एक ऐसी चिड़िया जो बताती है शहद कहां है!

एक अध्ययन के मुताबिक, मोजाम्बिक में यह चिड़िया इंसान को खोजती है और फिर रास्ता दिखाते हुए उसे जंगल की ओर उस स्थान तक ले जाती है जहां मधुमक्खियों का बनाया शहद भरा छत्ता होता है।

इंसानों के साथ पशु पक्षियों की मित्रता के चर्चे तो आपने खूब सुने होंगे इधर हम आपको एक ऐसी चिड़िया के बारे में बताने जा रहे हैं जो उन लोगों की मददगार है जो शहद निकालने के लिये मधुमक्खी के छत्ते की तलाश में इधर-उधर भटक रहे होते हैं। इस चिड़िया को अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में देखा जा सकता है। रिसर्चर्स के मुताबिक मोजाम्बिक में यह चिड़िया इंसान को खोजती है और फिर रास्ता दिखाते हुए उसे जंगल की ओर उस स्थान तक ले जाती है जहां मधुमक्खियों का बनाया शहद भरा छत्ता होता है। 

अवश्य ही आप सोच रहे होंगे ऐसा करने पर इस चिड़िया को क्या मिलता है। यह चिड़िया बिना किसी कारण इंसानों को शहद का पता नहीं देती बल्कि ऐसा करने पर इस चिड़िया को भी अपना भोजन मिल जाता है। इंसान द्वारा मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकाल लेने के पश्चात यह उस छत्ते में से मधुमक्खियों के लार्वा, वैक्स और अंडे खाती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि हजारों साल से उत्तरी मोजाम्बिक के लोगों का इस छोटी सी चिड़िया से अनोखा रिश्ता है। यहां के लोग इस चिड़िया को ‘हनीगाइड’ कहकर पुकारते हैं। इंसान के साथ इस चिड़िया के रिश्ते का पता 1980 के दशक में केन्या के इकोलॉजिस्ट हुसैन इसाक ने लगाया था और अब नए शोध से इसके बारे में और भी कई नई बातों का पता चला है।

हाल ही में ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और दक्षिण अफ्रीका की केप टाउन यूनिवर्सिटी के किए एक शोध में पता लगा है कि यह चिड़िया इतने अचूक तरीके से लोगों को मधुमक्खी के छत्ते के पास कैसे ले जाती हैं। उत्तरी मोजाम्बिक के याओ समुदाय के लोग शहद निकालने के लिए इस चिड़िया को पुकारते हैं और उनकी आवाज सुनकर यह चिड़िया तुरंत ही उनके पास पहुंच जाती है। शहद निकालने वाले लोग इस चिड़िया के पीछे पीछे चलने लगते हैं। झाड़ियों और पेड़ों को पार करते हुए यह चिड़िया अचानक बर्र-हम की आवाज निकालने लगती है जिससे समझा जा सकता है कि मधुमक्खियों का छत्ता कहीं निकट ही है। छत्ते के पास पहुंचकर यह चिड़िया उड़कर छत्ते को दिखाती भी है।

इस चिड़िया की मदद से लोगों को मधुमक्खी के छत्ते का पता चल जाता है और जब तक शहद निकालने की प्रक्रिया चलती है तब तक यह चिड़िया चुपचाप वहीं पास में ही बैठी रहती है और कुछ घंटों की मेहनत के बाद जब छत्ते से शहद निकाल लिया जाता है तो लोग छत्ते को इस चिड़िया के हवाले कर देते हैं इस तरह से चिड़िया को अपना भोजन लार्वा, वैक्स और अंडे और इंसानों को शहद मिल जाता है।

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और केप टाउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की यह मिलीजुली रिसर्च जर्नल साईंस में प्रकाशित हुई है। इस रिसर्च के प्रमुख कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के डॉक्टर स्पॉटिशवुडे का कहना है कि यह चिड़िया और इंसान का रिश्ता आजाद जीवन जीने वाले जंगली जीवों के बीच सहयोग का जबरदस्त नमूना है। हजारों साल पहले ऐसे ही आपसी सहयोग के चलते कुत्ता, घोड़ा, गाय और कबूतर जैसे जीवों से इंसानों की दोस्ती हुई जिससे इंसान और जानवर दोनों को फायदा पहुंचा है। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि यह क्रमिक विकास का हिस्सा है, बदलते परिवेश में खुद को बचाए रखने के लिए कई जीव इंसान के करीब आ रहे हैं, उनकी झिझक कम हो रही है।

अमृता गोस्वामी

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