बांग्लादेश ने चीनी राष्ट्रपति का किया भव्य स्वागत

[email protected] । Oct 14 2016 5:37PM

बांग्लादेश ने आज चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग का भव्य स्वागत किया जो दो दिन की राजकीय यात्रा पर ढाका पहुंचे हैं। पिछले 30 साल में यहां आने वाले वह पहले चीनी राष्ट्राध्यक्ष हैं।

ढाका। बांग्लादेश ने आज चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग का भव्य स्वागत किया जो दो दिन की राजकीय यात्रा पर यहां पहुंचे हैं। पिछले 30 साल में यहां आने वाले वह पहले चीनी राष्ट्राध्यक्ष हैं और उनकी यात्रा को द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के लिए महत्वपूर्ण जा रहा है। एयर चाइना के एक विशेष विमान से शी के यहां उतरने पर उन्हें 21 तोपों से सलामी दी गई। उनकी अगवानी बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद ने हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर वीवीआईपी टर्मिनल में की।

हवाई अड्डे पर उनके उतरने पर सेना, नौसेना और वायुसेना की टुकड़ियों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चीनी सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ को शी की यात्रा की पूर्व संध्या पर कहा था कि यह यात्रा ढाका और बीजिंग के बीच गहन सहयोग के एक नये युग की शुरूआत करेगी। उन्होंने कहा था, ‘‘हम बहुत खुश हैं और सम्मानित महसूस कर रहे हैं कि राष्ट्रपति शी बांग्लादेश आ रहे हैं। मेरा मानना है कि राष्ट्रपति शी की यात्रा दक्षिण एशिया के लिए भी अधिक महत्वपूर्ण होगी।’’ शी हसीना के साथ वार्ता करेंगे और अपनी 23 घंटों की यात्रा के दौरान बंगभवन राष्ट्रपति आवाास में एक भोज में शरीक होंगे। राष्ट्रपति ली शियाननीआन की मार्च 1986 की यात्रा के बाद यह किसी चीनी राष्ट्रपति की पहली बांग्लादेश यात्रा है।

हसीना ने कहा कि बांग्लादेश मजबूती से एक चीन की नीति का समर्थन करता है और इसके मुख्य राष्ट्रीय हितों और इसकी राष्ट्रीय संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की हिफाजत की कोशिशों के सिलसिले में मुद्दों पर चीन का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, ‘‘चीन हमारा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार बन गया है और हमारा मानना है कि चीन हमारे सपनों को साकार करने के लिए एक भरोसेमंद साझेदार है। चीन हमारी कई बड़ी परियोजनाओं में वित्त, पूंजी और प्रौद्योगिकी के सिलसिले में एक प्रमुख सहयोगी है। बीजिंग ने इससे पहले एक बयान में कहा कि यह यात्रा एक मील का पत्थर होगी क्योंकि इससे द्विपक्षीय सहयोग मजबूत होगा। इस यात्रा के जानकार बांग्लादेशी अधिकारियों ने बताया कि दोनों देशों के बीच 25 समझौते और सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।

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