ईरान सरकार ने Morality Police को किया खत्म, देशव्यापी प्रदर्शनों के कारण लिया फैसला
ईरान में गश्त-ए-इरशाद के नाम से मशहूर मोरैलिटी पुलिस को ईरान सरकार ने भंग कर दिया है। देश में हो रहे प्रदर्शनों के आगे ईरान सरकार को झुकना पड़ा है। एक 22 वर्षीय महिला की हिरासत में मौत होने के बाद ये प्रदर्शन देखने को मिले थे।
हिजाब से संबंधित कड़े कानूनों के खिलाफ ईरान सरकार दशकों पुराने कानून को बदलने के संबंध में काम करने के संकेत दिए है। देशव्यापी हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के बाद ईरान सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए देश की नैतिकता पुलिस को भंग करने का ऐलान किया है। ये जानकारी स्थानीय मीडिया ने दी है।
इस्लामिक मुल्क ईरान में हिजाब के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन लंबे समय से हो रहा था। इन प्रदर्शनों के बीच अब ईरान सरकार ने अपने कदम पीछे खिंच लिए है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंताजारी ने बताया कि मोरेलिटी पुलिस यानी गश्त-ए-इरशाद को भंग किया गया है। न्यायपालिका से इसका कोई संबंध नहीं है।
बता दें कि कुछ समय पूर्व तेहरान में मोरेलिटी पुलिस ने हिजाब ना पहनने पर एक महिला को हिरासत में लिया था, जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी। कहा गया था कि महिला की मौत टॉर्चर किए जाने से हुई थी। महिला की मौत होने के बाद ईरान में काफी हिंसक प्रदर्शन हुए थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि हिजाब के कड़े कानूनों से छुटकारा दिया जाना चाहिए। बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने इसे राष्ट्रीय क्रांति का नाम दिया था।
मीडिया की मानें तो ईरान में हिजाब के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान अबतक 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इस दौरान स्थानीय पुलिस ने लगभग 14 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। दरअसल सरकार ने ईरान में महिलाओं के लिए पब्लिक प्लेस पर जाने के दौरान ड्रेस कोड के पालन करने का फैसला किया था। इस ड्रेस कोड में हिजाब पहनना भी शामिल था।
ईरान में है सख्त कानून
जानकारी के अनुसार ईरान में वर्ष 1979 के बाद काफी कुछ बदला। इस्लामिक क्रांति के कारण यहां अमेरिकी शासन को हटाया गया था। इसके बाद अयातुल्लाह खोमैनी ने गद्दी संभाली थी। अयातुल्लाह ने सत्ता पाने के तत्काल बाद ही शरिया कानून को लागू किया था। इसके बाद ईरान में वर्ष 1983 के दौरान हिजाब को अनिवार्य किया गया था। वहीं वर्तमान में देश में नौ वर्ष से अधिक की उम्र की बच्ची को भी हिजाब पहनना होता है। यहां तक की महिला टूरिस्ट को भी इस नियम का पालन करना होता है।
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