती के नाम से भी मनाया जाता है। 

महाराष्ट्र में भी होती है विशेष धूम 

देश के अलग-अलग राज्यों में पूजा का विधान है। जिस प्रकार पश्चिम बंगाल में मां दुर्गा की पूजा और बिहार में छठ पूजा में की जाती है, उसी प्रकार महाराष्ट्र में गणेश पूजा का विधान है। महाराष्ट्र में गणेश पूजा की प्रथा देखते ही बनती है। वहां हर गली चौराहे पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर गणेशत्सव मनाया जाता है। महाराष्ट्र में जगह-जगह बड़े पंडाल बनाए जाते हैं और वहां दस दिनों तक पूजा-अर्चना की जाती है। 

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गणेश चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कथा

शिवपुराण में एक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार माता पार्वती ने स्ननान करते समय अपनी मैल से एक पुत्र उत्पन्न कर द्वारपाल बना दिया। शिवजी जब लौट कर आए तो उस बालक ने प्रवेश करने से मना कर दिया। इस पर शिवगणों ने बालक के साथ संग्राम किया लेकिन कोई बालक से जीत नहीं सका। इस पर शंकर जी त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। शिव जी के इस बर्ताव पर माता पार्वती बहुत क्रुद्ध हुईं। इस पर नारद के साथ अन्य देवताओं ने जगदम्बा को स्तुति कर शांत किया। शिव जी के कहने पर विष्णु जी रास्ते में पड़ने वाले पहले जीव का सिर लेकर आए उस बालक धड़ पर स्थापित कर दिया। इस पर जगदम्बा अति प्रसन्न हुई और उसे सभी देवताओं में श्रेष्ठ होने का आर्शीवाद दिया। शिव जी ने कहा हे गिरिजानंदन तू सुख-समृद्धि का स्वामी होगा। भादो मास की कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रोदय के बाद उदित होने के कारण समस्त संसार तेरी अराधना करेगी। गणेश जी की व्रत तथा पूजा से घर में सुखों का वास होगा।  

गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है 

ऐसी मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा को देखने से कलंक लगता है इसलिए इसे कलंक चतुर्थी कहा जाता है। इससे जुड़ी पौराणिक कथा भी प्रचलित है। 

गणेश चतुर्थी को डंडा चौथ भी कहते हैं

गणेश जी ऋद्दि-सिद्दि और बुद्धि के देवता है। इसलिए इस दिन छोटे बच्चे विद्या आरम्भ करते हैं। इसी दिन डंडा बजाकर खेलते भी हैं इसलिए डंडा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। 

गणेश पूजा का महत्व 

गणेश पूजा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। भगवान गणेश सुख और समृद्धि के देवता हैं। ऐसी मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से सुख, समृद्धि और बुद्धि आती है। इस बार कई तरह के ग्रहों के संयोग से शुभ मुहूर्त बन रहा है इसलिए इस वर्ष गणेश पूजा का विशेष महत्व है। 

- प्रज्ञा पाण्डेय

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