भूटान नरेश जिग्मे से विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने की मुलाकात, ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति को किया रेखांकित
विदेश मंत्री ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात का सौभाग्य मिला। भारत और भूटान के बीच विशेष मित्रता को हमेशा ही ड्रक ग्यालपोस (भूटान के राष्ट्राध्यक्ष) के प्रबुद्ध मार्गदर्शन से लाभ मिला है।
थिंपू। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात की और कहा कि विशेष द्विपक्षीय मित्रता को हमेशा हिमालयी देश के राष्ट्राध्यक्ष के प्रबुद्ध मार्गदर्शन से लाभ मिला है। जयशंकर ने विदेश मंत्री के तौर पर 30 मई को कार्यभार संभाला था। मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद वह अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत शुक्रवार को भूटान पहुंचे। विदेश मंत्री ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात का सौभाग्य मिला। भारत और भूटान के बीच विशेष मित्रता को हमेशा ही ड्रक ग्यालपोस (भूटान के राष्ट्राध्यक्ष) के प्रबुद्ध मार्गदर्शन से लाभ मिला है।
It was a privilege to also meet Her Majesty the ever gracious Gyaltsuen, and especially delightful to interact with the Druk Gyalsey! 2/2 pic.twitter.com/iXSN3dmla6
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) June 7, 2019
उन्होंने ट्वीट किया कि बेहद विनीत भूटान महारानी ग्यालत्सुएन से भी मुलाकात का सौभाग्य मिला। ड्रक ग्यालसी से भी बातचीत हुई! जयशंकर ने शुक्रवार को भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों के अहम तत्वों पर चर्चा की। उन्होंने अपने भूटानी समकक्ष टांडी दोरजी से भी बातचीत की और विकास साझेदारी तथा पनबिजली पर जोर देने के साथ पारस्परिक हितों के मुद्दों पर चर्चा की। शनिवार को जयशंकर स्वदेश रवाना हो गये।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि भूटान साम्राज्य की एक दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने विदा किया। यात्रा दोनों देशों को करीब लेकर आयी है और इसने भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति के प्रति उसकी निष्ठा को रेखांकित किया है। भूटान भारत का करीबी मित्र देश रहा है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध पिछले कुछ वर्षों में और बेहतर हुए हैं। 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद नरेंद्र मोदी की पहली विदेश यात्रा भूटान की ही थी।
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