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विवाद के बीच सैफ अली खान की सीरीज 'तांडव' देखने का प्लान है, तो पढ़ें पहले रिव्यू
- रेनू तिवारी
- जनवरी 21, 2021 15:25
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ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर विवादों के भरी बेव सीरीज तांडव रिलीज हुई है। इस सीरीज पर काफी ज्यादा बवाल मचा हुआ है। शहर-शहर में इस सीरीज को बैन करने की मांग हो रही है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर विवादों के भरी बेव सीरीज तांडव रिलीज हुई है। इस सीरीज पर काफी ज्यादा बवाल मचा हुआ है। शहर-शहर में इस सीरीज को बैन करने की मांग हो रही है। हिंदू संगठनों सहित कुछ नेताओं ने भी सूचना प्रसारण मंत्रालय से सीरीज के खिलाफ सख्त एक्शन लेने की मांग की है। लोगों का आरोप है कि सीरीज में कुछ सीन और डायलॉग है जो हिंदू धर्म के पूजनीय देवी-देवताओं का अपमान कर रहे हैं। इस विवाद के परे अगर हम सीरीज की बात करें तो जबरदस्त ट्विस्ट- शानदार परफॉरमेंस, फिर भी स्लो है सैफ अली खान की राजनीतिक ड्रामा वेब सीरीज तांडव।
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तांडव की कहानी
वेब सीरीज की कहानी समर प्रताप सिंह (सैफ अली खान) की है। समर, भारत के प्रधानमंत्री देवकी नंदन के इकलौते बेटे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद देवकी नंदन तीसरी प्रधानमंत्री बन सकते हैं क्योंकि उम्मीद है कि उनकी पार्टी को बहुमत मिल रहा है। अब तीन बार सत्ता का सुख भोग चुके देवकी नंदन चौथी बार अपने बेटे को प्रधानमंत्री बनाने में कतरा रहे हैं। उनके अनुसार समर एक अच्छा पॉलिटिशियन है लेकिन वो तानाशाह है। अपने पिता कीये बात जानने के बात समर प्रताप सिंह लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के एक दिन पहले अपने पिता को मारने का पड़यंत्र रचता है। पिता को वो ऐसा जहर देता है जिससे किसी को पता ही नहीं चलता है उन्हें आखिर हुआ क्या? पोस्टपार्टम में समर अपने पिता की मौत का कारण दिल का दौरा करवा देता है।
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बाप-बेटे के बाद वेब सीरीज की दूसरी कड़ी अनुराधा किशोर (डिंपल कपाड़िया) से जुड़ी हैं। अनुराधा किशोर, देवकी नंदन की पत्नी तो नहीं है लेकिन पत्नी से बढ़ की होती है। देवकी नंदन, अनुराधा की काफी बाते मानते थे। अपनी मौत के दिन देवकी नंदन समर के बारे में बताने के लिए अनुराधा को कॉल करते हैं। अनुराधा फोन नहीं उठाती और देवकी नंदन मर जाते हैं। अब शुरू होता है कुर्सी का ताड़व। प्रधानमंत्री की मौत के बाद कई लोग पार्टी के सामने प्रधानमंत्री बनने की दावेदारी पेश करते हैं लेकिन सफर सबकी चाल फेल कर देता है और अपने लिए रास्ता साफ कर लेता है।
आखिरी में समर को तब पड़ा झटका लगता जब अनुराधा किशोर देवकी की चिता के सामने कहती है कि उन्हें पता है कि देवकी को किसने मारा है। समर को अनुराधा ब्लैकमेल करती है और कहती है उनके पास सबूत है कि प्रधानमंत्री को उनके बेटे ने ही सत्ता के लालच में मारा है। समर और अनुराधा के बीच डील होती है कि भारत की अगली प्रधानमंत्री अनुराधा किशोर होंगी, समर प्रताप सिंह नहीं।
अब समर प्रताप सिंह को अपना पॉलिटिकल करियर बचाने के लिेए ऐसा करना पड़ता है। अनुराधा किशोर भारत की प्रधानमंत्री बन जाती है। समर अब अपने खिलाफ अनुराधा के पास मौजूद सबूत के बारे में पता लगाने की कोशिश करते हैं। वह अपने वफादार गुरपाल (सुनील ग्रोवर) के साथ मिलकर एक ऐसी चाल चलता है जो देश की यूनिवर्सिटी वीएनयू के प्रेसीडेंट चुनाव से जुड़ी होती है। क्या समर की कोशिश कामयाब होती है, पिता की हत्या के बावदूज क्या उन्हें कुछ मिल पाता है। इस सब कड़ियों को जानने के लिए आपको सीरीज देखनी होगी।
रिव्यू
बात करें कि कलाकारों ने कैसा काम किया है तो सबसे ज्यादा तारीफ के काबिल है गुरपाल के किरदार में सुनील ग्रोवर। जिसे आज तक पर्दे पर एक कॉमेडियन के तौर पर देखा है उसे इतने गंभीर किरदार में देखने के बाद भी दर्शक की आंखों को अजीब नहीं लगता। सुनील ग्रोवर ने अपने किरदार को निभाने में जान लगा दी और साबित कर दिया कि वह केवल कॉमेडी ही नहीं बल्कि चैलेंजिंग रोल भी कर सकते हैं।
इसके अलावा सैफ अली खान ने भी काफी इंप्रेस किया है। पिछते कुछ समये में सैफ अली खान ने अपनी छवि को बदला है। सेक्रेड गेम्स से भी ज्यादा बेहतरीन एक्टिंग उन्होंने तांडव में की हैं। गौहर खान ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। कुछ मिलाकर तांडव की कास्ट शानदार है और उन्होंने अच्छा काम किया है।
तांडव की कमियां निर्देशक की तरफ से की गयी है। सीरीज का निर्देशन अली अब्बास जफर ने किया है। तांडव के शुरूआती एपिसोड की रफ्तार काफी अच्छी है। कहानी दर्शकों को बांधती है लेकिन तीसरे एपिसोड के बाद कहानी काफी ज्यादा स्लो हो जाती है। क्लाइमेक्स काफी शानदार है। तांडव को मेरी तरफ से 3 स्टार। सीरीज में दिखाए गये कुछ सीन और डायलॉक के कारण सीरीज को बैन करने की मांग हो रही हैं।
वेब सीरीज: तांडव
टाइप: राजनीतिक ड्रामा, सस्पेंस
कलाकार : सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया, सुनील ग्रोवर, गौहर खान, तिग्मांशु धुलिया, कुमुद मिश्रा, अनूप सोनी, मोहम्मद जीशान अयूब
निर्देशक :अली अब्बास जफर
रेटिंग- 3 स्टार
एक्शन के साथ एक्टिंग से भी प्रभावित करते हैं विद्युत जामवाल, THE POWER REVIEW
- रेनू तिवारी
- फरवरी 17, 2021 12:20
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हॉलीवुड में शानदार स्टंट करने वाले सुपरमैन के पास काफी विद्युत शक्तियां होती है जिसकी आग से वह दुश्मन को जलाने की ताकत रखता है। वहीं बॉलीवुड के सुपरमैन विद्युत जामवाल है जिनके पास सुपरमैन जैसे स्टंट करने की ताकत असल में हैं।
हॉलीवुड में शानदार स्टंट करने वाले सुपरमैन के पास काफी विद्युत शक्तियां होती है जिसकी आग से वह दुश्मन को जलाने की ताकत रखता है। वहीं बॉलीवुड के सुपरमैन विद्युत जामवाल है जिनके पास सुपरमैन जैसे स्टंट करने की ताकत असल में हैं। कम शब्दों में विद्युत जामवाल की तरीफ की जाए तो बॉलीवुड में अब तक उनके जैसा एक्शन एक्टर कोई दूसरा नहीं देखा गया है। विद्युत जामवाल पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड में काफी एक्टिव हो गये हैं। एक तरफ वह अपने एक्शन से धड़कन की रफ्तार बढ़ा देते है वहीं दूसरी तरफ अपनी एक्टिंग से घायल, आखिर एक फैन की हालत वो कैसी कर देते होंगे इसका अंदाजा आप खुद लगा लिजिए।
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साल 2020 में उसकी दो फिल्में खुदा हाफिज और यारा ने धूम मचाई थी औस 2021 में अब वह द पावर लेकर आये हैं। फिल्म 14 जनवरी को ओटीटी प्लेटफॉर्म जी प्लेक्स पर टिकट के साथ रिलीज हुई थी। अब फिल्म को जी5 पर प्रीमियम वाले दर्शकों के लिए भी रिलीज कर दिया गया है, यानी अगर आपके पास जी5 है तो आप यह फिल्म फ्री में बाकी फिल्मों की तरह देख सकते हैं। द पावर हॉलीवुड फिल्म द गॉडफादर की कहानी से प्रेरित है। निर्देशक महेश मांजरेकर ने इस फिल्म को बिना सिर-पैर वाले लॉजिक दिए शानदार तरीके से बनाया है। महेश मांजरेकर ने बॉलीवुड में वास्तव और अस्तित्व जैसी शानदार फिल्में बनाई हैं।
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फिल्म द पावर की कहानी
फिल्म द पावर की कहानी की बात करें तो कहानी एक ठाकुर परिवार की है जिसका ताल्लुक अपराध की दुनिया से है। क्राइम लॉर्ड कालिदास ठाकुर (महेश मांजरेकर) के दो बेटे हैं- रामदास ठाकुर और देवी दास ठाकुर। फिल्म में देवी का किरदार विद्युत जामवाल और रामदास का जीशू सेनगुप्ता ने निभाया है। कालिदास ड्रग्स का बिजनेस नहीं करते है जिसके कारण उनके पार्टनर राना (सचिन खेडेकर) से उनकी दुश्मनी हो जाती है। राना दुश्मन से बदला लेने के लिए प्लानिंग करता है और देवी से उसकी प्रेमिका परी (श्रुति हसन) का रिश्ता खत्म करवा देता है। परी और देवी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन धोखे के कारण परी देवी और ठाकुर खानदान को खत्म करने की कसम खाती है और ठाकुर परिवार के दुश्मन राना के साथ समझौता कर लेती है। अब क्या परी और देवी का प्यार दुश्मनी में बदलेगा? क्या ठाकुर परिवार का नामोनिशान मिट जाएगा? इन तामाम सवालों के जवाब के लिए आप द पावर देख सकते हैं।
द पावर रिव्यू
फिल्म 2 घंटे 33 मिनट की है और इन ढाई घंटो में आप फिल्म से एक मिनट के लिए भी बोर नहीं होंगे। फिल्म की कहानी आपको बांध कर रखती है। ठाकुर परिवार में एक के बाद एक नये ट्विस्ट आते रहते हैं जो कहानी को काफी दिलचस्प बनाते हैं। फिल्म में एक लंबी चौड़ी स्टार कास्ट है जिसका यूज निर्देशक ने बहुत ही अच्छे से किया है। फिल्म में विद्युत जामवाल और श्रुति हासन सहित महेश मांजरेकर, जीशु सेनगुप्ता, सचिन खेडेकर, प्रतीक बब्बर, सोनल चौहान, समीर धर्माधिकारी जैसे कलाकार है और हर किरदार का अपना महत्व है। फिल्म में सभी ने अपने किरदार से न्याय किया है। विद्युत जामवाल की एक्टिंग स्किल पहले की तुलना में बहुत अच्छी हो गयी है। वह देवी के किरदार में काफी जच रहे हैं। देवी के किरदार के दो रूप है एक पिता के हत्यारों को से बदला लेने की गुस्सैल रुप और दूसरा परी के प्यार में पड़ा आशिक। दोनों परतों को विद्युत ने पर्दे पर जिया है। श्रुति हासन ने काफी निराश किया है। फिल्म में उनकी भूमिका मजबूत है लेकिन उनका अभिनय काफी कमजोर। उनके चेहरे पर किसी भी तरह का कोई एक्सप्रेशन ही नहीं दिखता। वहीं बंगाली एक्टर जीशू सेनगुप्ता का किरदार काफी गरम दिमाग वाले आदमी का है और जीशू ने अपनी प्रतिभा से फिल्म में जान डाल दी, यकीन मानिये जब भी पर्दे पर वह आते है क्षण भर के लिए भी निराश नहीं करते। कुल मिलाकर वीकेंड पर एक अच्छी फिल्म देखने का मन है तो आप परिवार के साथ द पावर देख सकते हैं। अपको फिल्म निराश नहीं करेगी।
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- रेनू तिवारी
- फरवरी 11, 2021 12:14
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एक ऐसी ही फिल्म है ‘द लास्ट कलर’। ये फिल्म में उन विधवा महिलाओं के जीवन संघर्ष को दर्शाती है, जो कि अपनी इच्छाओं और खुशियों को परे रखकर वृंदावन और वाराणसी जैसी जगहों पर रहती हैं और पति के जिंदगी मे न होने की सजा भोगती हैं।
कहने के लिए बदलते वक्त के साथ महिलाओं की समाजिक स्थिति में बदलाव हुआ है लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए तो अभी भी कुछ ऐसे रीति रिवाज है जिन्होंने औरतों को जकड़ कर रखा हुआ है। अभी भी सामाज में एक औरत की पहचान बिना आदमी के पूरी नहीं होती है, भले ही वो आसमान छू कर क्यों न आ जाए! कोई लड़की शादी नहीं करना चाहती और कुछ बनना चाहती है तो उसे ये समाज बिना आदमी के आने वाली समस्याओं से डराता है। अगर किसी औरत का पति दुनिया से पत्नी ने पहले चला जाए तो औरत के पैर में विधवा नाम की बेड़िया बांध दी जाती है और औरत का श्रंगार हमेशा के लिए छीन लिया जाता है। आदमियों पर समाज ऐसे कोई नियम नहीं लगाता।
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फिल्म रिव्यू
महिलाओं की समाजिक स्थिति पर बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक कई फिल्में बन चुकी हैं, जिसमें महिलाओं पर थौपे गये बहुत से सामाजिक नियमों से पर्दा उठाया गया है और औरत के दर्द को दुनिया को दिखाया गया है। एक ऐसी ही फिल्म है ‘द लास्ट कलर’। ये फिल्म में उन विधवा महिलाओं के जीवन संघर्ष को दर्शाती है, जो कि अपनी इच्छाओं और खुशियों को परे रखकर वृंदावन और वाराणसी जैसी जगहों पर रहती हैं और पति के जिंदगी मे न होने की सजा भोगती हैं। इसके अलावा ये फिल्म समाज में फैले जातिवाद पर भी गहरा प्रहार करती है।
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फिल्म ‘द लास्ट कलर’ की काफी चर्चा है। बॉलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता की फिल्म द लास्ट कलर ऑस्कर के लिए क्वालीफाई कर चुकी है। इस बात की जानकारी नीना गुप्ता और फिल्म के डायरेक्टर विकास खन्ना ने खुद अपने ट्विटर पर शेयर की। हाल ही में इस फिल्म ने मुंबई फिल्म फेस्टिवल में भी काफी तारीफें बटोरी थीं। द लास्ट कलर का पहला पोस्टर कान्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में जारी किया गया था। तब से ही भारत में फिल्म की रिलीज़ का इंतज़ार हो रहा था। फिल्म ने इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल सर्किट में काफी नाम कमा लिया है। द लास्ट कलर ने बोस्टन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फीचर फिल्म और नीना गुप्ता ने बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड भी जीता। अब ये फिल्म आप भारत में भी देख सकते हैं। फिल्म को ओटीटी अमेजन प्राइम पर रिलीज किया गया है।
कहानी
कहानी की बात करे तो की फिल्म ‘द लास्ट कलर’ की कहानी में चार किरदार- नूर, अनारकली, छोटी और चीकू मुख्य है। विलेन का नाम राजा है जो महिलाओं पर केवल अत्याचार करने के लिए ही जन्म लेता है। नूर यानी की नीना गुप्ता एक विधवा के किरदार में नजर आ रही हैं जिन्होंने अपने सारे सुखों को विधवा धर्म निभाने के लिए त्याग दिया है। वह एक सफेद साड़ी में बनारस के घाट पर दिन और एक आश्रम में अपनी रात गुजार रही हैं। एक दिन नूर की मुलाकात घाट पर छोटी से होती है। छोटी एक अनाथ लड़की है जो रस्सी पर चल कर कुछ पैसे कमा लेती है। नीच जात की होने के कारण लोग छोटी से बहुत ही बत्तमीजी से बात करते हैं और घाट की लड़की कहते हैं। नूर को छोटी की मासूम बाते बहुत अच्छी लगती है। नूर और छोटी साथ में काफी वक्त बिताने लगते हैं लेकिन एक दिन राजा आता है और वह छोटी की दोस्त अनारकली जो एक ट्रांसजेंडर है, उसे मार डालता है। अनारकली को मारते हुए राजा को छोटी को देख लेती है अब राजा छोटी के पीछे पड़ जाता है। आगे की स्टोरी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी।
फिल्म के सभी किरदारों ने बहुत ही शानदार काम किया है। नीना गुप्ता एक बहुत ही शानदार एक्ट्रेस हैं उन्होंने पर्दे पर अपने किरदार में जान डाल दी हैं। ऑस्कर जीतने की रेस में दौड़ रही विकास खन्ना की ये फिल्म एक आइना है।
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- रेनू तिवारी
- फरवरी 3, 2021 17:54
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धीरे धीरे लोगों में फिल्मों का स्वाद बदल रहा है। अब दर्शकों को पर्दे पर हीरोगिरी कम और रियलटी ज्यादा पसंद आने लगी है। इसी लिए ओवर एक्टिंग और फिजूल के एक्शन से भरपूर फिल्में औंधे मुँह गिर रही है और सब्जेक्टिव मूवी को ज्यादा पसंद किया जा रहा है।
धीरे धीरे लोगों में फिल्मों का स्वाद बदल रहा है। अब दर्शकों को पर्दे पर हीरोगिरी कम और रियलटी ज्यादा पसंद आने लगी है। इसी लिए ओवर एक्टिंग और फिजूल के एक्शन से भरपूर फिल्में औंधे मुँह गिर रही है और सब्जेक्टिव मूवी को ज्यादा पसंद किया जा रहा है। एक ऐसी ही रतना और अश्विन की अधूरी कहानी पर बनीं फिल्म 'सर' को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। फिल्म को नेटफ्लिक्स पर आप देख सकते हैं। ये फिल्म एक घर की नौकरानी और मालिक के प्यार की कहानी है जो आप को अंदर तक झकझौर कर रख देगी।
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फिल्म की कहानी एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसकी शादी के कुछ दिन बाद ही उसका पति मर जाता है और वो विधवा हो जाती है। लड़की का नाम रतना है और यह लड़की एक बेहद ही पिछड़े गांव की रहने वाली है। कई गांव में आज भी ये रिवाज है जहां पति के मरने के बाद पत्नी की जिंदगी अंधेरे में डूब जाती है, रतना का गांव भी उन्हीं में से एक है, लेकिन रतना काफी हिम्मत वाली है। उसने अपनी जिंदगी को अंधेरे में डूबने नहीं दिया और अपने ससुराल और मयके का खर्च चलाने के लिए वह मुंबई के एक घर में नौकरानी का काम करने लगी। रतना काफी समय से अश्विन के घर पर काम करती है और अपने मालिक को काफी अच्छे से समझती है।
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दूसरी तरफ मालिक अश्विन है। अश्विन का परिवार काफी अमीर और मॉर्डन है। अश्विन काफी समय से अपने फ्लैट में एक लड़की के साथ लीव-इन में रहते थे और उस लड़की से शादी करने वाले थे। किसी कारण अश्विन की शादी टूट जाती है और वह वापस अपने घर लौट आते हैं। अश्विन और रतना की जिंदगी एक दूसरे से पूरी तरह अलग है लेकिन रतना अपने मालिक के कहे बिना ही उनकी बातें समझती है और कई बार अपना उदाहरण देकर उन्हें मोटिवेट करती हैं। एक दिन एक ऐसी मूवेंट आता है जब दोनों अधूरे इंसान आपस में टकरा जाते हैं ये टकराहट दोनों के बीच के लंबे फासले को कम ही करने वाली होती है, तभी समाज दोनों के बीच में आ जाता है और दोनों फिर अलग हो जाते हैं।
घर का काम करने वाली रतना अपने मालिक के साथ अपने रिश्ते बनाने का समाजिक अंजाम बहुत अच्छे से जानती हैं इस लिए वह अश्विन का घर छोड़कर चली जाती है। अश्विन के दिल में रतना के लिए काफी इज्जत है वो रतना से अपने दिल के जुड़ाव को महसूस करता है और रतना से दूर होकर उसके अधूरे सपने को पूरा करने की एक सफल कोशिश करता है। अश्विन के प्यार को क्या रतना समझ पाएंगी या नहीं ये जानने के लिए आप नेटफ्लिक्स पर फिल्म देख सकते है और यकीन मानिये इस फिल्म का एक सीन भी आप मिस नहीं करना चाहेंगे।
सर 2018 में बनीं एक भारतीय फिल्म है। रोहेना गेरा द्वारा निर्देशित हिंदी-लैंग्वेज रोमांटिक ड्रामा फिल्म में तिलोत्तमा शोम और विवेक गोमबर हैं लीड रोल में हैं। इसे रोहित गेरा और ब्राइस पॉइसन द्वारा निर्मित किया गया था। सर ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रारंभिक रिलीज़ की जिसके बाद 2018 में यूरोपीय देशों में नाटकीय रिलीज़ हुई। यह फिल्म भारत में 13 नवंबर 2020 को रिलीज हुई थी।
बहुत ही लंबे समय बाद एक ऐसी फिल्म बनीं है देखी है जिससे आप अपने आपको जोड़कर देख सकते हैं। फिल्म की छोटी-छोटी चीजें बहुत ही ज्यादा रियलटी से कनेक्ट करती है। फिल्म का निर्देशन और लेखन रोहेना गेरा ने किया है। फिल्म में नौकरानी रतना का किरदार एक्ट्रेस तिलोत्तमा शोम ने निभाया है और अश्विन का किरदार विवेक गोंबर ने निभाया है। दोनों की किरदार ने अपने अपने किरदार को बहुत ही शानदार तरीके से निभाया हैं।
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