Premature Delivery: दिल्ली-NCR में प्रदूषण का कहर, गर्भवती महिलाओं को हो रही प्रीमैच्योर डिलीवरी, शिशुओं के स्वास्थ्य पर गंभीर असर

एक्सपर्ट के मुताबिक 36 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले बच्चों को प्रीमैच्योर कहा जाता है। कई बच्चे 28 सप्ताह, तो कई बच्चे 28 से 32 सप्ताह और 37 सप्ताह से पहले जन्म ले रहे हैं। इनमें से सिर्फ 34 से 36 सप्ताह के बीच पैदा होने वाले बच्चों को अधिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
वायु प्रदूषण की असर प्रेग्नेंट महिलाओं और नवजात शिशुओं पर भी पड़ता है। ऐसे में प्रीमैच्योर डिलीवरी की संख्या बढ़ने लगी है। एक्सपर्ट की मानें, तो एक साल में 13,500 डिलीवरी हुईं, जिनमें से 18% यानी की 2,430 बच्चे प्रीमैच्योर हुए। इसका प्रमुख वजह प्रदूषण है। क्योंकि हवा में घुला जहर सांसों के जरिए शरीर में जा रहा है। यह खून में मिलकर गर्भ में पलने वाले बच्चे तक पहुंच रहा है। हवा की खराब गुणवत्ता की वजह से खांसी-जुकाम और अस्थमा की समस्या बढ़ गई है।
यह स्थिति न सिर्फ महिलाओं बल्कि गर्भ में पलने वाले बच्चे के लिए भी नुकसानदायक होती है। अधिक खांसी की असर गर्भ पर पड़ता है। ऐसे में यह सब वजह बच्चे के समय से पहले जन्म लेने की वजह बनते हैं। इसके अलावा मलेरिया, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और डेंगू होने पर भी समय से पहले बच्चे के जन्म लेने की संभावना रहती है।
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एक्सपर्ट के मुताबिक 36 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले बच्चों को प्रीमैच्योर कहा जाता है। कई बच्चे 28 सप्ताह, तो कई बच्चे 28 से 32 सप्ताह और 37 सप्ताह से पहले जन्म ले रहे हैं। इनमें से सिर्फ 34 से 36 सप्ताह के बीच पैदा होने वाले बच्चों को अधिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। वहीं जन्म के समय से जितना पहले बच्चा जन्म लेता है, जोखिम उतना अधिक होता है।
ऐसे बरतें सावधानी
एक्सपर्ट की मानें, तो नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह से दवा लेकर प्रीमैच्योर डिलीवरी को कम किया जा सकता है। एनीमिया ग्रस्त महिलाएं जागरुकता के साथ प्रीमैच्योर डिलीवरी से बच सकती हैं। दूध, हरी सब्जियां और लस्सी के सेवन से महिलाएं पोषण की कमी को दूर किया जा सकता है।
बच्चों को आती हैं समस्याएं
समय से पहले जन्मे बच्चे बाहरी तापमान सहन नहीं कर पाते हैं। उनमें हाइपरग्लेसेमिया, हाइपोथेरिमिया, पीलिया और इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे में इन बच्चों को अधिक देखभाल की जरूरत पड़ती है। कमजोर होने की वजह से बच्चे के रेटिना यानी की देखने की शक्ति में भी कमी आ सकती हैं। इससे जल्दी इंफेक्शन होने की आशंका रहती है। बाल्यावस्था में ध्यान न देने की वजह से बच्चे का आईक्यू भी कम हो सकता है।
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए हानिकारक है प्रदूषण
बता दें कि महिलाओं में प्रदूषण प्रीमैच्योर डिलीवर की वजह बन सकता है। प्रदूषण की वजह से महिलाओं को इंफेक्शन का भी खतरा रहता है। स्वास्थ्य खराब होने की वजह से महिला पोषण नहीं ले पाती हैं। जिस कारण इम्यूनिटी कम हो जाती है। वहीं शरीर में प्रोटीन और विटामिन जैसे पोषक तत्व कम हो जाते हैं और गर्भ में पलने वाले बच्चे को भी पोषण नहीं मिल पाता है। प्रदूषण की वजह से प्लेसेंटा बच्चे तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाता है।
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