बिहार की बेटी ज्योति की 'FAN' हुई अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी इवांका ट्रंप, पोस्ट किया ये ट्वीट
लॉकडाउन में अपने पिता को साइकिल के पीछे बिठा कर गुड़गांव से दरभंगा की ओर निकल पड़ी। ज्योति ने तकरीबन 12 सौ किलोमीटर का संघर्षपूर्ण सफर को अपनी हिम्मत के साथ पुरा किया और पहुंच गई गुड़गांव से दरभंगा।
नई दिल्ली। कोरोना का कहर अगर किसी पर सबसे ज्यादा पड़ा है तो वह हैं मजदूर लोग। इस महमारी से जो लोग शहरों में रह कर अपना गुजारा करते थे आज वहीं मजदूर लोग अपनी जिंदगी को बचाने के लिए वापस अपने गांव लौटना चाहते है। लेकिन लॉकडाउन के कारण बसों और ट्रेनों के बंद रहने की वजह से मजदूर अपने दो पैरो को ही पहिया बनाकर घर की और निकल गए है। मजदूरों की परेशानी और दर्द सिर्फ वहीं समझ सकते है जो इतनी कड़ी धूप में अपने बच्चों को लेकर अपनी मंजिल की और बिना कुछ सोचे-समझे निकल चुकें है। ऐसा ही कुछ बिहार के दरभंगा जिले की बेटी ज्योति ने किया है। अपने बीमार पिता को इस कोरोना लॉकडाउन के दौरान गांव दरभंगा के सिरहुल्ली पहुंचाने के लिए ज्योति ने कमर कसी और निकल पड़ी साइकिल लेकर अपनी मंजिल की ओर। लॉकडाउन में अपने पिता को साइकिल के पीछे बिठा कर गुड़गांव से दरभंगा की ओर निकल पड़ी। ज्योति ने तकरीबन 12 सौ किलोमीटर का संघर्षपूर्ण सफर को अपनी हिम्मत के साथ पुरा किया और पहुंच गई गुड़गांव से दरभंगा।
15 yr old Jyoti Kumari, carried her wounded father to their home village on the back of her bicycle covering +1,200 km over 7 days.
— Ivanka Trump (@IvankaTrump) May 22, 2020
This beautiful feat of endurance & love has captured the imagination of the Indian people and the cycling federation!🇮🇳 https://t.co/uOgXkHzBPz
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप हुई ज्योति की फेन
ज्योति के इस हौसले और हिम्मत की न सिर्फ भारत ने तारीफ की बल्कि उनके इस हौसले की कहानी अमेरिका तक को पसंद आई। जी हां, ज्योति की कहानी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप का दिल जीत लिया है। बता दें कि इवांका ट्रंप ने ज्योति के हौसले और हिम्मत की काफी सरहना की। साथ ही उन्होनें इस कहानी को अपने ट्वीटर अकांउट पर शेयर किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि '15 साल की ज्योति कुमारी अपने घायल पिता को साइकिल से सात दिनों में 1,200 किमी दूरी तय करके अपने गांव ले गई। सहनशक्ति और प्यार की इस वीरगाथा ने भारतीय लोगों और साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है'। बता दें कि इस खबर को एचटी मीडिया समूह की वेबसाइट लाइव मिंट ने ज्योति की कहानी चलाई थी जिसे बाद में इवांका ट्रम्प ने ट्विटर पर साझा किया। ज्योति के इस हौसले और हिम्मत को देखते हुए साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उसे अगले महीने ट्रायल के लिए बुला लिया है। ज्योति ने बताया कि साइकिलिंग फेडरेशन के चेयरमैन ओंकार सिंह ने उसे फोन करके आशीर्वाद दिया है।
ज्योति को कितना वक्त लगा गुड़गांव से दरभंगा पहुंचने में
15 साल की ज्योति अपने बीमार पिता की सेवा करने गुड़गांव गई थी। इसी बीच कोरोना लॉकडाउन लागू हो गया और ज्योति और पिता दोनों गुड़गांव में ही फंस गए है। इस कोरोना संकट के बीच बीमार पिता के पैसे भी खत्म हो गए। लेकिन प्रधानमंत्री राहत कोष से आए एक हजार खाते में आते ही ज्योति ने पैसे मिलाकर एक पुरानी साइकिल खरीदी और अपनी पिता को लेकर अपने गांव की ओर निकल पड़ी। बेटी के इस विचार को पहले पिता ने इंकार किया लेकिन बेटी के हिम्मत के आगे पिता को झुकना ही पड़ा। अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत ज्योति आठ दिनोंं में साइकिल चलाकर गुड़गांव से दरभंगा के सिरहुल्ली पहुंच गई। ज्योति के इस कड़ी मेहनत से राढ़ी पश्चिमी पंचायत के पकटोला स्थित डॉ. गोविंद चंद्र मिश्रा एजुकेशनल फाउंडेशन ने उसे और उसके पिता को नौकरी का प्रस्ताव दिया है। साथ ही इस फाउंडेशन ने सिरहुल्ली निवासी मोहन पासवान और उनकी पुत्री ज्योति कुमारी को हरसंभव मदद देने का भी निर्णय किया है।
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