अफगानिस्तान में दमनकारी आदेशों की झड़ी, तालिबान कट्टरपंथियों ने अफगानिस्तान में पुराने दिनों की यादें ताजा कीं

Afghanistan
प्रतिरूप फोटो

अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध के बाद अमेरिका और नाटो पीछे हट गए और तालिबान ने अगस्त2021 के मध्य में देश पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता थी कि वे अफगानिस्तान में पूर्व में अपने शासन के दौरान लागू सख्त कानूनों को फिर से अमल में लाएंगे।

इस्लामाबाद| तालिबान के कट्टरवादी अफगानिस्तान में पिछले कुछ दिनों से उन दमनकारी आदेशों की झड़ी लगा रहे हैं जो 1990 के दशक के आखिर में उनके कठोर शासन की याद दिलाते हैं। लड़कियों को छठी कक्षा से आगे स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, महिलाओं के बिना पुरुष रिश्तेदार के अकेले विमान में चढ़ने पर रोक लगा दी गई है।

पुरुष और महिलाएं केवल अलग-अलग दिनों में सार्वजनिक पार्कों में जा सकते हैं और विश्वविद्यालयों में मोबाइल फोन का उपयोग प्रतिबंधित है। यह सब यहीं खत्म नहीं होता।

अफगानिस्तान की दो भाषाओं - पश्तो और फारसी में बीबीसी सेवाएं समेत अंतरराष्ट्रीय मीडिया का प्रसारण सप्ताहांत में बंद कर दिया गया है। इसी तरह से विदेशी ड्रामा सीरीज का प्रसारण भी बंद कर दिया गया है।

अफगानिस्तान में 20 साल के युद्ध के बाद अमेरिका और नाटो पीछे हट गए और तालिबान ने अगस्त2021 के मध्य में देश पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता थी कि वे अफगानिस्तान में पूर्व में अपने शासन के दौरान लागू सख्त कानूनों को फिर से अमल में लाएंगे।

महिलाओं के अधिकारों पर हालिया हमला इस महीने की शुरुआत में हुआ, जब तालिबान सरकार छठी कक्षा के बाद लड़कियों को स्कूल में पढ़ने की अनुमति देने के अपने वादे से मुकर गई।

विशेष रूप से तालिबान द्वारा ‘‘सभी जरूरी मुद्दों पर आश्वासन दिए जाने’’ के बावजूद इस कदम ने दुनिया के अधिकतर लोगों और अफगानिस्तान में कई लोगों को स्तब्ध कर दिया।

संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्रसारण पर प्रतिबंध को ‘‘अफगानिस्तान के लोगों के खिलाफ एक और दमनकारी कदम’’ बताया है। बीबीसी पश्तो सेवा की वेबसाइट ने कहा कि यह ‘‘अनिश्चितता और अशांति के समय में एक चिंताजनक घटनाक्रम है।’’ ‘

बीबीसी वर्ल्ड सर्विसेज’ के प्रमुख तारिक काफाला ने रविवार को एक बयान में कहा, ‘‘60 लाख से अधिक अफगान हर हफ्ते टीवी पर बीबीसी की स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का उपयोग करते हैं और यह महत्वपूर्ण है कि भविष्य में उन्हें इसकी पहुंच से वंचित न किया जाए।’’ तालिबान के मजहबी मामलों के मंत्रालय के सदस्यों ने सोमवार को सरकारी मंत्रालयों के बाहर खड़े बिना पारंपरिक पगड़ी और दाढ़ी वाले पुरुष कर्मचारियों को घर जाने के लिए कहा। एक कर्मचारी जिसे घर जाने के लिए कहा गया था, ने अपनी सुरक्षा के डर से नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा कि वह नहीं जानता कि वह कब काम पर लौट पाएगा।

देश पर अपना आधिपत्य करने के बाद से, तालिबान उग्रवाद और युद्ध से निकलकर शासन की दिशा में बढ़ने की कोशिश कर रहा है, जहां कट्टरपंथी शासक मानवीय संकट के बीच देश को चलाने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बाधाओं का सामना कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़