मर्डर मिस्ट्री फिल्म ''रुख'' दर्शकों को बांधें नहीं रख पाती
इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म ''रुख'' का रुख अन्य मर्डर मिस्ट्री फिल्मों से हट कर भले है लेकिन फिल्म इतनी धीमी गति से आगे बढ़ती है कि दर्शकों के सब्र का इम्तिहान ही हो जाता है।
इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'रुख' का रुख अन्य मर्डर मिस्ट्री फिल्मों से हट कर भले है लेकिन फिल्म इतनी धीमी गति से आगे बढ़ती है कि दर्शकों के सब्र का इम्तिहान ही हो जाता है। निर्देशक मनीष मुंदरा इससे पहले हालांकि बेहद उम्दा फिल्में 'आंखिन देखी', 'मसान' और 'न्यूटन' बना चुके हैं। भले उनकी पिछली फिल्मों ने बॉक्स आफिस पर धमाल नहीं मचाया हो लेकिन उनकी फिल्मों की पटकथा और उनके निर्देशन को काफी तारीफें मिली हैं। लेकिन इस बार उनके निर्देशकीय कौशल पर ही सवाल उठे हैं क्योंकि दर्शक ना तो पात्रों से खुद को बांध पाये और ना ही कहानी उन्हें बांधे रखने में सफल रही। निर्देशक का दावा है कि फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है।
कहानी दिवाकर माथुर (मनोज वाजपेयी) और उसके परिवार के इर्दगिर्द घूमती है। दिवाकर का लेदर का कारोबार है उसकी फैक्ट्री ठीक से नहीं चल पा रही है क्योंकि आर्थिक तंगी चल रही है। उसकी पत्नी नंदिनी माथुर (स्मिता तांबे) हमेशा यही कहती रहती है कि वह अपनी फैक्ट्री में ही बिजी रहता है और अपनी पत्नी और बेटे ध्रुव माथुर (आदर्श गौरव) पर बिलकुल ध्यान नहीं देता। दिवाकर का दोस्त रॉबिन (कुमुद मिश्र) अपने दोस्त की मदद को आगे आता है और कारोबार में उसकी मदद करता है। वह उसकी फैक्ट्री में पैसा लगाता है और पार्टनर भी बन जाता है। एक बार ध्रुव अपने स्कूल में बच्चों के साथ मारपीट करता है तो उसे स्कूल से निकाल दिया जाता है और उसके पिता उसे बोर्डिेंग स्कूल भेज देते हैं। एक दिन ध्रुव को खबर मिलती है कि उसके पिता की दुर्घटना में मौत हो गयी है तो उसे लगता है कि उसकी पिता की मौत दुर्घटना में नहीं हुई बल्कि उन्हें सोची समझी साजिश के तहत मारा गया है। अब वह हत्यारों को सामने लाने की मुहिम में जुट जाता है।
हाल ही में 'अलीगढ़' फिल्म से अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाले मनोज वाजपेयी इस फिल्म में कोई कमाल नहीं कर पाये। स्मिता तांबे का काम अच्छा रहा। आदर्श गौरव का काम दर्शकों को पसंद आयेगा। कुमुद मिश्रा ने भी अच्छा काम किया है। फिल्म का गीत-संगीत कहानी की गति को बाधित करता है। यदि आप मनोरंजन की दृष्टि से फिल्म देखने जा रहे हैं तो पूरी तरह निराश होंगे।
कलाकार- मनोज वाजपेयी, स्मिता तांबे, कुमुद मिश्र, आदर्श ग्रोवर और निर्देशक अतानु मुखर्जी।
- प्रीटी
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