प्री मेच्योर बेबी में अंधेपन का बढ़ रहा है खतरा, जानिए बचाव के उपाय

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यदि गर्भावस्था के 28 सप्ताह पूर्ण होने से पहले ही शिशु का जन्म हुआ है तो उस स्थिति में शिशु के आंतरिक अंग पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं और उसे अपने जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। इस स्थिति में जन्मा शिशु अत्यधिक कमजोर हो सकता है और उसे सांस लेने में बेहद कठिनाई भी हो सकती है।

मां बनना हर औरत का सपना होता है लेकिन कई बार अंदरूनी कुछ ऐसे कारण हो जाते हैं जिससे कुछ बच्चों का जन्म 9 महीने से पहले ही हो जाता है जो अधिकतर मामलों मे देखा गया है कि बच्चें प्री मेच्योर होते हैं ऐसे बच्चें पूरी तरह विकसित ना होने के कारण बहुत सी बीमारियों का शिकार हो जाते है जैसे वजन कम होना, आँखो की रोशनी कम रह जाना। डॉक्टर ऐसे में मेडिकल प्रोसेस करके शरीर के वजन को सामान्य और विकसित करते हैं। इन्हीं में कुछ ऐसी प्रक्रियाएं भी होती हैं, जो इन प्रीमेच्योर बेबीज के अविकसित रेटिना को सपॉर्ट नहीं कर पातीं। इस स्थिति में बच्चे की आंखों में देखने की क्षमता नहीं आ पाती और उसमें अंधेपन का खतरा बढ़ जाता है…

किसे कहते हैं प्री मेच्योर बर्थ

यदि गर्भावस्था के 28 सप्ताह पूर्ण होने से पहले ही शिशु का जन्म हुआ है तो उस स्थिति में शिशु के आंतरिक अंग पूरी तरह से विकसित नहीं होते हैं और उसे अपने जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। इस स्थिति में जन्मा शिशु अत्यधिक कमजोर हो सकता है और उसे सांस लेने में बेहद कठिनाई भी हो सकती है।

क्या कारण है प्रीमेच्योर बच्चें में अंधेपन का

प्रीमेच्योर बर्थ के कारण बच्चों में अंधेपन का प्रमुख कारण आंख और रेटिना का सही ढंग से विकास न हो पाना है। इस समस्या को Retinopathy of prematurity भी कहते हैं। शोध और अध्ययन कहते हैं कि गर्भ में शिशु की आंख और रेटिना का विकास गर्भावस्था के 20वें हफ्ते से 40वें हफ्ते के भीतर होता है। ऐसे में अगर 40 हफ्ते से पहले ही शिशु का जन्म हो जाता है, तो उसमें अंधेपन की समस्या का खतरा बढ़ जाता है।

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कैसे बचा जा सकता है इस समस्या से

डॉक्टरी सलाह- यदि आप गर्भवती हैं तो अपनी प्रेगनेंसी में आप कोई भी समस्या सामने आने पर उसे अनदेखा ना करें क्योंकि आपकी लापरवाही आपके बच्चे के विकास पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। इसलिए अपने डॉक्टर की सलाह समय समय पर लेते रहें और अपने बच्चें के अंगों का चेकअप भी करवाते रहें। क्योंकि ज़्यादातर मामलों में यही देखा गया है कि छोटी छोटी बातों को अनदेखा किया जाता है।

हेल्दी डाइट- अपनी डाइट में हरी सब्ज़ियों का भरपूर इस्तेमाल करें जिससे आप और आपके होने वाले बच्चें के अंगों का विकास अच्छे तरीकें से हो पाए कोशिश करे कि बाहर का स्ट्रीट फूड ना खाएं केवल हेल्दी जाइट पर ही ध्यान दें।

उचित व्यायाम- गर्भवती महिलाओं के लिए ऐसे बहुत से योग होते हैं जिन्हें बिना किसी परेशानी के वह अपने घर पर भी कर सकती हैं लेकिन यह करने से पहले भी अपने डॉक्टर या योगा ट्रेनर से परामर्श ज़रूर कर लें कहीं आपको बाद में पछताना ना पड़े।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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