योग-मेडिटेशन नहीं, अब क्रिएटिविटी से करें स्ट्रेस मैनेज,मेंटल हेल्थ के लिए नया तरीका आर्ट थेरेपी

आधुनिक जीवनशैली के बढ़ते तनाव को कम करने में आर्ट थेरेपी एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में उभर रही है। बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा जैसी हस्तियाँ भी पेंटिंग को अपनी असली थेरेपी मानती हैं, जो बेचैन मन को शांति और सुकून प्रदान करती है। यह कलात्मक प्रक्रिया डिप्रेशन और एंग्जायटी के प्रबंधन में भी सहायक है।
भागदौड़ भारी जिंदगी में स्ट्रेस दिनों-दिन बढ़ ही रहा है। हर किसी के जिदंगी में तनाव जरुर है। लोग स्ट्रेस को मैनेज को करने के लिए मेडिटेशन या योग का सहारा लेते हैं, तो कुछ लोग अपनी क्रिएटिविटी में सुकून ढूंढते हैं। हालिए में एक इंटरव्यू में बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा ने बताया है कि जिनके लिए पेंटिंग सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि एक तरह की थेरेपी (Art Therapy) है। एक्ट्रेस ने आगे बताया है कि जब भी वह उदास होती थीं, तो पेंटिंग करने लगती थीं। पेंटिंग करने से उनका दिमाग पूरी तरह शांत हो जाता था। उन्हें ऐसा लगता था जैसे मैं किसी और दुनिया में पहुंच गई हूं। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि अपने पति से मिलने के बाद उन्होंने पेंटिंग करना छोड़ दिया, लेकिन उनके पति जहीर इकबाल उन्हें बार-बार याद दिलाते हैं कि उन्हें फिर से ब्रश उठाना चाहिए, क्योंकि यही उनकी असली थेरेपी है।
क्या है आर्ट थेरेपी?
आर्ट थेरेपी एक ऐसी थेरेप्यूटिक प्रोसेस है, जिसमें कला का प्रयोग करके भावनाओं को जाहिर किया। आर्ट केवल कलाकारों के लिए नहीं। आर्ट परफेक्शन पर नहीं, बल्कि उसे बनाने की प्रक्रिया पर होता है। अब आप अपने स्ट्रेस को कम करने के लिए रंगों से खेले या कुछ लिखें। यह आपके मन के बोझ को कम करता है।
आर्ट थेरेपी के फायदे
- स्ट्रेस और एंग्जायटी कम करता है।
- ट्रॉमा प्रोसेस करना
- माइंड रिलैक्स करना
- सेल्फ कॉन्शियसनेस बढ़ाना
- भावनाएं जाहिर करना
कैसे करते हैं आर्ट थेरेपी
- ड्रॉइंग और स्केचिंग
- पॉटरी
- कोलाज और मिक्स मीडिया
- पेटिंग
किन लोगों के लिए फायदेमंद है?
- बच्चों और टीनेजर्स के लिए
- युवाओं और बुजुर्गों के लिए
- डिप्रेशन और एंग्जाएटी से पीड़ित लोगों के लिए
- स्ट्रेस या बर्न आउट से गुजर रहे लोग
आर्ट थेरेपी स्ट्रेस को कैसे कम करता है
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक रिपोर्ट के अनुसार, आर्ट थेरेपी शरीर और मन के बीच बैलेंस बनाकर तनाव को कम करने में मदद करती है। ट्रेडिशनल “टॉक थेरेपी” की तरह इसमें शब्दों पर नहीं, बल्कि भावनाओं की अभिव्यक्ति पर जोर दिया जाता है। कोई भी व्यक्ति आर्ट बनाता है, तो उसका ध्यान अपनी चिंताओं से हटकर उस आर्ट पर फोकस करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
मन को सुकून देने वाली प्रक्रिया
आर्ट थेरेपी करने से न केवल मुड सुधारती है, बल्कि नींद, कॉन्सनट्रेशन और इमोशनल बैलेंस बनाने में मदद करता है। व्यक्ति अपनी क्रिएटिविटी से जुड़ता है। इसके अलावा दिमाग में डोपामाइन जैसे फील गुड हार्मोन रिलीज करता है, जो तनाव और उदासी को कम करता है।
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