दिल की बीमारी में एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी, क्या है बेहतर विकल्प?

angioplasty and bypass surgery

बाईपास सर्जरी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जबकि एंजियोप्लास्टी में सर्जरी करने की आवश्यकता नहीं होती है। एंजियोप्लास्टी में संक्रमण का खतरा और दर्द कम होता इसलिए यह एक प्रचलित तरीका है। लेकिन गंभीर मामलों में उपचार के लिए हार्ट की बाईपास सर्जरी जरूरी हो सकती है।

आजकल की भाग-दौड़ और तनावपूर्ण जीवनशैली के कारण लोगों में बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। आज के समय में दिल से जुड़ी बीमारियां तेज गति से बढ़ रही हैं। जिनमें बीपी, कोलेस्ट्रॉल, हार्ट अटैक आदि शामिल हैं। केवल बूढ़े ही नहीं कम उम्र के लोग भी दिल की बीमारी शिकार हो रहे हैं। जहां कुछ मामलों में नियमित दवा और जीवनशैली में बदलाव कर इन बीमारियों पर नियंत्रण किया जा सकता है, वहीं कई बार स्थिति खराब हो जाने पर सर्जरी का सहारा लेना पड़ सकता है। कई बार दिल से जुड़ी बीमारी में इलाज के लिए एंजियोप्लास्टी या बाई पास सर्जरी करवानी पड़ती है। कोरोनरी आर्टिरीज डिसीज (CAD) में हार्ट की रक्तधमनियों में मिनरल्स प्लैक के रूप में जमा होने या ब्लड क्लॉट बनने से उनमें ब्लॉकेज हो जाती है जिससे रक्तप्रवाह ठीक से नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में एंजियोप्लास्टी के जरिए हार्ट की रक्तधमनियों को चौड़ा कर उनमें रक्तप्रवाह को ठीक किया जाता है। जब स्थिति ज़्यादा गंभीर हो और एंजियोप्लास्टी से भी ब्लॉकेज को ठीक ना किया जा सकता हो तब बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है। हालांकि, अब यह दोनों प्रक्रियाएं आम हो गई हैं लेकिन फिर भी लोगों के मन में इससे जुड़े कई सवाल होते हैं। अधिकतर लोगों के मन में सवाल होता है कि बाईपास सर्जरी और एंजियोप्लास्टी में क्या अंतर है और दोनों में से कौन सी प्रक्रिया ज्यादा बेहतर है? आज के इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब देंगे- 

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एंजियोप्लास्टी क्या होती है?

जब हार्ट में प्लैक या क्लॉट (खून का थक्का) बन जाता है तो इससे रक्तधमनियां संकरी हो जाती है जिसके कारण ब्लड प्रेशर रुक जाता है। जब ऐसा होता है तो हार्ट को ब्लड नहीं मिल पाता है और वह ठीक तरह से काम नहीं कर पाता है। इसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है, जिसके कारण सीने में दर्द या हार्ट अटैक हो सकता है। ऐसी स्थिति से बचाव के लिए हार्ट की एंजियोप्लास्टी कर रोगी का उपचार किया जाता है। इसे पीटीसीए (परकुटेनियस ट्रांसलुमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी) या बैलून एंजियोप्लास्टी भी कहते हैं।

कैसे की जाती है एंजियोप्लास्टी?

एंजियोप्लास्टी की प्रक्रिया में रक्तधमनी में कैथेटर डालकर कैथेटर के आखिर में लगे बैलून का उपयोग कर रक्तधमनी को खोला जाता है। रक्तधमनी के ब्लॉकेज वाले हिस्से पर स्टेंट को एक बैलून कैथेटर पर लगाया जाता है। उचित प्रेशर लगाकर रक्तधमनी खोलने के बाद बैलून कैथेटर और तारों को हटा लिया जाता है। स्टेंट रक्त धमनी के भीतर ही आकर ले लेता है और उस जगह को चौड़ा कर देता है।

हार्ट बाईपास सर्जरी क्या होती है?

हार्ट में पूरी या आंशिक रूप से ब्लॉक रक्तधमनी के एक सेक्शन के आसपास ब्लड सर्कुलेशन दोबारा शुरू करने के लिए बाईपास सर्जरी की जाती है। हार्ट बाईपास सर्जरी या कोरोनरी बाईपास ग्राफ्ट (सीएबीजी) एक सर्जिकल प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में मरीज की छाती, हाथ या पैर से एक स्वस्थ धमनी लेकर उसे ब्लॉक धमनी की जगह पर जोड़ दिया जाता है। हार्ट बाईपास सर्जरी की प्रक्रिया हार्ट में ब्लड प्रेशर की रुकावट दूर करने, छाती में दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी  कई दिक्कतों को कम या दूर करने के लिए की जाती है।

हार्ट बाईपास सर्जरी के बाद क्या होता है

बाईपास सर्जरी एक सर्जिकल प्रक्रिया है। बाईपास सर्जरी करने के बाद रोगी को कुछ दिनों के लिए आईसीयू में रखा जाता है। इस दौरान नियमित रूप से रोगी  के ब्लड प्रेशर, यूरीन आउटपुट और ऑक्सीजन लेवल पर नजर रखी जाती है। जब रोगी स्थिर हो जाता है तो उसे वार्ड में भेज दिया जाता है। कोरोनरी बाईपास सर्जरी की प्रक्रिया में रोगी के मुंह में एक ट्यूब लगी होती है। बाईपास सर्जरी के बाद रोगी को खाँसी या गहरी सांस लेने के दौरान उस जगह दर्द हो सकता है, जहां चीरा लगा था। जब सर्जरी के बाद रोगी स्थिर हो जाए और उसे कोई अन्य परेशानियां ना हों तो उसे 4 से 5 दिनों बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।

हार्ट बाईपास सर्जरी के बाद मरीज की रिकवरी में कितना समय लगता है

हार्ट बाईपास सर्जरी के बाद रोगी को पूरी तरह से ठीक होने में कम से कम 6 से 12 हफ्ते का समय लगता है। सर्जरी के बाद डॉक्टर चीरों और घावों की देखभाल करने के निर्देश देते हैं जिससे रोगी की जल्दी रिकवरी हो सके। सर्जरी के बाद रोगी को पूरी तरह से आराम करने, अधिक मेहनत वाला काम ना करने और वजन उठाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर सर्जरी के बाद दर्द कम करने के लिए कुछ दवाएं भी देते हैं। बाईपास सर्जरी के बाद रिकवरी प्रोसेस की निगरानी के लिए डॉक्टर कार्डिएक रीहैबिलिटेशन की सलाह भी दे सकते हैं। कार्डिएक रीहैबिलिटेशन के दौरान डॉक्टर रोगी की शारीरिक गतिविधियों पर नजर रखते हैं और हार्ट की हालत के मुताबिक स्ट्रेस जांच भी कर सकते हैं।

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दोनों में से क्या है बेहतर विकल्प?

कोरोनरी आर्टिरीज डिसीज (CAD) या दिल की बीमारी होने पर रोगी के दिल की स्थिति को देखते हुए एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी में से किसी की सलाह दी जा सकती है। जिन रोगियों में दवा से ब्लॉकेज ठीक नहीं की जा सकती है उन्हें एंजियोप्लास्टी करवाने की सलाह दी जाती है। वहीं, अगर स्थिति ज़्यादा गंभीर हो और एंजियोप्लास्टी से ब्लॉकेज को ठीक नहीं किया जा सकता हो तो बाईपास सर्जरी करवानी पड़ती है।

एंजियोप्लास्टी और बायपास सर्जरी में अंतर-

- बाईपास सर्जरी एक सर्जिकल प्रक्रिया है जबकि एंजियोप्लास्टी में सर्जरी करने की आवश्यकता नहीं होती है।

- एंजियोप्लास्टी में संक्रमण का खतरा और दर्द कम होता इसलिए यह एक प्रचलित तरीका है। लेकिन गंभीर मामलों में उपचार के लिए हार्ट की बाईपास सर्जरी जरूरी हो सकती है।

- बाईपास सर्जरी के मुकाबले एंजियोप्लास्टी में अस्पताल में कम रुकना पड़ता है और इसमें रिकवरी ज्यादा तेज होती है।

- एंजियोप्लास्टी में लोकल एनिस्थेसिया देकर सर्जरी की जाती है जबकि बाईपास सर्जरी में रोगी को सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक आईसीयू में रखा जाता है।

- बाईपास सर्जरी के मुकाबले एंजियोप्लास्टी में कम खर्चा होता है।

एंजियोप्लास्टी या बाईपाससर्जरी के बाद ध्यान देने वाली बातें-

- अपने खानपान का खास ध्यान रखें। पौष्टिक आहार लें और ज़्यादा तेल-मसाले और तले-भुने खाने से परहेज करें।

- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और नियमित रूप से दवा लें। कोई भी परेशानी होने पर डॉक्टर की सलाह लें।

- अपने वजन को नियंत्रित रखें और नियमित रूप से व्यायाम करें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही व्यायाम करें।

- अपने ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखें।

- ज़्यादा तनाव या चिंता करने से बचें।

- नियमित रूप से अपना चेकअप कराते रहें और डॉक्टर के संपर्क में रहें।

एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी के बाद क्या ना करें-

- धूम्रपान या शराब का सेवन ना करें।

- अधिक वजन ना उठाएं।

- अधिक मेहनत वाले काम करने से परहेज करें।

- प्रिया मिश्रा

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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