Kaagaz 2 Review | आम इंसान के दर्द को उकेरने के साथ राजनीतिक व सामाजिक व्‍यवस्‍था पर चोट करती है 'कागज 2'

Kaagaz 2
Kaagaz 2 movie
रेनू तिवारी । Mar 1 2024 6:37PM

आम आदमी और खास आदमी के बीच इन दिनों खाई इतनी लंबी और गहरी है कि उसे पाट पाना अब बहुत मुश्किल हो चला है। सबके लिए कानून में बराबर अधिकार दिया गया है, लेकिन आम आदमी को इसकी जरूरत पड़े, तो क्या वाकई कानून उसकी मदद के लिए साथ खड़ा होता है!

प्रेस विज्ञप्ति: आम आदमी और खास आदमी के बीच इन दिनों खाई इतनी लंबी और गहरी है कि उसे पाट पाना अब बहुत मुश्किल हो चला है। सबके लिए कानून में बराबर अधिकार दिया गया है, लेकिन आम आदमी को इसकी जरूरत पड़े, तो क्या वाकई कानून उसकी मदद के लिए साथ खड़ा होता है! फिल्म 'कागज 2' इसी की पड़ताल करती एक संवेदनशील फिल्म है। इस कड़ी की दो साल पहले आई फिल्म 'कागज' भी एक आम आदमी की कहानी थी, जिसे जिंदा होने के बावजूद सरकारी कागजों में मृत बताया गया होता है। सतीश कौशिक के निर्देशन में बनी वह फिल्‍म सत्‍य घटना से प्रेरित थी। अब उस फ्रेंचाइजी की दूसरी फिल्‍म 'कागज 2' आई है। यह फिल्म भी आम इंसान के दर्द को उकेरने के साथ यह राजनीतिक और सामाजिक व्‍यवस्‍था पर चोट करती है। राजनीतिक रैलियों, हड़ताल, धरने-प्रदर्शन के चलते जगह-जगह ट्रैफिक जाम आम लोगों की तकलीफ का कारण बनते हैं। दिवंगत अभिनेता और फिल्‍ममेकर सतीश कौशिक के अभिनय से सजी यह अंतिम फिल्‍म है। उनकी ख्‍वाहिश के मुताबिक यह फिल्‍म एक मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। 

 

कहानी

फिल्म 'कागज 2' की कहानी दो परिवारों की कहानी है। इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आइएमए) में प्रशिक्षण ले रहे उदय प्रताप सिंह (दर्शन कुमार) के पिता राज नारायण सिंह उसे बचपन में ही छोड़कर चले जाते हैं। राज नारायण सिंह का पत्नी से भी अलगाव हो चुका है। उदय प्रताप सिंह को इस बात का मलाल रहता है कि अगर पिता की परवरिश में वह पला—बढ़ा हुआ होता, तो उनके जीवन का लक्ष्य कुछ और ही होता। ऐसे में वह काम को लेकर फोकस नहीं रह पाता है। घटनाक्रम मोड़ लेते हैं और वह आइएमए छोड़कर घर आ जाता है। उसकी मां राधिका (नीना गुप्‍ता) अपना बुटीक चलाती है। इस बीच उदय के पिता वकील राज नारायण सिंह (अनुपम खेर) उससे मिलने की ख्‍वाहिश जताते हैं। उदय बेमन से उनसे मिलने जाता है। बचपन में उसे और उसकी मां को छोड़कर जाने के कारण वह पिता से बेहद नाराज है। उसे पता चलता है कि पिता को ब्‍लड कैंसर है। इसके बावजूद वह एक लाचार पिता सुशील रस्‍तोगी (सतीश कौशिक) का मुकदमा लड़ रहे होते हैं। वहीं, दूसरी कहानी एक पिता-पुत्री की है। बेटी आर्या रस्तोगी यूपीएससी टॉपर है और आईपीएस अधिकारी बनने वाली है। लेकिन, उसके माता—पिता के सारे सपने उस वक्त चकनाचूर हो जाते हैं, जब प्रशासन की लापरवाही से बेटी की मौत हो जाती है। राजनीतिक रैली के चलते ट्रैफिक जाम में फंसने के कारण उचित समय पर इलाज न मिल पाने से आर्या रस्तोगी दम तोड़ देती है। सुशील रस्‍तोगी अपनी बेटी को न्‍याय दिलाने की लड़ाई लड़ते हैं। उदय भी इस मुहिम का हिस्सा बनता है।समाज के दूसरे लोगों के लिए यह महज एक और घटना है, लेकिन जिस परिवार के साथ यह घटा है, उस पर क्या बीतती है, यह वही समझ सकता है, जो इससे दो चार हुआ हो। फिल्म में एक असहाय बाप की पीड़ा उस समय दर्शकों की आंखों में आंसू ले आती है, जब भरी अदालत में उन्हें सहानुभूति तो मिलती है, लेकिन उनके इरादों को कानून के घेरे में लाकर उसकी मंशा पर सवाल उठाए जाते हैं। एक आम आदमी की पीड़ा इस दृश्य में जो उभरकर आती है, वह दर्शकों को काफी भावुक कर देती है।

स्क्रीनप्ले

कागज पर लिखे नियम तब तक बेअसर हैं, जब तक उन्‍हें अमल में न लाया जाए। यह फिल्‍म यही संदेश देती है। फिल्‍म के क्‍लाइमैक्‍स में सुशील रस्‍तोगी कहते हैं, 'देश सेवा के नाम पर हमारे नेता लोग यह रैली करते हैं, धरना—प्रदर्शन करते हैं, उससे यह देश को सचमुच बदल देंगे। अपने रास्‍ते बनाने के लिए दूसरों के रास्‍ते रोकने का अधिकार इन्‍हें दिया किसने।' यह संवाद उस व्‍यवस्‍था पर सवाल खड़े करता है, जो आम इंसान को हाशिये पर रखता है। फिल्‍म इस मुद्दे को तार्किक तरीके से उठाती है। साथ ही माता-पिता के अलगाव का बच्‍चों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी रेखांकित करती है। हालांकि, फिल्‍म की शुरुआत में उदय के पात्र को स्‍थापित करने में लेखक और निर्देशक ने काफी समय लिया है। मुद्दे पर आने में लेखक काफी समय लेते हैं। पिता-पुत्र के बीच के कई दृश्‍य बहुत संवेदनशील हैं और वह दिलो दिमाग पर प्रभाव भी छोड़ते हैं।

इसे भी पढ़ें: Bollywood Wrap Up | निया शर्मा ने ब्रालेस होकर करवाया फोटोशूट, योद्धा में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने एक्शन सीन्स से फूंकी जान

अभिनय

लाचार पिता सुशील रस्‍तोगी की भूमिका में दिवगंत सतीश कौशिक अपनी अभिनय क्षमता के बेहतरीन प्रदर्शन करते नजर आते हैं। वहीं, निडर वकील राज नारायण की भूमिका में अनुपम खेर का अभिनय भी उनकी काबिलियत का श्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। राज नारायण का अपना एक अतीत है जिसकी वजह से बेटा उदय उनको पसंद नहीं करता है। लेकिन, जब बेटे को पिता की सच्चाई का पता चलता है तो वह अपने पिता का साथ देता है। उदय की भूमिका दर्शन कुमार ने निभाई है। उन्होंने पात्र के अनुरूप खुद को ढालने के लिए फिटनेस पर काफी मेहनत की है। अन्य मुख्य कलाकारों में स्मृति कालरा, नीना गुप्ता, अनंग देसाई, किरण कुमार और करण राजदान ने भी अपनी भूमिकाएं प्रभावशाली ढंग से निभाई है।

इसे भी पढ़ें: Anant Ambani और Radhika Merchant की प्री-वेडिंग के लिए इवांका ट्रंप से लेकर मार्क जुकरबर्ग तक, मशहूर हस्तियां जामनगर पहुंचीं

कलाकार :सतीश कौशिक, अनुपम खेर, नीना गुप्ता, दर्शन कुमार, स्मृति कालरा, अनंग देसाई

निर्देशक: वीके प्रकाश

निर्माता: सतीश कौशिक

लेखक: सुमन अंकुर, शशांख खंडेलवाल

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़