मशहूर शेफ विकास खन्ना की पहली फिल्म ‘द लास्ट कलर’ की संयुक्त राष्ट्र में स्क्रीनिंग
मिशेलिन स्टार शेफ विकास खन्ना के निर्देशन वाली पहली फिल्म ‘द लास्ट कलर’ यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में दिखाई गई। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री नीना गुप्ता अभिनीत इस फिल्म में महिला सशक्तिकरण, समानता और सभी के लिए मान-मर्यादा का संदेश दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र। मिशेलिन स्टार शेफ विकास खन्ना के निर्देशन वाली पहली फिल्म ‘द लास्ट कलर’ यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में दिखाई गई। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेत्री नीना गुप्ता अभिनीत इस फिल्म में महिला सशक्तिकरण, समानता और सभी के लिए मान-मर्यादा का संदेश दिया गया है। यूनाइटेड नेशंस स्टाफ रीक्रिएशन काउंसिल (यूएनएसआरसी) के तहत सोसायटी फॉर प्रोमोशन ऑफ इंडियन कल्चर एंड एक्सपीरियंस (स्पाइस-इंडियन क्लब) द्वारा शुक्रवार को स्क्रीनिंग की गई जिसका मकसद विश्व निकाय के मुख्यालय में भारत की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत का प्रचार करना है।
See you soon Berlin. #TheLastColor German Premiere tmrw. @BABYLON_Berlin #IndoGermanWeek pic.twitter.com/Wba8wSWtBK
— Vikas Khanna (@TheVikasKhanna) July 13, 2019
फिल्म ‘बधाई हो’ के लिए हाल ही में कई पुरस्कार जीतने वाली गुप्ता स्क्रीनिंग के लिए खासतौर से यहां आयी। स्क्रीनिंग में संचालनात्मक सहयोग के लिए अवर महासचिव अतुल खरे, शेफ खन्ना, संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य शामिल हुए। भारत के प्राचीन शहर वाराणसी की पृष्ठभूमि में बनी द लास्ट कलर 70 वर्षीय विधवा नूर (नीना गुप्ता) और नौ साल की छोटी (अक्सा सिद्दीकी) के साथ उनके खास लगाव पर आधारित है। अनाथ, बेघर बच्ची छोटी स्कूल जाना चाहती है और अपनी दो जून की जरुरतों को पूरा करने के लिए वह रस्सी पर चलने का करतब दिखाती है और फूल बेचती है।
#TheLastColor.
— Vikas Khanna (@TheVikasKhanna) September 24, 2018
Chhoti, a tight-rope walker befriends an old widow, Noor, who lives a life of complete abstinence. Her young friend's innocent exuberance and joy of life fills her with renewed hope and a promise to play Holi together. A story of victory! https://t.co/fv1JjGCykz
फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले सभा को संबोधित करते हुए खरे ने अपनी दिवंगत मां की कहानी साझा की जो निधन से पहले तकरीबन 19 साल तक विधवा रहीं। गुप्ता ने स्क्रीनिंग से पहले बताया कि यह फिल्म ‘‘उम्मीद की किरण दिखाती’’ है कि दयालुपन और सकारात्मकता की छोटी-छोटी चीजें कुछ भी हासिल करने में मदद कर सकती है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अगर हम अपने घर से शुरुआत करे, अपने कर्मचारियों के प्रति अच्छा व्यवहार करे, उन्हें बेहतर वेतन दें, उनके बच्चों की तालीम देखे तो फिर पूरी दुनिया बदल जाएगी।
Congrats @Neenagupta001 for being honored as an Advocate for Women's rights & Empowerment. 💗💗💗
— Vikas Khanna (@TheVikasKhanna) July 13, 2019
🙏🏼 everyone for coming and loving #TheLastColor
Thank you, Society for Promotion of Indian Culture & Experience & our partners.
#indianamerican #ICICIBankNRIServices #money2india pic.twitter.com/KvRnD4gHJt
फिल्म में अपनी भूमिका के बारे में गुप्ता ने कहा कि उनका मानना है कि यह बनारस का जादू है, उस माहौल में मैंने कुछ नहीं किया। सब कुछ अनायास होता चला गया। फिल्म की स्क्रीनिंग पर खन्ना ने कहा कि उनके काम को संयुक्त राष्ट्र में दिखाया जा रहा है जो उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान है और उन्हें गर्व है कि फिल्म के जरिए विधवाओं, उनके सशक्तिकरण, बेसहारा बच्चों, लड़कियों की शिक्षा, ट्रांसजेंडर और समान अधिकारों पर बाचतीत हो सकी है।
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