Buddha Purnima 2025: वैशाख पूर्णिमा पर हुआ था भगवान विष्णु के 9वें अवतार गौतम बुद्ध का जन्म, जानिए महत्व

Buddha Purnima 2025
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हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। इस बार आज यानी की 12 मई 2025 को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता है कि वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान श्रीहरि विष्णु के 9वें अवतार गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था।

हर साल वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। इस बार आज यानी की 12 मई 2025 को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता है कि वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान श्रीहरि विष्णु के 9वें अवतार गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इस वजह से वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। हिंदू और बौद्ध दोनों धर्म के लोग वैशाख पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, पूजा और अनुष्ठान व व्रत रखा जाता है। तो आइए जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व के बारे में...

तिथि और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक वैशाख माह की पूर्णिमा की तिथि की शुरूआत 11 मई की शाम 06:55 मिनट से हुई। वहीं आज यानी की 12 मई की शाम 07:22 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। वहीं उदयातिथि के मुताबिक 12 मई 2025 को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर कई तरह के दुर्लभ योगों का निर्माण हो रहा है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन वरियान और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। 

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भगवान बुद्ध का जन्म

वैशाख पूर्णिमा को भगवान श्रीहरि विष्णु के 9वें अवतार भगवान बुद्ध का जन्मदिवस मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि उनको पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस वृक्ष को बोधि वृक्ष भी कहा जाता है। गौतम बुद्ध ने 6 वर्षों तक इसी वृक्ष के नीचे तपस्या की थी और वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन उनको बोधि प्राप्त हुआ।

महत्व

पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा कहा जाता है। हर महीने की पूर्णिमा को जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है। वहीं इस दिन भगवान बुद्ध की जयंती और निर्वाण दिवस भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि बुध पूर्णिमा में दुनियाभर से बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग बोधगया आते हैं और बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

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