जब अमेरिका भागीदार बनने की हालत में नहीं था, तब भारत . रूस संबंध विकसित हुए : ब्लिंकन

Blinken

रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन ‘‘मजबूत गठबंधनों और साझेदारी को वास्तव में बहुत महत्व देते हैं,जैसे कि भारत के साथ हैं।’’ एक अन्य प्रश्न के उत्तर में ब्लिंकन ने कहा कि जब बात सैन्य साजो-सामान की आती है तो यकीनन भारत और रूस के बीच संबंधों का लंबा इतिहास है।

वाशिंगटन| अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने कहा कि भारत के रूस के साथ संबंध दशकों पुराने हैं और ये ऐसे वक्त में विकसित हुएजब अमेरिका, भारत का साझेदार बनने में सक्षम नहीं था।

ब्लिंकन ने यह बात राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के, यूक्रेन पर रूस के हमले की घटना पर भारत के रुख को समझने के संकेतों के बीच कही। दरअसल यूक्रेन संकट को लेकर भारत के रुख पर तथा रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदने को लेकर अमेरिका में असंतोष है। अमेरिका के विदेश मंत्री ने यह बयान रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तथा भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ सोमवार को टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दिया।

उन्होंने कहा ,‘‘ भारत के रूस के साथ संबंध दशकों पुराने हैं और ऐसे वक्त से हैं जब अमेरिका, भारत का साझेदार बनने की स्थिति में नहीं था। वक्त बदल चुका है।’’

उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा,‘‘आज हम भारत के साथ वाणिज्य, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी के लिए सक्षम और इच्छुक हैं।

आज हमारे बीच इसी को लेकर बातचीत हुई है। जब बात तेल खरीद, प्रतिबंध आदि की आती है तो मैं बस यही कहूंगा कि तेल खरीद के लिए यह जटिल प्रक्रिया है।’’ शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने हालांकि सहयोगियों और साझेदारों को रूस से तेल आदि की खरीद को बढ़ाने के प्रति आगाह किया।

उन्होंने कहा,‘‘ यकीनन हम देशों को इस बात के लिए प्रेरित कर रहे हैं कि वे रूस से अतिरिक्त ईंधन नहीं खरीदें। प्रत्येक देश की स्थिति अलग है, उनकी जरूरतें अलग हैं, लेकिन हम सहयोगियों और साझेदारों से उम्मीद करते हैं कि वे रूस से ईंधन खरीद को न बढ़ाएं।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति और कीमतों, बाजारों पर पड़ने वाले गहरे प्रभाव को कम करने और इसे हासिल करने के लिए मिलकर काम करने के तरीकों के बारे में बात की। ब्लिंकन ने कहा, ‘‘ मैं कहना चाहूंगा कि भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में काफी कठोर बयान दिए थे, भारतीय संसद में मंत्री ने कड़ा बयान दिया, यूक्रेन में आम नागरिकों की हत्या की निंदा की, इन मामलों की स्वतंत्र जांच की मांग की। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि भारत यूक्रेन की जनता को अहम मानवीय मदद पहुंचा रहा है, खासतौर पर दवाइयां।’’ उन्होंने कहा कि भारत को खुद निर्णय लेना है कि उसे इन चुनौतियों के प्रति क्या रुख अपनाना है।

रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन ‘‘मजबूत गठबंधनों और साझेदारी को वास्तव में बहुत महत्व देते हैं,जैसे कि भारत के साथ हैं।’’ एक अन्य प्रश्न के उत्तर में ब्लिंकन ने कहा कि जब बात सैन्य साजो-सामान की आती है तो यकीनन भारत और रूस के बीच संबंधों का लंबा इतिहास है।

क्वाड के अन्य देशों से इतर भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की खुल कर निंदा नहीं की है और रूसी आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में हुए सभी मतदान से दूर रहा है। ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका ने रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने को लेकर भारत पर ‘अमेरिकी विरोधियों से प्रतिबंधों के माध्यम से मुकाबला करने का अधिनियम’ (सीएटीएसएए) के तहत प्रतिबंध लगाए जाने या उसे छूट दिए जाने को लेकर अभी को फैसला नहीं किया है।

अमेरिकी प्रशासन सीएटीएसएए के तहत ईरान, उत्तर कोरिया या रूस के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ प्रतिबंध लगा सकता है।

सीएटीएसएए एक सख्त अमेरिकी कानून है, जो 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में उसके कथित हस्तक्षेप के जवाब में वाशिंगटन को उन देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिकृत करता है, जो मॉस्को से प्रमुख रक्षा साजो-सामान की खरीद करते हैं।

इससे पहले, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने भी एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘सैन्य कार्रवाइयों की बात करें, तो हमने सीएटीएसएए के तहत छूट के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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