ईरान के नए राष्ट्रपति बने इब्राहिम रईसी, जानें ले चुके हैं कौन-से विवादित फैसले
रईसी चुनाव तो जीत गए लेकिन उनके राष्ट्रति बनने से पहले ही अमेरिका ने उनपर प्रतिबंध लगा दिया है। आपको बता दें कि रईसी की विवादों से भी गहरा नाता रहा है।
ईरान को कई दिनों की राजनीतिक उठापटक के बाद आखिरकार शनिवार को नया राष्ट्रपति मिल ही गया। ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के कट्टर समर्थक और कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रईसी राष्ट्रपति के पद पर बड़े अंतर से जीत हासिल कर काबिज हो गए हैं। राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए माना जा रहा है कि देश के इतिहास में इस बार सबसे कम वोट पड़े हैं। रईसी ने 1 करोड़ 78 वोट हासिल किए। रईसी को एकमात्र उदारवादी उम्मीदवार अब्दुलनासिर हेम्माती कड़ी टक्कर दे रहे थे। हालांकि वो इस दौड़ में काफी पीछे रह गए और हेम्माती ने अपनी हार भी स्वीकार कर ली है। रईसी के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने की जानकारी मोहम्मद जवाद जरीफ ने की। ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान शुक्रवार से शुरु होकर शनिवार तक जारी रहे। परिणामों की आधिकारिक घोषणा से पहले ही रईसी की जीत लगभग तय मानी जा रही थी।
लोगों की बेहतरी के लिए काम करेगी सरकार- रईसी
रईसी के चुनाव जीतने के बाद उनके कड़े प्रतिद्वंदी हेम्माती समेत पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने रायसी को बधाई दी। सरकार से संबद्ध ओपिनियन पोल और विश्लेषकों ने रईसी को पद के लिए दावेदारी जता रहे चार उम्मीदवारों में से सबसे मजबूत दावेदार करार दिया। चुनाव जीतने के बाद रईसी ने लोगों का मीडिया के सामने आकर धन्यवाद भी किया और कहा कि उनकी सरकार लोगों की बेहतरी के लिए हर संभव काम करेगी।
रईसी ने लोगों से कहा भ्रष्टाचार पर पाएंगे काबू
आपको बता दें कि रईसी ने लोगों को अपनी तरफ ये कहकर आकर्षित करने की कोशिश की थी कि वो ईरान में फैले कथित भ्रष्टाचार पर काबू पाने और ईरान आर्थिक समस्याओं को दूर करने का सबसे बेहतर विकल्प हैं। हालांकि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने 80 के दशक में राजनीतिक कैदियों को फांसी देने की उनकी भूमिका को लेकर चिंता जाहिर की है। रईसी चुनाव तो जीत गए लेकिन उनके राष्ट्रति बनने से पहले ही अमेरिका ने उनपर प्रतिबंध लगा दिया है। आपको बता दें कि रईसी की विवादों से भी गहरा नाता रहा है।
इब्राहिम रईसी के विवाद
- अमेरिका ने रईसी पर 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिक के मुखिया के तौर पर प्रतिबंध लगा दिया था।
- 1980 में रईसी करज की क्रांतिकारी अदालत के अभियोजक बने। 20 साल की उम्र में राईसी की तैनाती तेहरान के पश्चिम में कर दी गई थी। 1988 में उन्हें प्रमोट करके डिप्टी प्रौसेक्यूटर बनाया गया। पीपुल्स मुजाहिद्दीन से जुड़े कैदियों को मारने की समिति के सदस्य बनाए गए।
- रईसी उस समिति के सदस्य थे जिसके आदेश पर जेल में बंद करीब तीस हजार कैदियों को गोली मार दी गई थी। महिलाओं और बच्चों को भी तब नहीं छोड़ा गया था। पूरी दुनिया में ईरान के इस कदम की आलोचना हुई थी। तभी से रईसी ईरान के कट्टर मौलवियों की लिस्ट में शामिल हो गए थे।
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