यह लक्षण बताते हैं आपके अवसादग्रस्त होने की पहचान

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मिताली जैन । Apr 13 2019 4:05PM

एक अवसादग्रस्त व्यक्ति में कई स्तर जैसे शारीरिक, मानसिक व व्यावहारिक स्तर पर बदलाव होते हैं और इन्हीं बदलावों के आधार पर व्यक्ति के अवसादग्रस्त होने की पहचान की जा सकती है। साथ ही इसी से पता चलता है कि व्यक्ति की स्थिति कितनी खराब है।

आज के दौर में शायद ही कोई व्यक्ति जो किसी न किसी तरह की चिंता से न घिरा हो। थोड़ा−बहुत तनाव होना आम है। लेकिन जब यही तनाव बढ़ने लगता है तो एक गंभीर बीमारी में तब्दील हो जाता है। जिसे अवसाद या डिप्रेशन भी कहा जाता है। कई बार व्यक्ति इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देता है, जिसके कारण स्थिति काफी गंभीर हो जाती है। यहां तक कि जब व्यक्ति का अवसाद बढ़ जाता है तो उसकी जान पर भी बन सकती है। ऐसा व्यक्ति स्वयं में इस हद तक हताश हो जाता है कि खुद को नुकसान पहुंचाने से भी गुरेज नहीं करता। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि समय रहते इसके लक्षणों को पहचानकर इसके उपचार के लिए कदम उठाए जाएं। तो चलिए जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में−

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होते हैं कई बदलाव

एक अवसादग्रस्त व्यक्ति में कई स्तर जैसे शारीरिक, मानसिक व व्यावहारिक स्तर पर बदलाव होते हैं और इन्हीं बदलावों के आधार पर व्यक्ति के अवसादग्रस्त होने की पहचान की जा सकती है। साथ ही इसी से पता चलता है कि व्यक्ति की स्थिति कितनी खराब है। हालांकि यह लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। 

उदासी

अवसादग्रस्त व्यक्ति अक्सर उदास, निराश या चिंतित ही नजर आता है। ऐसे व्यक्ति की बातों में किसी भी प्रकार की जीवंतता या उत्साह नहीं होता। कुछ लोग तो स्वभाव में बेहद चिड़चिडे़ भी हो जाते हैं। वह हमेशा ही सामान्य से अधिक बैचेन व परेशान नजर आते हैं। वह किसी से बात करने या किसी के साथ भी इन्लॉन्व होने में कोई रूचि नहीं दिखाते।

असफलता

कई बार व्यक्ति की असफलता भी उसके अवसाद के रास्ते पर धकेल देती है। ऐसे व्यक्ति अपनी असफलता के लिए खुद को ही दोष देने लगते हैं या फिर खुद को बेहद असहाय व बेकार समझते हैं। वह हमेशा ही अपनी असफलताओं के बारे में सोच−सोचकर दुखी होते हैं। कभी−कभी तो वह इस हद तक नकारात्मक हो जाते हैं कि उन्हें लगता है कि अब उनके जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला।

गतिविधियों में अरूचि

ऐसे व्यक्तियों में उर्जा का स्तर न के बराबर होता है। वह किसी भी तरह की गतिविधि में भाग लेना पसंद नहीं करते। यहां तक कि रोजमर्रा के काम भी ठीक ढंग से नहीं करते। 

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एकाग्रता में कमी

अवसादग्रस्त व्यक्ति हमेशा ही मन में कुछ न कुछ नकारात्मक सोचते रहते हैं और यही कारण है कि वह किसी भी चीज में अपना ध्यान एकाग्र नहीं कर पाते। कुछ लोगों के लिए तो किताब पढ़ने व टीवी देखना भी मुश्किल होता है। ऐसे लोग चीजों को याद नहीं रख पाते और न ही किसी भी तरह का निर्णय करने में सक्षम होते हैं।


खानपान में बदलाव

अवसाद का मुख्य असर उसके खानपान के तरीकों पर पड़ता है। ऐसे व्यक्ति या तो जरूरत से काफी अधिक खाते हैं या फिर बिल्कुल ही भोजन करना छोड़ देते हैं। जिसके कारण उनका वजन तेजी से बढ़ता या घटता है।

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प्रभावित स्लीप साइकिल

जो व्यक्ति डिप्रेशन में होता है, उसके सोने के तरीकों में भी बदलाव आता है। या तो वह व्यक्ति देर रात जागता है और सुबह काफी जल्दी उठ जाता है, मसलन उसे नींद नहीं आती या फिर ऐसे व्यक्ति जरूरत से कुछ ज्यादा ही सोना शुरू कर देते हैं।

मिताली जैन

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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