Holika Dahan 2024: देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है होलिका दहन

Holika Dahan
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हिन्दुओं के लिए होलिका दहन विशिष्ट अवसर होता है। पंडितों की मान्यता है कि इस दिन कुछ सावधानी रखना जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन सफेद रंग के कपड़ों नहीं पहनने चाहिए और इस दिन नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव ज्यादा रहता है इसलिए इसे पहनने से बचना चाहिए।

आज होलिका दहन है, वैसे तो होलिका दहन की तैयारियां बहुत पहले से शुरू हो जाती हैं लेकिन इस दिन कुछ और सावधानियां भी जरूरी होती हैं तो आइए हम आपको होलिका दहन के महत्व तथा सावधानियों पर कुछ रोचक बातें बताते हैं। 

माघ महीने से शुरू हो जाती है होलिका दहन की तैयारी   

वैसे तो होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होता है लेकिन इसकी तैयारी माघ महीने की पूर्णिमा से ही शुरू हो जाता है। इसके लिए  एक महीने पहले गांव या शहर के किसी खास चौराहे पर गुलर के पेड़ की लकड़ी को रख दिया जाता है जिसे होली का डंडा गाड़ना कहते हैं। उसके बाद एक महीने तक धीरे-धीरे उस पर उपले, लकड़ियां, डंडे और झांड़िया इकट्ठी की जाती हैं। होलिका में गोबर के उपलों की माला भी बनायी जाती है जिसे महिलाएं घर में कई दिन पहले से बनाना शुरू कर देती हैं। 

होलिका दहन के दिन इन कामों से बचें, होगा लाभ

हिन्दुओं के लिए होलिका दहन विशिष्ट अवसर होता है। पंडितों की मान्यता है कि इस दिन कुछ सावधानी रखना जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन सफेद रंग के कपड़ों नहीं पहनने चाहिए और इस दिन नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव ज्यादा रहता है इसलिए इसे पहनने से बचना चाहिए। इसके अलावा सफेद रंग की चीजों को खाने से भी बचना चाहिए। इस दिन किसी को पैसा उधार नहीं देना चाहिए। उधार देने से घर में पैसों की परेशानी हो सकती है। होलिका दहन के दिन स्त्री तथा पुरुष दोनों को सिर ढककर  पूजा करनी चाहिए। नए जोड़ों को होलिका दहन की पूजा नहीं देखनी चाहिए, इसका असर उनके दाम्पतय जीवन पर पड़ता है। होलिका दहन के दिन रास्ते पर पड़ी किसी चीज को न छूएं। 

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होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

पंडितों के अनुसार 24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है। ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा।

होलिका दहन से जुड़ी पौराणिक कथा भी है रोचक

होलिका दहन से जुड़ी एक कथा बहुत पहले से प्रचलित है । इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक राक्षस था जो हिरण्यकश्यप के नाम से जाना जाता था। वह बहुत बलशाली था। अपने शक्ति का उसे बहुत घमंड था। उसने अपने राज्य की प्रजा को आदेश दिया कि जो कोई भक्त विष्णु भगवान की पूजा करेगा उसे मृत्युदंड दिया जाएगा। राक्षस का यह व्यवहार देखकर भगवान विष्णु ने उसे दंड देने के लिए भक्त प्रह्लाद को उसके यहां बालक रूप में भेजा। प्रह्लाद ने उसके यहां जन्म लिया लेकिन प्रह्लाद विष्णु के उपासक थे जिसे देख कर वह बहुत क्रुद्ध होता था। एक दिन हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका के साथ योजना बनायी। उसने होलिका को बालक  प्रह्लाद को लेकर आग में बैठने की आज्ञा दी। होलिका हिरण्यकश्यप की बात मानकर आग में तो बैठ गयी लेकिन विष्णु भगवान की कृपा से बालक प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ होलिका आग में जलकर भस्म हो गयी। इस प्रकार भक्त प्रह्लाद के बचने और होलिका के जलने की खुशी में हर साल होली से पहले होलिका जलायी जाती है। 

ऐसे करें होलिका की पूजा, होगा मंगलकारी

हमारी हिन्दू परम्पराओं में होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा की प्रावधान है। होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना जरूरी है। स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं। वहीं पूजा की सामग्री के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी,.मूंग, बताशे, गुलाल नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें। इसके बाद इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें। मिठाइयां और फल चढ़ाएं। होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें। 

होलिका दहन पर है भद्रा का साया 

पंडितों के अनुसार 24 मार्च को भद्रा पूर्णिमा तिथि के आरंभ होने के साथ ही लगी रही है और रात में 11 बजकर 13 मिनट तक भद्रा रहेगी। ऐसे में भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना शुभ रहेगा।

होलिका दहन पर होगा चंद्रग्रहण का साया

होलिका दहन पर चंद्रग्रहण को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है कि चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। जबकि इस बार होली पर कोई चंद्रग्रहण नहीं है। जो उपछाया चंद्रग्रहण लगने जा रहा है वह भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं रहेगा। इसलिए इसका दान आदि करने की भी विधान मान्य नहीं रहेगा। इसलिए होली पर ग्रहण दोष का भय मन से हटाकर रंगोत्व का आनंद ले।

होलिका की राख भी होती है बहुत खास  

होलिका दहन तो पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है लेकिन देश में कई स्थानों पर होलिका की राख का भी खास महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि होलिका दहन के बाद राख को हर में रखना चाहिए तथा शरीर पर भी लगा सकते हैं। होलिका की राख को घर में लाने से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। अगले दिन होली की सुबह घर के आंगन को गोबर से लिपकर वेदी बनाए तथा पूर्वजों को याद कर रंग-गुलाल की शुरुआत करें।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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