एशियाई सदी के बारे में जयशंकर के बयान का चीन ने किया समर्थन

Jaishankar
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था, ‘‘चीन ने सीमा पर जो किया है, उसके बाद इस समय (भारत-चीन) संबंध अत्यंत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।’’ दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से गतिरोध बरकरार है। पैंगोंग झील क्षेत्र में पांच मई 2020 को हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की बात हो चुकी है।

बीजिंग, 20 अगस्त। चीन ने शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस बयान से सहमति जताई कि अगर दोनों पड़ोसी देश हाथ नहीं मिलाते हैं तो ‘‘एशियाई सदी’’ संभव नहीं हो सकती है। चीन ने जोर देते हुए यह भी कहा कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच ‘‘मतभेदों से कहीं अधिक साझा हित हैं।’’ जयशंकर ने बैंकॉक में प्रतिष्ठित चुलालांगकोर्न विश्वविद्यालय में ‘हिंद-प्रशांत का भारतीय दृष्टिकोण’ विषय पर व्याख्यान देने के बाद प्रश्नों का उत्तर देते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि एशियाई सदी तब होगी जब चीन और भारत साथ आएंगे। उन्होंने कहा था कि यदि भारत और चीन साथ नहीं आ सके तो एशियाई सदी मुश्किल होगी।

विदेश मंत्री ने कहा था, ‘‘चीन ने सीमा पर जो किया है, उसके बाद इस समय (भारत-चीन) संबंध अत्यंत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।’’ दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से गतिरोध बरकरार है। पैंगोंग झील क्षेत्र में पांच मई 2020 को हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की बात हो चुकी है। भारत लगातार यह कहता रहा है कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता महत्वपूर्ण है।

जयशंकर की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया के लिए आग्रह किये जाने पर, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि चीन और भारत का विकास नहीं होता है तो एक एशियाई सदी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, ‘‘चीन और भारत दो प्राचीन सभ्यताएं, दो उभरती अर्थव्यवस्थाएं और दो बड़े पड़ोसी देश हैं।’’ वांग ने कहा कि चीन और भारत के बीच मतभेदों की तुलना में कहीं अधिक समान हित हैं और दोनों पड़ोसियों के लिए यह बेहतर है कि वे एक-दूसरे के लिए खतरा पैदा करने के बजाय एक-दूसरे को मजबूत करने के प्रयास करें।

यह पूछे जाने पर कि क्या चीन पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बिंदुओं पर भारत के साथ बातचीत करेगा, वांग ने कहा, ‘‘मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि चीन और भारत सीमा मुद्दों पर बातचीत जारी रखें। बातचीत प्रभावी ढंग से जारी है।’’ जयशंकर ने चीन की आपत्ति के परोक्ष संदर्भ में कहा था कि क्वाड से पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र को फायदा होगा और चार देशों के समूह की गतिविधियों को लेकर किसी भी तरह की आपत्ति एक तरह से ‘‘सामूहिक और सहयोगात्मक प्रयासों का एकतरफा विरोध’’ है।

जयशंकर के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर वांग ने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के चार देशों के समूह को लेकर चीन की आपत्ति को दोहराया। वांग ने कहा, ‘‘क्वाड पर चीन की स्थिति स्पष्ट है। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि शांति, सहयोग और खुलेपन की दुनिया में, यदि कोई छोटे समूह बनाने की कोशिश करता है, तो उसका कोई समर्थन नहीं किया जाएगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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