बाबूमोशाय बंदूकबाज में दनादन गोलियां और सेक्स भरे दृश्य

film review of Babumoshai Bandookbaaz
प्रीटी । Aug 28 2017 12:11PM

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म ''बाबूमोशाय बंदूकबाज'' में जमकर हिंसा और सेक्स परोसा गया है। फिल्म देखकर आप बाहर निकलेंगे तो कुछ देर तक कानों में गोलियों की आवाजें ही गूंजती रहेंगी।

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'बाबूमोशाय बंदूकबाज' में जमकर हिंसा और सेक्स परोसा गया है। फिल्म देखकर आप बाहर निकलेंगे तो कुछ देर तक कानों में गोलियों की आवाजें ही गूंजती रहेंगी। निर्देश कुशन नंदी की यह फिल्म आपको कुछ कुछ 'गैंग्स ऑफ गोरखपुर' की याद दिलाएगी। फिल्म की पटकथा पर जमकर मेहनत की गयी है और कलाकारों का चयन भी किरदारों से काफी मेल खाता है। यदि नवाजुद्दीन सिद्दीकी के फैन हैं तो आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

फिल्म की कहानी दो कांट्रेक्ट किलर बाबू बिहारी (नवाजुद्दीन) और बांके बिहारी (जतिन) के इर्दगिर्द घूमती है। बाबू 10 साल की उम्र से ही हत्याएं करने का काम कर रहा है। पहली हत्या उसने खाने के लिए की थी। बांके बाबू का फैन है और वह सुपारी किलर बनने का सपना देखता है। बांके की गर्लफ्रेंड यास्मीन डांसर है और उसके लिए सुपारी लाती है। बाबू की गर्लफ्रेंड फुलवा (बिदिता) उसे खत्म कर देने के लिए कहती है। बाबू अपनी गर्लफ्रेंड फुलवा के साथ मजे में रह रहा होता है लेकिन बांके की उस पर नजर पड़ती है और वह भी फुलवा की तरफ आकर्षित हो जाता है। फिल्म में दो नेता और पुलिस भी अपने अपने फायदे के लिए इन बंदूकबाजों का इस्तेमाल करते हैं। फिल्म की कहानी में रोचक मोड़ तब आता है जब दोनों के निशाने एक हो जाते हैं। दोनों तय करते हैं कि जो ज्यादा लोगों को मारेगा वही नंबर वन किलर कहा जाएगा। लेकिन दोनों इस बात से अनजान हैं कि दोनों को मोहरा बनाकर एक बड़ा खेल खेला जा रहा है।

अभिनय के मामले में नवाजुद्दीन सिद्दीकी पूरी फिल्म में छाये हुए हैं। उनका स्टाइल काफी आकर्षक लगा है। वह संवादों से ज्यादा अपने चेहरे के हाव-भावों से कह जाते हैं। जतिन का काम भी अच्छा रहा। बिदिता ने कमाल का काम किया है। वह बॉलीवुड में लंबे समय तक टिकने के लिए आई हैं। उन्होंने काफी गर्मागर्म दृश्य दिये हैं। श्रद्धा ने अपने सेक्सी नृत्यों से दर्शकों का ध्यान खींचने की कोशिश की है। दिव्या दत्ता और अन्य कलाकारों का काम ठीकठाक रहा। निर्देशक कुशन नंदी की यह फिल्म मनोरंजन की सभी कसौटियों पर हालांकि खरी नहीं उतरती लेकिन फिर भी इसे एक बार देखा जा सकता है। यदि आप हिंसा प्रधान फिल्मों के शौकीन नहीं हैं तो बेशक इस फिल्म को छोड़ सकते हैं।

कलाकार- नवाजुद्दीन सिद्दीकी, बिदिता बाग, श्रद्धा दास, जतिन गोस्वामी, दिव्या दत्ता, अनिल जॉर्ज और निर्देशक कुशन नंदी।

-प्रीटी

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