शरीर को संक्रमण के खिलाफ तैयार करने में कारगर हैं नाक से लिए जाने वाले कोविड रोधी टीके

Nasal Vaccine
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वायरस तब उन कोशिकाओं में प्रवेश करता है जिन्हें वह छूता है, इस प्रक्रिया को वह दोहराता है और शरीर में फैल जाता है। श्लेष्मा झिल्ली की इन कोशिकाओं के ठीक नीचे कई प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं जो म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रणाली कहलाती हैं।

(मयूरेश अभ्यंकर, संक्रामक रोग एवं अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य के विषय के एसोसिएट प्रोफेसर, वर्जीनिया विश्वविद्यालय) चार्लोट्सविले (अमेरिका)|  कोविड-19 से बचाव के लिए एक तरल पदार्थ की कुछ बूंदों को नाक के जरिए शरीर के अंदर लेने की कल्पना करें। दरअसल, नाक से लिए जाने वाले कोविड-19 रोधी टीकों के पीछे यही विचार है और उन्हें हाल में स्प्रे या तरल पदार्थ के रूप में दिए जाने पर बहुत अधिक महत्व दिया जा रहा है।

नाक के माध्यम से दिए जाने वाले ये टीके उसी तकनीक पर आधारित होंगे जो इंजेक्शन द्वारा दिए जाने वाले सामान्य टीके में है।

लेकिन वर्जीनिया विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों के शोधकर्ता और नाक से लिए लिए जाने वाले टीकों पर काम कर रहे मयूरेश अभ्यंकर बताते हैं कि ये टीके ठीक उसी जगह से अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं जहां से कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका रहती है जिससे कई प्रतिरक्षात्मक लाभ मिलते हैं। नाक से लिए जाने वाले टीके क्या हैं? नाक के जरिए लिए जाने टीके अधिक सटीकता से काम करते हैं।

इन्हें ‘इंट्रानेजल’ टीका कहा जाता है जो तरल रूप में होते हैं और इन्हें स्प्रे या ड्रॉपर या सिरिंज के माध्यम से दिया जा सकता है। इस तरह का सबसे आम टीका फ्लूमिस्ट है। नाक के माध्यम से प्रवेश करने वाले रोगजनकों से बचाने के लिए ‘इंट्रानेजल’ टीके सबसे उपयुक्त हैं, जैसे फ्लू या कोरोना वायरस। सैद्धांतिक रूप से ‘इंट्रानेजल’ टीके हाथ में इंजेक्शन के माध्यम से दिए गए टीकों की तुलना में बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। कोरोना वायरस लोगों को कैसे संक्रमित करता है? सार्स-सीओवी-2, वायरस जो कोविड-19 का कारण बनता है, आमतौर पर नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और नाक के मार्ग के पीछे और गले में उतरता है।

वायरस तब उन कोशिकाओं में प्रवेश करता है जिन्हें वह छूता है, इस प्रक्रिया को वह दोहराता है और शरीर में फैल जाता है। श्लेष्मा झिल्ली की इन कोशिकाओं के ठीक नीचे कई प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं जो म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रणाली कहलाती हैं। म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएं सबसे पहले हमलावर कोरोना वायरस कणों की पहचान करती हैं और एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया को बढ़ाना शुरू करती हैं।

एक गैर संक्रमित व्यक्ति में इन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को कोरोना वायरस का सामना करने के बाद एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया का निर्माण करने में लगभग दो सप्ताह लगते हैं। उस समय तक वायरस फेफड़ों जैसे शरीर के अन्य अंगों को आसानी से संक्रमित कर सकता है, जिससे गंभीर बीमारी हो सकती है।

नाक से लिए जाने वाले टीके इन्हीं सारे समान चरणों का पालन करते हैं। जब आप ये टीके लेते हैं, तो इसके कण आपकी नाक या आपके गले के पीछे श्लेष्म झिल्ली पर उतरते हैं, उन जगहों पर कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं और एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाते हैं। यह प्रक्रिया शरीर को कोरोना वायरस के बारे में सिखाती है और उसे भविष्य में होने वाले किसी भी वास्तविक संक्रमण से निपटने में मदद करती है। नाक और इंट्रामस्क्युलर टीके कैसे भिन्न होते हैं?

जब आप अपनी बांह में कोविड-19 रोधी टीके की खुराक लेते हैं, तो टीका उन कोशिकाओं में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है जहां आपको टीके की खुराक मिली थी। यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को आपके पूरे शरीर में अन्य स्थानों में कुछ कोरोना वायरस-विशिष्ट एंटीबॉडी और अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उत्पादन करने का कारण बनता है।

जब कोरोना वायरस किसी व्यक्ति के श्वसन पथ में कोशिकाओं को संक्रमित करना शुरू कर देता है, तो आस-पास की प्रतिरक्षा कोशिकाएं बचाव को बढ़ाना शुरू कर देंगी। आपका शरीर अन्य स्थानों से संक्रमण की जगह पर एंटी-वायरल प्रतिरक्षा कोशिकाओं और एंटीबॉडी को भी भेजेगा।

लेकिन जब तक वायरस को दोहराने से रोकने के लिए पर्याप्त कोरोना वायरस-विशिष्ट प्रतिरक्षा कोशिकाएं संक्रमण स्थल के आसपास इकट्ठा होती हैं, तब तक वायरस पूरे शरीर में फैलने लगता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। किसी भी अन्य टीके की तरह, एक वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार करने के लिए नाक के टीके वायरस की तरह ही काम करते हैं।

वैज्ञानिकों ने इसी विचार को अपनाया है। एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 रोधी टीके ने चूहों में अधिक सुरक्षा प्रदान की, जिन्हें इंट्रामस्क्युलर टीके की तुलना में नाक से टीके की खुराक दी गई थी।

अभ्यंकर ने कहा, ‘‘हाल के एक अध्ययन में मेरे सहयोगियों और मैंने कुछ चूहों को नाक और इंट्रामस्क्युलर दोनों तरह के टीके दिए और उन्हें सार्स-सीओवी-2 की घातक खुराक दी। इन मिश्रित-टीकाकरण वाले चूहों में से गैर टीकाकरण वाले 10 प्रतिशत चूहों की तुलना में शत प्रतिशत चूहे बच गए।

अब हम परीक्षण कर रहे हैं कि क्या यह मिश्रित दृष्टिकोण सिर्फ इंट्रानेजल या सिर्फ इंट्रामस्क्यूलर दृष्टिकोण से बेहतर है। अंत में, इंट्रानेजल टीके दर्द रहित, इंजेक्शन के बगैर दिए जाने वाले होते हैं और इनका उपयोग करने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। नाक से लिए जाने वाले टीके के जोखिम क्या हैं?

इंजेक्शन के जरिए लिए जाने वाले टीके की खुराक की तुलना में नाक से लिए जाने वाले टीके के साथ सही खुराक प्राप्त करना कठिन हो सकता है, खासकर छोटे बच्चों के साथ। अगर किसी की नाक बंद है या वैक्सीन के पूरी तरह से अवशोषित होने से पहले उसका कोई हिस्सा छींक के माध्यम से बाहर निकल जाता है, तो इसका परिणाम वांछित खुराक से कम हो सकता है।

कुछ अन्य स्वास्थ्य जोखिम भी हैं। सभी टीके कठोर सुरक्षा परीक्षण और नैदानिक ​​परीक्षणों से गुजरते हैं, लेकिन नाक के टीके के लिए ये प्रक्रियाएं विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि साधारण तथ्य यह है कि नाक मस्तिष्क के करीब है। इंट्रानेजल कोविड-19 रोधी टीके कब तक तैयार हो सकते हैं? मई 2022 के अंत तक मानव उपयोग के लिए कोई स्वीकृत कोविड-19 रोधी इंट्रानेजल टीका उपलब्ध नहीं है।

वर्तमान में क्लिनिकल परीक्षण में सात टीके हैं और उनमें से तीन - बीजिंग वांताई बायोलॉजिकल फार्मेसी, भारत बायोटेक और कोडाजेनिक्स तथा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित टीके तीसरे चरण के मानव परीक्षणों में हैं।

आने वाले महीनों में इन परीक्षणों के परिणाम न केवल यह दिखाएंगे कि ये नए टीके कितने सुरक्षित हैं, बल्कि यह भी बताएंगे कि वे आज उपयोग में आने वाले टीकों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं या नहीं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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