न्यायालय ने अवज्ञापूर्ण व्यवहार के लिए अमेरिका में रह रहे व्यक्ति को जेल की सजा सुनाई

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उच्चतम न्यायालय ने 2004 से अमेरिका में रह रहे एक व्यक्ति को उसके ‘अवज्ञाकारी व्यवहार’ के लिए छह महीने कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने केंद्र सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को उसकी भारत में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का भी निर्देश दिया।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2004 से अमेरिका में रह रहे एक व्यक्ति को उसके ‘अवज्ञाकारी व्यवहार’ के लिए छह महीने कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने केंद्र सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को उसकी भारत में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का भी निर्देश दिया, ताकि वह जेल की सजा काट सके। शीर्ष न्यायालय ने जनवरी में, एक अदालती आदेश के सिलसिले में अपने बेटे को भारत लाने में नाकाम रहने को लेकर व्यक्ति को न्यायालय की अवमानना को दोषी ठहराया था।

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न्यायमूर्ति एस.के. कौल और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका की पीठ ने कहा कि अवमानना करने वाले व्यक्ति को कोई पछतावा नहीं है और इसके उलट उसकी ओर से दी गई दलील में यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होता है कि शीर्ष न्यायालय के आदेशों का वह जरा भी सम्मान नहीं करता है। पीठ ने 16 मई को सुनाये गये अपने फैसले में कहा, ‘‘उसके अवज्ञापूर्ण व्यवहार पर विचार करते हुए, हम अवमाननाकर्ता को निर्देश देते हैं कि वह छह महीने के अंदर 25 लाख रुपये का जुर्माना भरे और दीवानी एवं फौजदारी अवमानना करने को लेकर छह महीने की अवधि के लिए साधारण कारावास की सजा काटे।’’ न्यायालय ने कहा कि जुर्माने की रकम भरने में नाकाम रहने की स्थिति में उसे और दो महीने साधारण कारावास की सजा काटनी होगी।

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पीठ ने कहा कि जुर्माने की रकम शीर्ष न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा की जाए। उल्लेखनीय है कि शीर्ष न्यायालय ने एक महिला द्वारा दायर अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए व्यक्ति को दोषी करार दिया था।

महिला ने 2007 में व्यक्ति से शादी की थी। महिला ने आरोप लगाया था कि व्यक्ति ने अदालत द्वारा जारी मई 2022 के आदेश के आलोक में दाखिल किये गये शपथपत्र का उल्लंघन किया। आदेश में उल्लेख किये गये समझौते की शर्तों के मुताबिक, उस वक्त छठी कक्षा में पढ़ रहे बच्चा अजमेर, राजस्थान में ही रहेगा और 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करेगा। इसके बाद, उसे अमेरिका ले जाया जाएगा, जहां उसके पिता रह रहे हैं।

न्यायालय ने अवमाननाकर्ता के वकील की इस दलील का भी संज्ञान लिया कि बच्चा भारत में अपनी मां के साथ रहने के दौरान कथित यौन शोषण का शिकार हुआ था। इस सिलसिले में अमेरिका में एक फोरेंसिक जांच जारी है और इसलिए जांच पूरी होने तक बच्चे को भारत वापस नहीं लाया जा सकता। न्यायालय ने कहा था कि महिला द्वारा दायर अवमानना याचिका दंपती के बीच पारिवारिक विवाद का परिणाम है और जैसा कि हर विवाद में होता है, बच्चा सर्वाधिक प्रभावित हुआ। न्यायालय ने कहा, ‘‘हम भारत सरकार और सीबीआई को अवमाननाकर्ता की भारत में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश देते हैं, ताकि वह सजा काटे और जुर्माना भरे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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