मिस्र की सरकार ने रमजान महीने में 41 कैदियों को किया रिहा, जेल में बंद थे कई राजनैतिक कार्यकर्ता

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मिस्र की सरकार ने ईद से पहले 41 कैदियों को रिहा किया।द रिफॉर्म एंड डेवलपमेंट पार्टी’ ने बताया कि रिहा किए गए लोग राजनीतिक कैदी थे,जिन्हें उनके खिलाफ दर्ज मामलों में सुनवाई होने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया था।सरकारी अखबार अल-अहराम के अंग्रेजी संस्करण की एक खबर के अनुसार,कुल 41 कैदियों को रिहा किया गया है।

काहिरा, मिस्र में मुसलमानों के पाक माह रमजान के खत्म होने से एक सप्ताह पहले रविवार को 41 कैदियों को रिहा किया गया। इस समय आम तौर पर कैदियों को माफी दी जाती है। एक राजनीतिक दल और आधिकारिक मीडिया ने यह जानकारी दी। राजनीतिक कार्यकर्ताओं और परिवार के सदस्यों ने कई कैदियों की रिहाई की पुष्टि की है। ‘द रिफॉर्म एंड डेवलपमेंट पार्टी’ ने बताया कि रिहा किए गए लोग राजनीतिक कैदी थे, जिन्हें उनके खिलाफ दर्ज मामलों में सुनवाई होने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया था। सरकारी अखबार ‘अल-अहराम’ के अंग्रेजी संस्करण की एक खबर के अनुसार, कुल 41 कैदियों को रिहा किया गया है। सरकार के मानवाधिकार निकाय ने एक बयान में बताया कि केवल उन लोगों को रिहा किया गया है, जिन्हें उनके खिलाफ दर्ज मामलों में सुनवाई शुरू होने से पहले गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, उन्होंने इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी। यह कदम रमजान के अंत में ईद की छुट्टी से एक हफ्ते पहले उठाया गया है। यह आम तौर पर एक ऐसा समय होता है, जब कैदियों को राष्ट्रपति की क्षमा पर रिहा किया जाता है। इस साल रिहा किए गए कैदियों की संख्या हाल के वर्षों में रिहा किए गए कैदियों में सर्वाधिक है। ऐसा कहा जाता है कि मिस्र की जेलों में हजारों राजनीतिक कैदी हैं, जिनमें अधिकतर के खिलाफ दर्ज मामलों में सुनवाई भी शुरू नहीं हुई है। रिहा होने वालों में राजनीतिक कार्यकर्ता वलीद शौकी भी हैं। उनकी पत्नी हेबा अनीस ने सोशल मीडिया पर उनके साथ एक तस्वीर साझा करते हुए यह जानकारी दी। कार्यकर्ता एसरा अब्देल फत्ताह ने बताया कि पत्रकार मोहम्मद सलाह को भी रिहा कर दिया गया है। मानवाधिकार के मामलों के वकील नाबेह एलगनादी ने रादवा मोहम्मद के साथ एक तस्वीर साझा की, जिन्हें राष्ट्रपति अब्देल फत्तह अल-सिसी की आलोचना करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करने के बाद गिरफ्तार किया गया था। इस बीच, कई लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। मानवाधिकार मामलों के वकील खालिद अली ने शनिवार को बताया कि देश के दक्षिणी हिस्से में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया गया। इन लोगों ने ऑनलाइन साझा किए गए एक वीडियो में बढ़ती खाद्य कीमतों के खिलाफ एक गीत गाया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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