नीति बनाम निजताः मोबाइल फोन ट्रैकिंग पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

वाशिंगटन। हम कहां जाते हैं, क्या करते हैं, किससे बातें करते हैं, क्या पढ़ते हैं और इंटरनेट पर क्या देखते हैं और तो और हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन से जुड़ी सूचनाएं भी हमारे मोबाइल फोन में होती हैं। इन कारणों को देखते हुए अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि पुलिस कैसे आसानी से आपकी सूचनाओं तक पहुंच सकती है। इस डिजिटल दुनिया में निजता को सुरक्षित रखने के संबंध में आज एक बेहद महत्वपूर्ण मामले में सुनवायी होनी है।
सुप्रीम कोर्ट यह सुनवायी करेगा कि क्या पुलिस को सर्च वारंट के बिना यह सभी जानकारियां एकत्र करने का अधिकार है?हाई कोर्ट में मामले की सुनवायी के दौरान नौ न्यायाधीशों में से ज्यादातर इस बात से चिंतित नजर आये कि कैसे मोबाइल कंपनी वाले उपभोक्ता की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं और वर्षों पुरानी सूचनाएं भी एकत्र कर सकते हैं। वह इन सूचनाओं को पुलिस को भी उपलब्ध करा सकते हैं।
न्यायाधीशों ने इस बात पर चिंता जतायी कि किस हद तक मोबाइल हैंडसेट के माध्यम से लोगों की निजता का हनन किया जा सकता है। इस संबंध में सामाजिक समूहों की दलील है कि सूचना की सुरक्षा सीधे अमेरिकी संविधान के जरिये होती है। लेकिन विधि प्रवर्तन अधिकारियों का कहना है कि फोन से कॉल टॉवर को प्रसारित ‘‘लोकेशन संबंधी आंकड़े’’ सार्वजनिक कर तीसरे पक्ष को दिए जाते हैं जिससे निजता का दावा धरा रह जाता है।
जिस मामले में सुनवाई होनी है वह टिमोथी कारपेंटर का मामला है जिसे साल 2011 में पकड़ कर चोरी के जुर्म में दोषी ठहराया गया। इससे पहले पुलिस ने फोन कंपनियों से चार माह से अधिक समय में कारपेंटर के मोबाइल फोन के लिए करीब 12,898 सेल टॉवर लोकेशन प्वॉइन्ट्स लिए थे।
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