अदालत ने हार्वे वीनस्टीन को ‘मी टू’ यौन अपराध मामले के मुख्य आरोप में दोषी ठहराया

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महिला बहुमत वाली जूरी ने वीनस्टीन को 2006 में एक पीड़िता को यौन कृत्य के लिए जबरन मजबूर करने का दोषी ठहराया, लेकिन उसने वीनस्टीन को 2006 के एक अन्य आपराधिक यौन कृत्य के आरोप से बरी कर दिया।

अमेरिका के पूर्व फिल्म निर्माता हार्वे वीनस्टीन को यौन अपराधों से जुड़े मामले की पुन: सुनवाई के दौरान एक प्रमुख आरोप में दोषी ठहराया गया, लेकिन एक अन्य मामले में उन्हें बरी कर दिया गया और जूरी के सदस्य अभी तीसरे आरोप पर निर्णय पर नहीं पहुंच पाए हैं।

‘मी टू’ आंदोलन के दौरान लगे आरोपों के मामले में वीनस्टीन को पांच साल पहले पहली बार दोषी ठहराया गया था, लेकिन पिछले वर्ष दोषसिद्धि संबंधी फैसले को पलट दिया गया और मामले को मैनहट्टन की उसी अदालत में फिर से भेज दिया गया, जहां पहले सुनवाई हुई थी।

इस बार, महिला बहुमत वाली जूरी ने वीनस्टीन को 2006 में एक पीड़िता को यौन कृत्य के लिए जबरन मजबूर करने का दोषी ठहराया, लेकिन उसने वीनस्टीन को 2006 के एक अन्य आपराधिक यौन कृत्य के आरोप से बरी कर दिया। जूरी 2013 में एक अन्य महिला से बलात्कार के आरोप पर विचार-विमर्श कर रही है। वीनस्टीन (73) ने किसी का यौन उत्पीड़न करने के आरोपों से इनकार किया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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