Hongkong लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारी पर हमला: चीन ने ब्रिटेन से अपने छह राजनयिकों को वापस बुलाया

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बॉब चेन ने आरोप लगाया है कि अक्टूबर में शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन के दौरान कुछ नकाबपोश लोग वाणिज्य दूतावास की इमारत से बाहर आए और उन्हें खींचकर दूतावास परिसर में ले गए, जहां उनके साथ मारपीट की गई।

लंदन। ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने बृहस्पतिवार को बताया कि चीन सरकार ने ब्रिटेन के मैनचेस्टर स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास में हांगकांग लोकतंत्र समर्थक एक प्रदर्शनकारी पर हमले के बाद एक चीनी महावाणिज्यदूत और पांच अन्य कर्मचारियों को वापस बुला लिया है। क्लेवरली ने बृहस्पतिवार को बताया कि ब्रिटिश पुलिस प्रदर्शनकारी बॉब चेन पर हुए हमले के सिलसिले में इन छह अधिकारियों से पूछताछ करना चाहती थी। बॉब चेन ने आरोप लगाया है कि अक्टूबर में शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन के दौरान कुछ नकाबपोश लोग वाणिज्य दूतावास की इमारत से बाहर आए और उन्हें खींचकर दूतावास परिसर में ले गए, जहां उनके साथ मारपीट की गई।

पुलिस ने बताया कि मौके पर मौजूद अधिकारियों के दखल के बाद चेन को बचाया गया। चेन के मुंह और पीठ पर चोटें आई हैं। क्लेवरली ने बताया कि ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने इन अधिकारियों को मिली राजनयिक छूट वापस लेने का चीन से आग्रह किया था, ताकि उनसे पूछताछ की जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘ इस अनुरोध के जवाब में चीनी दूतावास ने चीन के निर्देश पर जानकारी दी कि मैनचेस्टर के महावाणिज्यदूत की तैनाती का कार्यकाल पूरा हो गया है और वह चीन लौट आए हैं।’’ उन्होंने बताया कि अन्य कर्मचारी भी ‘‘ या तो ब्रिटेन से जा चुके हैं या जल्द जाने वाले हैं।’’ वहीं चेन ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा, ‘‘ मैनचेस्टर में चीन के वाणिज्य दूतावास के कर्मचारियों द्वारा किए हमले को दो महीने हो गए हैं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘ 16 अक्टूबर 2022 को जो हुआ वो अस्वीकार्य व अवैध है और चीनी राजनयिकों को वापस बुलाए जाने के बाद अब यह मामला मुझे बंद होता नजर आ रहा है।’’ गौरतलब है कि यह घटना एक कैमरे में कैद हुई थी। इसके बाद ब्रिटेन तथा चीन के बीच तनाव भी बढ़ गया था। चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि चेन अवैध तरीके से वाणिज्य दूतावास में दाखिल हुआ था और चीनी राजनयिक कर्मचारियों को अपने परिसर में सुरक्षा बनाए रखने का अधिकार है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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