रूस कर रहा यूक्रेन के नागरिकों पर अत्याचार, सामने आ रही है कई डरावनी कहानी

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संरा मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि यूक्रेन में नागरिकों के खिलाफ उल्लंघनों की डरावनी कहानी सामने आयी है। संयुक्त राष्ट्र मिशन को रूसी सैनिकों द्वारा महिलाओं, पुरुषों, लड़कियों और लड़कों के खिलाफ यौन हिंसा के अब तक 75 आरोप प्राप्त हुए हैं, जिनमें से अधिकांश कीव क्षेत्र में हैं।

बर्लिन।संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से युद्ध अपराधों के सबूत सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही उसने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मानवीय कानून को ‘‘दरकिनार कर दिया गया है।’’ मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र की उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा, ‘‘हमारे अब तक के काम में नागरिकों के खिलाफ उल्लंघनों की एक डरावनी कहानी सामने आयी है।’’ उनके कार्यालय के यूक्रेन स्थित मिशन ने 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 5,264 नागरिकों के हताहत होने की पुष्टि की है, जिसमें 2,345 मौतें शामिल हैं।

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इसने कहा कि उनमें से 92.3 प्रतिशत मामले यूक्रेन सरकार द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में दर्ज किए गए। कार्यालय सख्त कार्यप्रणाली का उपयोग करता है और लंबे समय से स्वीकार करता रहा है कि इसके पुष्ट आंकड़े वास्तविक संख्या से बहुत कम हैं। बाशेलेट ने कहा, ‘‘वास्तविक संख्या बहुत अधिक होगी’’ जब मारियुपोल जैसे स्थानों से अधिक विवरण सामने आएंगे, जहां भीषण लड़ाई हो रही है। इन आठ हफ्तों में, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून को न केवल नजरअंदाज किया गया है, बल्कि एक तरह से दरकिनार कर दिया गया।’’ उनके कार्यालय ने एक बयान में कहा कि ‘‘रूसी सशस्त्र बलों ने आबादी वाले क्षेत्रों में अंधाधुंध गोलाबारी की और बमबारी की जिनमें नागरिकों की मौत हुई। साथ ही अस्पतालों, स्कूलों और अन्य नागरिक बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया - ऐसी कार्रवाई जो युद्ध अपराधों के बराबर हो सकती है।’’

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बाशेलेट ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि कम से कम 3,000 नागरिक मारे गए हैं क्योंकि उन्हें इलाज नहीं मिल सका।’’ संयुक्त राष्ट्र मिशन को रूसी सैनिकों द्वारा महिलाओं, पुरुषों, लड़कियों और लड़कों के खिलाफ यौन हिंसा के अब तक 75 आरोप प्राप्त हुए हैं, जिनमें से अधिकांश कीव क्षेत्र में हैं। मानवाधिकार कार्यालय ने कहा कि रूसी बलों और संबद्ध समूहों द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में नागरिकों को हिरासत में लेना एक व्यापक चलन बन गया है और अब तक ऐसे 155 मामले दर्ज किए गए हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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