राजपक्षे सरकार के मंत्री ने कहा- श्रीलंका नहीं है भारत का हिस्सा, जानें पूरा मामला

Mahinda Rajapaksa

तमिल नेशनल एलायंस को संविधान के 13वें संशोधन को लागू करने की मांग देश की चुनी हुई सरकार के सामने उठाने चाहिए न कि भारतीय प्रधानमंत्री के सामने। उन्होंने यह भी कहा कि श्रीलंका एक संप्रभु राष्ट्र है और यह भारतीय यूनियन का हिस्सा नहीं है।

भारत श्रीलंका को दिवालिया होने से बचाने में पूरी तरह मदद कर रहा है, श्रीलंका  स्थित भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंका को पिछले हफ्ते 13 जनवरी को 90 करोड़ डॉलर की सहायता की घोषणा की थी। इस हफ्ते भारत में फिर मंगलवार को 50 करोड़ डॉलर की और मदद दी जिससे श्रीलंका पेट्रोलियम उत्पाद खरीद सके। लेकिन दोनों देशों के रिश्तो के बीच तमिलों का मुद्दा बहुत संवेदनशील है। यह मुद्दा दोनों के द्विपक्षीय रिश्ते को बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखता है।

इन सबके बीच प्रधानमंत्री मोदी को उत्तरी और पूर्वी श्रीलंका के प्रमुख तमिल सांसदों की ओर से एक खत लिखा गया है। इस पत्र में तमिल सांसदों द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तमिलों से जुड़े मुद्दे को सुलझाने में मदद की गुजारिश की गई है।मंगलवार को कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग में तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के नेता आर संपनथन की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल पहुंचा था। इस दौरान ही प्रतिनिधिमंडल ने मोदी के नाम लिखे इस पत्र को सौंपा था। कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस प्रतिनिधिमंडल से पीएम मोदी के नाम पत्र लेते हुए 18 जनवरी को  फोटोज भी पोस्ट की थीं। इन तस्वीरों को पोस्ट करते हुए भारतीय उच्चायोग ने लिखा है, आर संपनथन की अगुवाई में तमिल नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम भारतीय उच्चायोग को एक पत्र सौंपा है।

श्रीलंका सरकार ने जताई आपत्ति

 प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखने को लेकर गोटभाया राजपक्षे सरकार में ऊर्जा मंत्री उदया गम्मनपिला ने बुधवार को कहा कि तमिल नेशनल अलायंस को संविधान के 13वें संशोधन को लागू करने की मांग देश की चुनी हुई सरकार के सामने उठाने चाहिए न कि भारतीय प्रधानमंत्री के सामने। उन्होंने यह भी कहा कि श्रीलंका एक संप्रभु राष्ट्र है और यह भारतीय यूनियन का हिस्सा नहीं है।

ऊर्जा मंत्री उदया ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर तमिल पार्टियां संविधान के संशोधन के लागू नहीं होने से चिंतित है तो उन्हें श्रीलंका के राष्ट्रपति के पास जाना चाहिए न कि भारतीय प्रधानमंत्री के पास। हम संप्रभु देश हैं। श्रीलंका कोई भारतीय यूनियन का हिस्सा नहीं है। उन्होंने तमिलों के पत्र पर जताई गई अपनी आपत्ति से जुड़ी एक कोलंबो गजट की खबर को भी रिट्वीट किया है। अखबार ने उदया के बयान को अपनी हेडलाइन बनाया है। इस खबर की हैडलाइन है उदया ने तमिल सांसदों को याद दिलाया श्रीलंका भारत का हिस्सा नहीं।

अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने भी तमिल प्रतिनिधिमंडल के प्नधामंत्री मोदी को खत भेजने को लेकर  एक खबर मंगलवार को प्रकाशित की थी। द हिंदू के मुताबिक, पत्र में 2015 में मोदी के श्रीलंकाई संबोधन का भी जिक्र है। पीएम मोदी ने अपने इस संबोधन में श्रीलंका में सहकारी संघवाद की बात की थी। तमिल सांसदों ने प्नधानमंत्री मोदी को भेजे अपने इस पत्र में लिखा है, उत्तरी और पूर्वी श्रीलंका में तमिल हमेशा बहुमत में रहे। हम एक संघीय ढांचे के आधार पर तमिलों के लिए एक राजनीतिक समाधान को लेकर प्रतिबद्ध हैं। तमिल सांसदों ने प्नधानमंत्री मोदी को लिखे खत में संविधान के 13वें संशोधन को लागू कराने के लिए श्रीलंका सरकार पर डालने की भी बात कही है।

क्या है श्रीलंका का 13 संविधान संशोधन

 इसके तहत श्रीलंका के 9 प्रांतों में काउंसिल को सत्ता में भागीदार बनाने की बात की गई है। इसका मकसद यह था कि श्रीलंका में तमिलों और सिंहलियों का जो संघर्ष है, उसे रोका जा सके। 13वें संविधान संशोधन के जरिए प्रांतीय परिषद बनाने की भी बात थी ताकि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो सके। यह संशोधन 1987 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन श्रीलंकाई राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के बीच समझौते के बाद हुआ था। भारत चाहता है कि श्रीलंका इसे लागू करें ताकि जाफना में तमिलों को अपने लिए नीतिगत स्तर पर निर्णय लेने का अधिकार मिले।

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