बैसाख पूर्णिमा व्रत से होती है दरिद्रता दूर

Baisakh Purnima
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बैसाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। बैसाख पूर्णिमा के दिन ही महान दार्शिनक तथा विचारक गौतम बुद्ध का 563 ईसा पूर्व में जन्म हुआ था। यही नहीं 531 ईसा पूर्व निरंजना नदी के तट पर पीपल के पेड़ के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।

हिन्‍दू धर्म में बैसाख पूर्णिमा का विशेष महत्‍व होता है। बैसाख मास बहुत पवित्र होता है, तो आइए हम आपको बैसाख पूर्णिमा के महत्व तथा पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

चन्द्र ग्रहण के कारण है इसका खास महत्व 

इस साल बैसाख पूर्णिमा का बहुत खास है क्योंकि इस दिन चंद्र ग्रहण भी लगेगा। यह साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन भारत के किसी भी भाग में दिखाई नहीं देगा। 16 मई के दिन बनने वाले इन सभी संयोग के कारण बैसाख पूर्णिमा का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है। इसी दिन भगवान बुद्ध के धरा अवतरण दिवस के कारण इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

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 बैसाख पूर्णिमा पर रखें सत्य विनायक व्रत

बैसाख  पूर्णिमा पर सत्य विनायक व्रत रखने का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन सत्य विनायक व्रत रखने से व्रती की सारी दरिद्रता दूर हो जाती है। मान्यता है कि अपने पास मदद के लिए आए भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मित्र सुदामा (ब्राह्मण सुदामा) को भी इसी व्रत का विधान बताया था जिसके पश्चात उनकी गरीबी दूर हुई। बैसाख पूर्णिमा को धर्मराज की पूजा करने का विधान है। पंडितों का मानना है कि धर्मराज सत्यविनायक व्रत से प्रसन्न होते हैं। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्रती को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।

जानें बैसाख पूर्णिमा के बारे में 

हिन्‍दू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा विष्णु भगवान को समर्पित होती है। हर पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। उसी प्रकार बैसाख पूर्णिमा भी बहुत खास होती है। इस महीने में होने वाली पूर्णिमा के दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में और चांद भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है। ऐसी मान्यता है कि बैसाख पूर्णिमा के दिन किया गया स्नान कई जन्मों के पापों का नाश करता है। 

बैसाख पूर्णिमा का बुद्ध से खास है विशेष सम्बन्ध

बैसाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। बैसाख पूर्णिमा के दिन ही महान दार्शिनक तथा विचारक गौतम बुद्ध का 563 ईसा पूर्व में जन्म हुआ था। यही नहीं 531 ईसा पूर्व निरंजना नदी के तट पर पीपल के पेड़ के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। साथ ही महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण भी बैसाख पूर्णिमा के दिन ही हुआ था इसलिए बौद्ध धर्म में बैसाख पूर्णिमा का खास महत्व होता है।

बैसाख पूर्णिमा पर इन कामों से होगी परेशानी  

बैसाख पूर्णिमा बहुत पवित्र दिन होता है, इसलिए इस दिन विशेष प्रकार के काम न करें। इस दिन सदैव शाकाहार ग्रहण करें तथा मांसाहार का सेवन कभी नहीं करें। यह दिन पितरों के तर्पण के लिए खास माना जाता है इसलिए बैसाख पर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान कर हाथ में तिल लेकर पितरों क तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

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बैसाख पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी को ऐसे करें प्रसन्न

बैसाख पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा, विष्णु भगवान और लक्ष्मी जी पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि आती है। चन्द्रमा को सफेद रंग भाता है इसलिए दूध और शहद इत्यादि का दान करें। इससे मान-सम्मान बढ़ता और घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन रात में खीर बनाकर चन्द्रमा को भोग लगाएं। इससे जीवन में सुख बढ़ेगा। इस दिन गणेश जी और हनुमान जी की अराधना से भक्त को लाभ मिलता है।

बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म के अनुयायी मनाते हैं बैसाख पूर्णिमा 

बौद्ध धर्म के अनुयायी और हिन्दू भक्त दोनों ही बैसाख पूर्णिमा को बहुत श्रद्धा से मनाते हैं। भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार माने जाते हैं। इस प्रकार विष्णु भक्त भगवान बुद्ध में विष्णु रूप को देखते हैं और उनकी अराधना करते हैं। 

ऐसे मनाएं बैसाख पूर्णिमा  

हिन्दू धर्म में बैसाख महीना बहुत खास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि बैसाख महीने की पूर्णिमा को गंगा स्नान करने से विष्णु भगवान का आर्शीवाद प्राप्त होता है। बैसाख पूर्णिमा के दिन सबसे पहले सूर्य उदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद स्नान करने के लिए बाल्टी के पानी में गंगाजल डाल लें। इस विशेष अवसर पर घर के मंदिर में विष्णु भगवान की पूजा करें और उनकी प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं। साथ ही घर के मुख्य दरवाजे पर रोली, हल्दी या कुमकुम से स्वास्तिक बनाकर वहां गंगा जल छिड़क दें। बैसाख पूर्णिमा के दिन पूजा करने के बाद गरीबों को भोजन करवाकर उन्हें कपड़े भी दान करें। इसके अलावा बैसाख पूर्णिमा के दिन अगर आपके घर में पिंजरे में कैद पक्षी हो तो उसे आजाद कर आकाश में उड़ा दें आपको बहुत पुण्य मिलेगा। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का विशेष महत्व होता है इसलिए शाम को उगते चंद्रमा को जल चढ़ाएं।

- प्रज्ञा पाण्डेय

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