गलती सुधारे अमेरिका, वरना.... टैरिफ वॉर पर चीन का सख्त रुख

टैरिफ वॉर पर चीन ने सख्त रुख दिखाते हुए अमेरिका से बातचीत का रास्ता अपनाने का आग्रह किया है, दोहराया कि सहयोग दोनों के लिए फायदेमंद है जबकि टकराव हानिकारक। यह चीन की प्रतिक्रिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चीन के इम्पोर्ट पर भारी शुल्क लगाने की चेतावनी के बाद आई है, जिससे वैश्विक आर्थिक संबंध तनाव में हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन के इम्पोर्ट पर 155 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की धमकी के बाद, बीजिंग ने वॉशिंगटन को अपनी 'गलती' सुधारने और बातचीत से व्यापार के मुद्दे को सुलझाने की चेतावनी दी है। कोलकाता में चीन के महावाणिज्य दूत शू वेई ने कहा कि अगर अमेरिका नरम नहीं पड़ा, तो चीन जरूर जवाब देगा।
अगर मजबूर किया गया तो हम लड़ेंगे
उन्होंने ट्रेड वॉर पर चीन का रुख साफ करते हुए कहा: 'इस व्यापार युद्ध पर, जैसा कि आप जानते हैं, हमारा चीन के प्रति रुख बिल्कुल क्लियर है। हम यह टकराव नहीं चाहते। लेकिन अगर हमें मजबूर किया गया, तो हम जवाब जरूर देंगे। अगर जरूरत पड़ी तो हम लड़ेंगे भी।'
बातचीत के लिए दरवाजे खुले
वॉशिंगटन को बातचीत की मेज पर बुलाते हुए उन्होंने कहा, 'अगर अमेरिका बातचीत करना चाहता है तो हमारे दरवाजे खुले हैं। इसलिए हम अमेरिकी सरकार से बार-बार कहते हैं कि सहयोग से दोनों पक्षों को फायदा होता है, जबकि टकराव से सभी का नुकसान होता है।'
उन्होंने अमेरिका से अपनी गलती सुधारने और बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया। उन्होंने साफ किया कि 'अगर ऐसा नहीं होता है, तो चीन हमारे अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा।'
ट्रंप की 155% टैरिफ की धमकी
पिछले हफ्ते ट्रंप ने चीन को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर दोनों देशों के बीच कोई ट्रेड डील (व्यापार समझौता) नहीं होती है, तो 1 नवंबर से 155 प्रतिशत तक का भारी शुल्क लगाया जा सकता है।
व्हाइट हाउस में बोलते हुए, ट्रंप ने दावा किया था कि बीजिंग, वॉशिंगटन का 'बहुत सम्मान' करता रहा है और वह अपने प्रोडक्ट्स पर अमेरिका को लगाए गए 55 प्रतिशत शुल्क के बदले 'भारी मात्रा में पैसा' दे रहा है। उन्होंने आगे कहा था, 'कई देशों ने अमेरिका का फायदा उठाया है, और अब वे फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। चीन 55 प्रतिशत शुल्क चुका रहा है और अगर हम कोई समझौता नहीं करते हैं, तो 1 नवंबर से 155 प्रतिशत शुल्क चुकाने की संभावना है।'
भारत और चीन सहयोग की जरूरत
चीनी महावाणिज्य दूत ने बदलते ग्लोबल सिनेरियो का जिक्र करते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच सहयोग दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है। उन्होंने कहा, 'चीन और भारत दोनों में वास्तव में बहुत कुछ एक जैसा है। लेकिन हमारे कुछ अलग नजरिए भी हैं। उम्मीद है कि दोनों सरकारों ने इस चैलेंज का इस्तेमाल अपने-अपने देशों के फायदे के लिए कैसे किया जाए, इस पर डिस्कस किया होगा।'
उन्होंने बात खत्म करते हुए कहा, 'न केवल चीन, बल्कि अमेरिका और भारत को भी सहयोग की जरूरत है क्योंकि सहयोग से फायदा होता है और टकराव से सबको नुकसान होता है।'
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